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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

दम्भ या अहंकार में अपनों की सही सलाह ना छोड़ें…

June 17, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई वर्ष पुरानी है, गाँव में एक बहुत ही कंजूस और लालची धोबी रहा करता था। अधिक मुनाफ़े के चक्कर में वह धोबी अपने गधे से दिन-रात कपड़े के भारी-भारी गट्ठर उठवाने का कार्य करवाया करता था। धोबी कंजूस या लालची ही नहीं बल्कि बहुत निर्दयी भी था क्यूँकि वह काम के एवज़ में गधे को भर पेट चारा भी नहीं देता था। वह तो काम के बीच में बचे समय और रात्रि में गधे को खुला छोड़ दिया करता था, जिससे वह अपने आप ही, जो कुछ भी मिले उसे चरकर, अपना पेट भर सके।


भरपेट अच्छे और पौष्टिक खाने के अभाव में गधा बहुत ही दुबला-पतला और कमजोर होता जा रहा था। एक दिन भोजन की तलाश में घूमते हुए गधा अपने घर से काफ़ी दूर जंगल की ओर चल दिया। रास्ते में गधे की नज़र गड्ढे में पड़े एक हिरन पर पड़ी जो गड्ढे से बाहर आने के लिए मदद के लिए चिल्ला रहा था। गधे ने भोजन की तलाश छोड़ पहले उस हिरन की मदद करने का निर्णय लिया और कुछ ही देर में उस गधे को सकुशल बाहर निकाल लिया।


हिरन ने बाहर आते ही सबसे पहले गधे का शुक्रिया अदा किया और इतना कमजोर और दुबला होने का कारण पूछा। गधे ने तुरंत अपनी सारी स्थिति उस हिरन को बता दी। हिरन को गधे की स्थिति पर तरस आ गया और बोला, ‘धन्यवाद गधे भाई, जान बचाने का शुक्रिया। आज से हम दोनों दोस्त हुए, अब रोज़ रात को हम यहीं मिला करेंगे और मैं तुम्हें भरपेट पौष्टिक भोजन करवाने ले ज़ाया करूँगा।’ ‘कैसे?’, गधे ने तुरंत पूछ लिया। हिरन मुस्कुराता हुआ बोला, यहाँ पास ही में सब्ज़ियों का एक बहुत ही बड़ा खेत है। मैंने उसके चारों ओर लगी बागड़ में घुसने का एक रास्ता बना लिया है। रात्रि को जब खेत का चौकीदार और किसान सो ज़ाया करेंगे तब हम धीमे से खेत में घुसकर, भरपेट सब्ज़ियाँ खा लिया करेंगे।’


गधे को हिरन की बात पसंद आ गई। अगले दिन वह रात्रि में निर्धारित किये समय पर हिरन के पास पहुँच गया और उस दिन गधे ने कई सालों बाद खीरे, ककड़ियाँ, गाजर, मूली, शलजम जैसी कई सब्ज़ियाँ भरपेट खाई। उस पूरी रात हिरन और गधा उसी खेत पर रहे और बिना शोर मचाए मस्ती करते रहे। अब तो गधा रोज़ रात को हिरन के साथ उस खेत में जाता और भर पेट ताजी और हरी सब्ज़ियाँ खाता। कुछ ही माह में अच्छे भोजन का असर उसकी सेहत पर भी दिखने लगा। अर्थात् दुबला-पतला, कमजोर दिखने वाला गधा एकदम स्वस्थ और ताकतवर लगने लगा। अब वह अपने पुराने भुखमरी के दिन लगभग भूल ही चुका था।


एक दिन रात्रि को दोनों अर्थात् हिरन और गधा जब खेत में हरी सब्ज़ियाँ खा रहे थे, तभी अचानक गधे के मन में ना जाने क्या सूझा वह जोर-जोर से अपनी गर्दन और कान हिलाने लगा। हिरन ने तुरंत गधे को समझाते हुए कहा, ‘गधे भाई, यह क्या कर रहे हो? तुम्हारे द्वारा उत्पन्न आवाज़ से अगर खेत मालिक या चौकीदार जाग गए तो अच्छा नहीं होगा।’ गधा एकदम लापरवाही के साथ बोला, ‘ताजी सब्ज़ियों को भोजन में पाकर मैं बहुत प्रसन्न हूँ, इसलिए खुश होकर मेरा दिल गाना गाने का कर रहा है।’ हिरन तुरंत घबरा कर बोला, ‘नहीं-नहीं गधे भाई ऐसी स्थिति में तो हमें बहुत मार पड़ेगी। तुम्हें चुप रहना होगा।’ हिरन की बात सुन गधे को ग़ुस्सा आ गया वह लगभग चिढ़ते हुए बोला, ‘तुम्हें शायद पता नहीं है कि मैं कितना सुरीला गाना गाता हूँ। अगर मैंने तान छेड़ी तो देखना यही चौकीदार हमें मारने के लिए नहीं अपितु स्वागत करने के लिए माला लेकर आएगा।’


गधे की दम्भ भारी बात सुनकर हिरन समझ गया कि अब वह बिना गाए मानेगा नहीं। उसने समझदारी दिखाते हुए गधे से माफ़ी माँगते हुए कहा, ‘भाई मुझसे गलती हो गई जो तुम्हारी कला को समझ नहीं पाया। तुम्हारे सुरीले गाने पर मैं भी तुम्हें हार पहनाना चाहता हूँ। इसलिए मैं चाहता हूँ, तुम पंद्रह मिनिट इंतज़ार करने के बाद अपना गाना शुरू करो, जिससे तुम्हारा गाना खत्म होने के पूर्व ही मैं पास के दूसरे खेत से तुम्हारे लिए ताजी माला बनवा कर ले आऊँ।’ हिरन की बात सुनकर गधा अहंकार से भर गया और बोला, ‘हाँ-हाँ, जल्दी जाओ और अच्छी सी फूलों की माला मेरे लिए लेकर आओ।’ हिरन ने तुरंत वहाँ से जंगल की ओर दौड़ लगा दी।


दूसरी ओर ठीक पंद्रह मिनिट बाद गधे ने मस्ती से जोर से राग अलापने के चक्कर में बेसुरा रेंकना शुरू कर दिया, जिससे खेत मालिक और चौकीदार दोनों नींद से जाग गए और उसकी ओर लट्ठ लेकर दौड़े। गधे के पास पहुँचते ही चौकीदार बोला, ‘यही है वह दुष्ट गधा जिसने हमारी नींद हराम कर रखी है। यही रोज़ हमारी सब्ज़ियाँ चट कर जाता है। आओ भाइयों आज इसको सबक़ सिखाते हैं।’ इतना कहते हुए सभी ने गधे को लट्ठ से तब तक पीटा जब तक वह अधमरा होकर वहीं गिर ना पड़ा।


अक्सर दोस्तों, हमारे आस-पास भी इसी तरह के ‘गधे’ मौजूद रहते हैं, जो ज़रा सा अच्छा समय आया नहीं कि खुद को ‘तीसमारखाँ’ समझते हुए ‘रेंकने’ लगते हैं। ऐसे लोगों से समय रहते दूरी बनाकर ही सुरक्षित रहा जा सकता है अन्यथा जो हाल उस गधे का हुआ था वही हाल आपका भी हो सकता है। दूसरी बात दोस्तों, आपके अच्छे और सच्चे दोस्त हमेशा आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक सलाह देते हैं लेकिन अचानक छोटी सी मिली सफलता के दम्भ या अहंकार में आकर हम उसे नज़रंदाज़ कर जाते हैं और खुद का बड़ा नुक़सान कर लेते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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