Jan 12, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, हम सभी जानते हैं कि जीवन में हमारे दो तरह के शत्रु होते हैं, पहले, बाहरी और दूसरे, आंतरिक। पहले याने बाहरी शत्रुओं को पहचानना आसान होता है क्योंकि वे हमारे सामने होते हैं। लेकिन आंतरिक शत्रु, जैसे कि आलस्य, चिंता, भय, ईर्ष्या, और अविश्वास, हमारे भीतर छिपे रहते हैं और हमारी सोच और जीवन को हर पल, धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं। अगर आपका लक्ष्य जीवन में आगे बढ़ना है तो आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप इन आंतरिक शत्रुओं को जल्द से जल्द पहचान पायें और उन पर काबू पाने के लिए प्रयास करें। विश्वास कीजियेगा दोस्तों, एक अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए ऐसा करना वाक़ई बेहद जरूरी है।
अब आपके मन में आ रहा होगा कि आख़िर हमारे आंतरिक शत्रु हैं कौन?, तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि हमारे अंदर मौजूद नकारात्मक आदतें और नकारात्मक विचार ही हमारे आंतरिक शत्रु हैं। उदाहरण के लिए:
1) आलस्य, जो अक्सर हमें अपने महत्वपूर्ण कार्यों को टालने के लिए मजबूर कर देता है।
2) चिंता और भय, जो अक्सर हमें उन बातों से डराकर परेशान रखता है जो हमारे जीवन में कभी घटना ही नहीं है। जी हाँ रिसर्च का एक आंकड़ा बताता है 92% हमारे डर या भय हमारे जीवन में कभी घटते ही नहीं है।
3) ईर्ष्या और अविश्वास, जो हमारे रिश्तों को कमजोर कर देते हैं।
ऐसी ही अनेकों धारणायें और आदतें धीमे-धीमे हमारे जीवन का हिस्सा बन जाती हैं और हमें नुकसान पहुंचाती हैं। याद रखियेगा, बाहरी शत्रु तो सामने से हमला करते हैं, लेकिन ये आंतरिक शत्रु हर पल हमें अंदर से कमजोर बनाते हैं और हमें एक अच्छी और खुशहाल ज़िंदगी जीने से वंचित कर देते हैं। अगर आप इस स्थिति से बचना चाहते हैं तो आपको सकारात्मक चिंतन करना सीखना होगा क्योंकि हमारे विचार ही हमारे जीवन को बनाते और बिगाड़ते हैं क्योंकि जो हम सोचते हैं, वही हमारी सोच बनाता है और हमारी सोच, पहले हमारा नजरिया और फिर हमारी आदत बनती है। अंत में हमारी आदतें ही हमारे चरित्र को गढ़ती है। इसीलिए कहा जाता है, अगर हमारे विचार सकारात्मक होंगे, तो हमारा जीवन भी सकारात्मक होगा और अगर हमारे विचार नकारात्मक होंगे, तो वे हमें गलत रास्ते पर ले जा सकते हैं। इसलिए अच्छी ज़िंदगी के लिए अपने विचारों पर ध्यान देना और उन्हें सही दिशा में ले जाना जरूरी है।
इतना ही नहीं हमारी सोच का असर हमारी परिस्थितियों पर भी पड़ता है। अगर हम अपने मन को शांत और खुश रखेंगे, तो हमारे आस-पास की दुनिया भी हमें बेहतर दिखेगी। लेकिन अगर हमारा मन उदास और परेशान रहेगा, तो हमें हर चीज में समस्या नजर आएगी। इसलिए ही कहा जाता है कि ‘हमारा मन ही हमारे भाग्य का निर्माता है। इसलिए हमें अपने विचारों और भावनाओं को हमेशा सकारात्मक बनाए रखना चाहिए।’
हो सकता है, अब आपमें से कुछ लोगों के मन में विचार आ रहा होगा कि इतना तो हम समझ गए या यह तो हमें पहले से ही पता था। आप तो बस इतना बताइए कि इन आंतरिक शत्रुओं पर किस तरह काबू पाया जा सकता है? तो मेरा जवाब बड़ा साधारण सा है, इसके लिए अर्थात् आंतरिक शत्रुओं को हराने के लिए हमें अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करने होंगे। उदाहरण के लिए:
1) आलस्य से बचने के लिए आप समयबद्ध छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित कर अपने दिन की सही योजना बना सकते हैं और फिर इस पर अमल करते हुए अपने लक्ष्यों को पा सकते हैं।
2) अनावश्यक चिंता और भय को दूर करने के लिए आप सकारात्मक सोच रखते हुए खुद पर विश्वास रखना शुरू कर सकते हैं।
3) ईर्ष्या और अविश्वास से बचने के लिए आप दूसरों की खुशियों में शामिल होना सीख सकते हैं।
याद रखियेगा दोस्तों, जब हम इन नकारात्मक आदतों को छोड़कर सकारात्मकता अपनाते हैं, तब हम अपने जीवन को बेहतर बनाते जाते है। इसलिए दोस्तों, अंत में मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि आंतरिक शत्रु हमें अंदर से कमजोर बनाते हैं। लेकिन अगर हम अपने विचारों और आदतों पर ध्यान दें, तो हम इन्हें हराकर एक खुशहाल और संतोषजनक जीवन जी सकते हैं। ये बदलाव आसान नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे प्रयास करने से सब कुछ संभव हो जाता है। याद रखें, अपने विचारों को सकारात्मक रखकर ही हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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