July 27, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, अमीरी और ग़रीबी दोनों ही मानसिक अवस्था के साथ-साथ नज़रिए का मामला है। जी हाँ दोस्तों, दौलत का होना या ना होना किसी भी इंसान को अमीर या ग़रीब नहीं बनाता है। इस आधार पर देखा जाए तो ढेर सारी दौलत, बैंक बैलेंस, प्रॉपर्टी, विलासिता के साधन याने महँगी कार, ब्रांडेड सामान, अच्छे कपड़े, नवीनतम गैजेट्स का होना, हर थोड़े दिन में विदेश यात्रा करना या आरामदायक छुट्टियाँ मनाना, किसी को अमीर नहीं बनाता है। चौंकिए मत और यूँ मेरी तरफ़ प्रश्नवाचक चिन्हों से मत देखिए क्योंकि यह बात मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि माइक्रोसॉफ़्ट के संचालक बिल गेट्स ने एक इंटरव्यू के दौरान कही थी।
कुछ साल पहले, संयुक्त राज्य अमेरिका में निवेश और वित्त पर आयोजित एक सम्मेलन में बिल गेट्स वक्ता के तौर पर आमंत्रित किए गए थे। उनके वक्तव्य के पश्चात प्रश्नोत्तर राउंड में उनसे एक सज्जन द्वारा ऐसा सवाल पूछा गया जिसे सुन वहाँ मौजूद हर इंसान हंस पड़ा। वह सवाल था, ‘दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति क्या यह स्वीकार कर पायेगा कि उनकी बेटी किसी ग़रीब या मामूली इंसान से शादी कर ले?’
पूर्ण गंभीरता और हल्की मुस्कुराहट के साथ बिल गेट्स बोले, ‘मेरी बेटी कभी किसी गरीब आदमी से शादी नहीं करेगी।’ उनके जवाब से माहौल एकदम गंभीर हो गया और कई लोग उनकी और प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगे। लोगों के चेहरे को देख बिल तुरंत उनकी भावना समझ गए और अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोले, ‘सबसे पहले आप यह समझ लें कि धन संपदा का मतलब पैसों से भरा खाता नहीं है। धन संपदा तो मुख्य रूप से धन संपदा बनाने की आपकी क्षमता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति लॉटरी या जुए का एक दौर जीत कर अमीर नहीं माना जा सकता है, फिर भले ही उसने सौ मिलियन डॉलर की बड़ी रक़म क्यों ना जीती हो। मेरी नज़र में तो वो एक ग़रीब आदमी है, जिसके पास ढेर सारा पैसा है। इसीलिए इस तरह से करोड़पति बने 90 प्रतिशत लोग मात्र पाँच वर्षों में ही वापस से ग़रीब हो जाते हैं।’
बात तो दोस्तों बिल गेट्स की सौ प्रतिशत सही थी क्योंकि भारत में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के विजेताओं पर की गई एक रिसर्च भी यही बताती है। ख़ैर, हम अभी बिल गेट्स की कही बात को ही आगे और समझने का प्रयास करते हैं। बिल ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘हमारे समाज में कई अमीर लोग हैं जिनके पास अभी पैसा नहीं है। उदाहरण के लिए अधिकांश उद्यमी जो अभी धन कमाने के रास्ते पर कार्य कर रहे हैं। वित्तीय क्षमता को विकसित करना याने धन कमाने की क्षमता का विकास करना ही मेरे लिये धनी होने के बराबर है। इसीलिए पूर्व में मैंने उन्हें धनी व्यक्ति कहा था।’
दोस्तों अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा कि ‘फिर अमीर और ग़रीब में फ़र्क़ क्या होता है?’ तो गेट्स की सोच के आधार पर सीधे शब्दों में कहा जाये तो अमीर मरते दम तक, अमीर होने के लिए संघर्ष करता है और ग़रीब ज़रूरतों को पूर्ण करने या दूसरे शब्दों में कहूँ तो जीवन यापन के लिए संघर्ष करता है। इस आधार पर कहा जाए तो जो इंसान स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ अपने लक्ष्यों को देखते हैं और उसे पाने के लिए लगातार सीखने की अडिग इच्छा रखते हैं, वे अमीर आदमी होते हैं। इन लोगों को विश्वास होता है कि अगर कोई उन्हें प्रशिक्षित कर दे और साथ ही साथ उन्हें नई जानकारियों उपलब्ध करवा दे तो वे अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।इसके विपरीत जो इंसान अपने चारों ओर सिर्फ़ समस्या ही समस्या देखता है और सभी अमीरों को ‘चोर’ मानकर उनकी आलोचना करता है, तो मान लें कि वह एक ग़रीब आदमी है। ऐसे लोग अक्सर मानते हैं कि दूसरे अगर उन्हें पैसा दे देंगे, तो वे अपने जीवन में आगे बढ़ पायेंगे।
उपरोक्त तर्कों के आधार पर देखा जाये तो गेट्स का यह कहना कि ‘मेरी बेटी ग़रीब आदमी से शादी नहीं करेगी’, यह इंगित करता है कि वे उस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति की नहीं बल्कि अर्थ याने संपत्ति बनाने की क्षमता की बात कर रहे हैं। इतना ही नहीं दोस्तों उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी कहा था कि ‘मुझे यह कहने के लिए क्षमा करें, लेकिन अधिकांश अपराधी गरीब लोग हैं। उनके पास अपने दम पर दौलत बनाने की क्षमता का अभाव है। इसलिए, जब वे पैसे देखते हैं, तो उनका दिमाग खराब हो जाता है और इसलिए वे चोरी करते हैं और लूटते हैं! इसके विपरीत जो धन कमाना जानता है वह अपना दिमाग़ ग़लत रास्तों की ओर नहीं ले जाता है। अपनी बात को मैं आपको एक क़िस्से से समझाने का प्रयास करता हूँ। एक दिन, एक बैंक के चौकीदार को पैसे से भरा बैग मिला। वह तुरंत बैग लेकर बैंक मैनेजर के पास गया। उस समय लोगों ने उस चौकीदार को मूर्ख कहा। लेकिन उन लोगों को यह नहीं पता था कि असल में वह चौकीदार वास्तव में एक धनी व्यक्ति था, जिसके पास उस वक़्त पैसे नहीं थे। एक साल बाद, उसी बैंक ने उन्हें रिसेप्शनिस्ट के रूप में नौकरी की पेशकश की। तीन साल बाद, वह उस बैंक में ग्राहक सेवा प्रबंधक बना और फिर दस साल बाद, उन्हें क्षेत्रीय शाखा प्रबंधक बनाया गया! आज, वह सैकड़ों कर्मचारियों का प्रबंधन करता है और उसका वर्तमान वार्षिक बोनस उस राशि से कहीं अधिक है जो वह उस समय उस बैग से चुरा सकता था।’
क़िस्सा सुनाने के बाद गेट्स एक पल के लिये चुप हुए फिर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोले, ‘मेरे अनुसार धन केवल मन की एक अवस्था है।’ मुझे तो दोस्तों बिल गेट्स की बात सौ प्रतिशत सही लगती है। लेकिन इसपर मैं आपका नज़रिया जानना चाहूँगा। लेकिन अपना जवाब बताने से पहले सिर्फ़ इस बात को समझ लीजिएगा कि ‘मन की संतुलित स्थिति विभिन्न परिस्थितियों में मनुष्य की सभी गतिविधियों में सही दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है। व्यापक अर्थों में, यह उसके चरित्र का प्रतिबिंब है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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