top of page

नकारात्मकता, नकारात्मक रवैए से नहीं मिटती…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Apr 19, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, इस सोमवार इंदौर से दिल्ली जाने के लिए मैं सुबह एयरपोर्ट पहुँचा। वहाँ प्रस्थान द्वार पर प्राथमिक सुरक्षा जाँच के दौरान एक वृद्ध दम्पत्ति थोड़ी सी असहज स्थिति में दिखे। शायद वे अपना पहचान पत्र कहीं रख कर भूल गए थे। जब तक वे उसे खोज पाते तब तक प्रस्थान द्वार पर काफ़ी लम्बी लाइन लग गई। चूँकि सुबह का समय फ़्लाइट की दृष्टि से भी अत्यधिक व्यस्तता वाला रहता है, इसलिए कुछ यात्रियों और एक विशेष एयरलाइन के कर्मचारियों का धैर्य जवाब देने लगा और वे सुरक्षाकर्मियों और बुजुर्ग दम्पति को जल्दी करने या साइड में हटकर दूसरों को पहले अंदर जाने देने की माँग करने लगे।


इस 3-4 मिनिट की अनपेक्षित स्थिति और उस विशेष एयरलाइन कर्मचारियों के तल्ख़ व्यवहार ने वहाँ लाइन में लगे ज़्यादातर लोगों को सुबह-सुबह नकारात्मक विचारों से भर दिया था। ख़ैर कुछ ही देर में स्थिति सामान्य हुई और सभी यात्री काउंटर और सुरक्षा जाँच की और बढ़ गए। अचानक काफ़ी लोगों के पहुँचने से सुरक्षा जाँच पर काफ़ी भीड़ बड़ गई, जिसे नियंत्रित करने के लिए एक युवा सुरक्षा अधिकारी आगे आया और इसे नियंत्रित करने का प्रयास करने लगा। जैसे उसने सिक्योरिटी जाँच की गति बढ़ाने के लिए वहाँ लगी अतिरिक्त एक्सरे मशीन को चालू करवाया; लोगों को लाइन के पास खड़े होकर ट्रे में सामान रखने के स्थान पर, पीछे बने नियत स्थान पर जाने के लिए कहा, आदि। एक अधिकारी के इस सौम्य और संयमित व्यवहार के कारण कुछ ही मिनिटों में स्थिति सामान्य होना शुरू होने लगी। उसी वक्त एक सज्जन जो मेरी पास वाली लाइन में लगे थे, ने चिड़चिड़ाहट भरी ऊँची आवाज़ में उस युवा अधिकारी को ही नियम समझाना शुरू कर दिया, जिससे एक बार फिर वहाँ का माहौल नकारात्मकता से भर गया।


दोस्तों, मेरा मानना है कि कारण कुछ भी क्यों ना हो; बात कैसी भी क्यों ना हो, चिढ़ना, चिल्लाना या जोर से बोलना, ग़ुस्सा करना किसी भी समस्या या चुनौती का समाधान नहीं है। याद रखिएगा, जिस तरह आवाज़ से आवाज़ नहीं मिटती, उसके लिए तो हमें चुप्पी का ही सहारा लेना पड़ता है। ठीक उसी तरह नकारात्मकता, नकारात्मक रवैए से नहीं मिटती, उसके लिए हमें सकारात्मक सोच, नज़रिए और रवैए को अपनाना पड़ता है। उदाहरण के लिए जैसे उक्त एक यात्री के नकारात्मक व्यवहार से ना सिर्फ़ सुरक्षाकर्मी नाराज़ हुआ बल्कि पूरा माहौल भी ख़राब हुआ।


दोस्तों, चिढ़ना, चिल्लाना या जोर से बोलना, ग़ुस्सा करना ना सिर्फ़ आपके आस-पास के माहौल को ख़राब करता है अपितु आपको स्वयं को भी दुखी और परेशान करता है। इसके ठीक विपरीत अगर आप शांत और सकारात्मक रहते हैं, तो आप अपने आस-पास एक अच्छा माहौल निर्मित करते हुए, सुखी रहते हैं। याद रखिएगा साथियों, जिस तरह डाली से टूटे हुए फूल को फिर से डाली पर नहीं लगाया जा सकता है, उसी प्रकार ज़िंदगी में खोए हुए पल को भी वापस नहीं लाया जा सकता है। अगर बीता हुआ पल नकारात्मक होगा, तो आपके जीवन का तानाबाना नकारात्मकता के आस-पास होगा। लेकिन अगर आप अपने हर पल को सकारात्मक नज़रिए, हौसले और पूर्ण विश्वास के साथ जीते हैं, तो आप आने वाले हर पल को खूबसूरत बना सकते हैं।


दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य अपने जीवन को पूर्णता के साथ जीना है, तो आपको झूठ या नकारात्मकता के आधार पर पले-बड़े अहम से बचना होगा और सत्य की नींव पर अपने जीवन को संवारना होगा। बस सत्य के आधार पर जीवन जीते समय एक बात याद रखिएगा, सत्य कभी कड़वा नहीं होता। वह तो सिर्फ़ उन लोगों को कड़वा लगता है, जिनके जीवन की नींव झूठ और नकारात्मक रवैए पर बनती है। जिस तरह सुई कपड़ों को बेधते हुए चलती है, लेकिन अंत में उन्हें एक बेहतरीन लिबास का रूप दे देती है ठीक उसी तरह सत्य रूपी सुई का उद्देश्य भी आपके जीवन को संवारना होता है। तो आइए दोस्तों, आज से हम सबका कल्याण और भला करते हुए अपने जीवन को जीने का निर्णय लेते हैं और साथ ही यह भी सुनिश्चित करते हैं कि हम सेवा भाव, प्रेम और आदर सम्मान के भाव के साथ नेक काम करते हुए जीवन में आगे बढ़ें, ताकि हम अपने आसपास के माहौल और खुद के जीवन को सुंदर और सुख-शांति से भरा बना सकें।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

15 views0 comments

Comments


bottom of page