June 10, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरा मानना है कि जीवन है तो उतार-चढ़ाव, सफलता-असफलता और नकारात्मक-सकारात्मक अनुभवों का मिलना एकदम तय है और इसे रोकना या समय से पाना, आपके हाथ में नहीं है। लेकिन इससे मिलने वाले अनुभव आपके आने वाले जीवन को प्रभावित ना कर सकें, इसलिए ईश्वर ने आपको क्षमा करने की क्षमता दी है। इसलिए दोस्तों, क्षमा करने की क्षमता देने के लिए हमें हर पल ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिये। अपनी बात को मैं आपको गौतम बुद्ध से संबद्ध एक क़िस्से से समझाने का प्रयास करता हूँ।
एक दिन भगवान गौतम बुद्ध के सत्संग में एक बहुत क्रोधित व्यापारी आया। उसका मानना था कि बुद्ध सामाजिक तौर पर बहुत नुक़सान पहुँचा रहे हैं क्योंकि उनके आकर्षण या यूँ कहूँ चक्कर में आकर बड़ी संख्या में लोग काम-धाम छोड़ कर, ध्यान कर रहे हैं। वैसे इस व्यापारी के नाराज़ होने की एक और वजह थी। उसके बच्चे भी बुद्ध के आकर्षण या उनके द्वारा दी गई शिक्षा के प्रभाव में आकर अपना समय ध्यान में लगा रहे थे। उसका मानना था कि जिस उम्र में उन्हें अपना समय आजीविका कमाने के लिए, व्यापार में लगाना चाहिए था, उस समय वे सिर्फ़ ध्यान कर रहे हैं। उसका मानना था जो व्यक्ति दिन के चार घंटे आँखें बंद करके बैठा रहता है, उसके साथ बैठना सिर्फ़ और सिर्फ़ समय की बर्बादी है। उस दिन उसने निश्चय किया कि वो बुद्ध को सबक़ सिखाकर ही दम लेगा।
नकारात्मक भाव और क्रोध भरे हृदय के साथ वह बुद्ध को सबक़ सिखाने के लिए उनकी तरफ़ बढ़ा, लेकिन उनके नज़दीक पहुँचते ही उसके सभी नकारात्मक विचार ग़ायब हो गए। अब वह क्रोधित तो था, इसलिए ग़ुस्से से काँप रहा था, लेकिन बुद्ध के सामने होने के बाद भी कुछ बोल नहीं पा रहा था। अंत में जब उसने स्वयं को शब्दों में व्यक्त करने में असफल पाया, तो उसने बुद्ध के चेहरे पर थूक दिया। जिसे देख बुद्ध के साथ बैठे सभी शिष्य ग़ुस्से से भर गए, लेकिन स्वयं बुद्ध मुस्कुराने लगे।
ग़ुस्से से भरे सभी शिष्य उस व्यापारी को हाथों-हाथ सबक़ सिखा देना चाहते थे, लेकिन बुद्ध को मुस्कुराता देख कुछ कर नहीं पा रहे थे। असल में उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई बुद्ध के साथ ऐसा निंदनीय व्यवहार भी कर सकता है। लेकिन बुद्ध की मुस्कुराती शांति भरी प्रतिक्रिया को देख वे कुछ कर नहीं पाए। जब उस व्यापारी ने देखा कि उसकी हरकत पर बुद्ध मुस्कुरा रहे हैं और उनके शिष्य कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे रहे है, तो वो बिना कुछ बोले ही वहाँ से चला गया। असल में वो ग़ुस्से के कारण महसूस कर रहा था कि अगर मैं यहाँ कुछ देर और रुका तो अंदर ही अंदर फट जाऊँगा।
घर पहुँचने के काफ़ी देर बाद तक भी वह व्यापारी मुस्कुराते हुए बुद्ध की छवि को अपने दिमाग़ से मिटा नहीं पा रहा था। उसने अपने पूरे जीवन में पहली बार ऐसा इंसान देखा था जो अपमानजनक कृत्य पर भी इतनी असाधारण प्रतिक्रिया दे रहा हो। वह उस रात सो ना सका और रात भर के विचारों के मंथन ने उसके हृदय को हमेशा के लिए बदल दिया। अगले दिन वह व्यक्ति उठा, और जाकर सीधे बुद्ध के चरणों में गिर गया और बोला, ‘कृपया मुझे क्षमा करें! मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रहा हूँ।’ इस पर बुद्ध मुस्कुराते हुए बोले, ‘मैं आपको क्षमा नहीं कर सकता हूँ।
उनकी प्रतिक्रिया से वहाँ मौजूद सभी लोग स्तब्ध थे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि बुद्ध जैसे दयालु व्यक्ति जिन्होंने अपने आश्रम में बिना किसी भेदभाव के साथ सभी को स्वीकारा था। जिसे किसी के अतीत से कोई मतलब नहीं था, वह इस व्यापारी को कह रहा है कि वह उसे उसके व्यवहार के लिए क्षमा नहीं कर सकता है।
सभी मौजूद लोगों को सदमे में देख बुद्ध बोले, ‘जब तुमने कुछ ग़लत किया ही नहीं तो मैं तुम्हें किस बात के लिए क्षमा करूँ?’ व्यापारी बोला, ‘कल की सभा में मैंने ही आपके ऊपर थूका था।’ उसके जवाब को सुन बुद्ध बोले, ‘आज यहाँ ना तो वो व्यक्ति मौजूद है जिसने थूका था और ना ही वह मौजूद है जिसके ऊपर थूका गया था। यदि मैं कभी उस व्यक्ति से मिला जिस पर थूका गया था तो मैं उसे थूकने वाले इंसान को क्षमा करने के लिए कहूँगा। इस वक़्त जो व्यक्ति मेरे सामने खड़ा है, वह एक अद्भुत व्यक्ति हैं। जिसने कोई गलत कार्य नहीं किया है।’ इतना कहकर बुद्ध वापस से अपनी सभा में व्यस्त हो गये।
दोस्तों अब आप निश्चित तौर पर क्षमा की शक्ति को समझ ही गए होंगे। दोस्तों, सच्ची क्षमा तब होती है, जब हम किसी व्यक्ति को क्षमा कर देते हैं और उसे पता भी नहीं चलता कि वह क्षमा किया जा रहा है। उन्हें गलती के लिए दोषी भी महसूस नहीं कराना चाहिए। यह सच्ची क्षमा है। अगर हम किसी को माफ कर देते हैं और उन्हें उनकी गलती की याद दिलाते रहते हैं और उन्हें हर समय दोषी महसूस कराते हैं, तो इसका अर्थ यह है कि, हमने वास्तव में अभी तक उन्हें क्षमा नहीं किया है।
याद रखियेगा किसी भी व्यक्ति के लिए अपराध बोध का होना ही पर्याप्त सजा है। इसीलिए मैंने पूर्व में कहा था कि ‘किसी के साथ हुए कटु अनुभव के भावनात्मक बोझ से छुटकारा पाने का एकमात्र उपाय, उसे दिल से भुलाकर क्षमा कर देना है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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