Nirmal Bhatnagar
त्यौहारों से सीखें जीने का सलीका…
Nov 15, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, सर्वप्रथम तो आप सभी को भाई-बहन के स्नेह और प्यार के त्यौहार भाईदूज की बहुत-बहुत बधाई। आज इस त्यौहार के साथ हम स्नेह, प्यार, प्रसन्नता, समृद्धि, सुख, शांति, ख़ुशी, स्वास्थ्य और आनन्द के ५ दिवसीय दीपोत्सव पर्व का समापन हो जायेगा और एक बार फिर हम सभी इन पाँच दिनों में मिली सीख, शुभकामनाओं, अनुभवों आदि को भूल कर अपने सामान्य जीवन में रम जाएँगे। शायद ऐसा ही तो हम सभी बार-बार करते हैं। जी हाँ दोस्तों, अगर मेरी बात से सहमत ना हों तो एक बार नववर्ष या अपने जन्मदिन के समय पर लिए गए प्रणों और बनाए गए लक्ष्यों को याद करके देख लीजियेगा, जिन्हें कुछ दिनों तक पाने का प्रयास करने के बाद हमने बीच में ही छोड़ दिया था।
आज मैंने थोड़ी कड़वी बात से अपने लेख की शुरुआत ज़रूर की है, लेकिन इसके पीछे मेरा मक़सद बहुत स्पष्ट, उद्देश्यपूर्ण और सकारात्मक है। मैं तो बस इतना चाहता हूँ कि रोज़मर्रा की ज़िम्मेदारी में हम सब इन त्यौहारों के पीछे के मक़सद, ‘हर हाल में खुश रहना’ और ‘जीवन जीने की कला सीखना’, को पूरा कर सकें। जैसे, कार्तिक माह की बड़ी अमावस को मनाई जाने वाली दीपावली, जिसे हम दीपों की रोशनी का त्यौहार भी मानते हैं, हमें अज्ञान और असत्य के अँधेरे को भगाने के लिए सत्य रूपी दीपक जलाने का संदेश देती है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो इसे आप काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसे तम रूपी अमावस के घनघोर अंधेरे में ज्ञान रूपी दीप प्रज्वलित करने का त्यौहार भी मान सकते हैं। मेरी नज़र में तो यही इस त्यौहार का मूल मक़सद है।
अगर आप इसे और गहराई से समझना चाहें तो श्री राम भगवान की नगरी अयोध्या को आप अपना हृदय मान सकते हैं और प्रेम को भगवान श्री राम। अब इस आधार पर आप दीपावली को देखेंगे तो पाएँगे कि जिस अयोध्या याने हृदय में राम याने प्रेम बसा हो वहाँ स्वतः ही सत्य, प्रेम एवं करुणा के दिए जलने लगते हैं याने हृदय में सत्य, प्रेम एवं करुणा का प्रकाश फैलने लगता है। और जिस इंसान के हृदय में सत्य, प्रेम एवं करुणा हो, वहाँ तम याने काम, क्रोध, लोभ और मोह जैसी चीजें रह ही नहीं सकती हैं। यही तो दीपावली पर्व का मुख्य उद्देश्य है।
ठीक इसी तरह दोस्तों, हम दीपावली पर बाँटी जाने वाली मिठाइयों से भी आंतरिक गुणों की महत्ता सीख सकते हैं। जैसे, रसगुल्ला हमें परिस्थितियों से निचोड़े जाने के बाद भी अपना मूल स्वभाव और स्वरूप बनाए रखने का संदेश देता है। जिस तरह बाहरी दबाव से चूर-चूर हुए बेसन के लड्डू को फिर से बांधा जा सकता है, ठीक वैसे ही बिखरे हुए जीवन को आत्मविश्वास के साथ फिर से समेट कर नई दिशा में ले ज़ाया जा सकता है। जीवन में बुरी से बुरी परिस्थितियों के बाद भी कमबैक किया जा सकता है। गुलाबजामुन से हम सीख सकते हैं कि सॉफ्ट होना कमजोरी नहीं, ख़ासियत है। अर्थात् नम्रता कमजोरी नहीं सफलता के लिए एक विशेष गुण है। जलेबी हमें रंग-रूप, शक्ल-सूरत या आकार के मुक़ाबले व्यवहार याने वाणी और स्वभाव के मीठे होने का महत्व सिखाती है। जीवन में उलझने कितनी भी क्यों ना हो, रसीले और सरल बने रहो। इसी तरह बूंदी का लड्डू हमें छोटी-छोटी बातों को सही तरीक़े से करके बड़ी सफलता पाने के महत्व को समझाता है। कुल मिलाकर कहूँ तो हर मिठाई हमें आंतरिक गुणवत्ता अच्छी रख, विशेष बनने का महत्व सिखाती है।
जी हाँ दोस्तों, त्यौहार हों या त्यौहार पर बनाये जाने वाले पकवान अथवा उस दौरान निभाये जाने वाले कस्टम, सभी हमें एक ही बात सिखाते हैं, ख़ुद में एक छोटा सा सकारात्मक आंतरिक परिवर्तन लाकर हम ख़ुद में और समाज में एक बड़ा सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है। इसलिए इस दीपोत्सव के ख़त्म होने से पहले ख़ुद में एक छोटा सा सकारात्मक परिवर्तन लेकर आयें और मिठाई के साथ-साथ लोगों में प्रेम भी बाँटे। इसी तरह पटाखों के साथ-साथ अपने दुर्गुणों को जलाएँ और जिस तरह अपने घर को सजाकर सुंदर बनाया था, ठीक उसी तरह सत्य, प्रेम और करुणा से अपने हृदय को सजाएँ। फिर देखियेगा, आपका पूरा जीवन, त्यौहारों की भाँति हमेशा के लिए चमक और महक उठेगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com