Sep 20, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, काउन्सलिंग और ट्रेनिंग के अपने कैरियर में मैंने अक्सर देखा है कि ज़्यादातर लोग लक्ष्य के एकदम समीप पहुँच कर हार मान लेते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो नज़रों के सामने लक्ष्य होने के बाद भी वे अपने लक्ष्यों को पा नहीं पाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा इसकी मुख्य वजह अंतिम पड़ाव याने सफलता के लिए उठाये जाने वाले अंतिम कदम का मुश्किल या असंभव होना नहीं अपितु धैर्य खोने के कारण अधिक ग़लतियाँ करना होता है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
सुंदरवन के बीच में रहने वाले ग्रामीणों को हमेशा जंगली जानवरों से ख़तरा बना रहता था। यह ख़तरा उस वक़्त और ज़्यादा बढ़ जाता था जब ग्रामीण युवा घने जंगल में लकड़ियाँ बीनने और शहद इकट्ठा करने ज़ाया करते थे। इस ख़तरे से बचने के लिए गाँव में ही रहने वाले एक बुजुर्ग, जिन्हें सब काका कहकर बुलाया करते थे, वह सबको तेज गति से पेड़ पर चढ़ना सिखाया करते थे। इसके पीछे की मुख्य वजह अपने समय में काका का इस कला में महारथी होना था।
एक बार युवाओं के एक समूह को पेड़ पर तेज गति से चढ़ने की ट्रेनिंग देते वक़्त उन्होंने सभी प्रशिक्षणार्थियों को बुलाया और उनसे बोले, आज तुम्हारे प्रशिक्षण का अंतिम दिन है। इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम सब एक-एक करके इस चिकने, सपाट और सबसे ऊँचे पेड़ पर चढ़ कर दिखाओ। सभी युवा अपना कौशल दिखाने के लिए तुरंत तैयार हो गये। सबसे पहले उस समूह में से एक होनहार युवा आया और काका का आशीर्वाद लेकर देखते ही देखते पेड़ की सबसे ऊँची शाख़ पर चढ़ गया और फिर उसी तेज़ी से नीचे उतरने लगा। लगभग आधे से ज्यादा नीचे उतर आने पर काका ने उसे सचेत करते हुए कहा, ‘सावधान! ज़रा संभलकर आराम से उतरो। ज़रा सी भी जल्दबाज़ी करने की ज़रूरत नहीं है।’ काका की समझाइश के अनुसार वह युवक सावधानी पूर्वक नीचे आ गया।
इसी तरह उस समूह के बाक़ी युवा भी उस चिकने, सपाट और ऊँचे पेड़ पर चढ़े और उतरे और हर बार, सभी युवाओं को काका ने आधा उतर जाने के पश्चात धीमी गति से ध्यानपूर्वक उतरने की सलाह दी। सभी युवाओं को काका का यह तरीक़ा थोड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि उनका मानना था कि काका यह सलाह थोडी देर से दे रहे थे। उन्होंने अपनी दुविधा दूर करने के लिए काका से प्रश्न पूछते हुए कहा, ‘काका, हम सब एक बात नहीं समझ पाये। पेड़ पर चढ़ते और उतरते समय सबसे अधिक रिस्क पेड़ के सबसे ऊपरी हिस्से में था। जब हम सबसे कठिन हिस्से की चढ़ाई कर रहे थे तब तो आपने हमें सावधान नहीं किया। लेकिन जब हम सबने उस चुनौतीपूर्ण हिस्से को चढ़ते और उतरते समय दोनों बार पार कर लिया तो आप हमें सावधानीपूर्वक ध्यान से उतरने की सलाह दे रहे थे।’
युवा की बात सुनते ही काका मुस्कुराए और बोले, ‘बेटा, यह बात तो हम सब को पहले से ही पता थी कि पेड़ का ऊपरी हिस्सा चढ़ना और उतरना सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए, सामान्यतः हम सब उस वक़्त अपना पूरा ध्यान केंद्रित करते हुए पेड़ चढ़ते या उतरते हैं। लेकिन जब हम अपने लक्ष्य के एकदम समीप पहुँच जाते हैं तब अति आत्मविश्वास के कारण गलती कर जाते हैं। इस ट्रेनिंग का मेरा यह पाठ अपने जीवन में हमेशा याद रखना कि लक्ष्य के एकदम समीप पहुँचने पर ही सामान्यतः इंसान गलती करता है। इसीलिए पेड़ से उतरने के अंतिम चरण में मैं तुम्हें सचेत कर रहा था।’
बात तो काका की एकदम सही थी, दोस्तों, सफलता के लिए जितना ज़रूरी लक्ष्य निर्धारित करना, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण उसे पाने के लिए योजना बनाना और उस पर कार्य करना है। साथ ही उतना ही ज़रूरी लक्ष्य पाने के लिए कार्य करते वक़्त अंतिम समय तक धैर्य बनाये रखना है। इसीलिए दोस्तों, मैंने इस लेख की शुरुआत में कहा था, ‘ज़्यादातर लोग लक्ष्य के एकदम समीप पहुँचकर हार मान लेते हैं या यह कहना बेहतर होगा कि नज़रों के सामने लक्ष्य होने के बाद भी उसे पा नहीं पाते हैं।’ इसलिए दोस्तों, लक्ष्य के निकट पहुँचकर अपना धैर्य खोकर, गलतियाँ करने के स्थान पर अपना फ़ोकस अंतिम समय तक बरकरार रखें और असावधानियों से बचते हुए लक्ष्य प्राप्त करके ही दम ले।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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