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नकारात्मक भावनाओं को डील करने के 10 सूत्र

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Feb 8, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, ज़िंदगी हर पल एक समान चल ही नहीं सकती है। इसमें कभी आपको अपनी इच्छा और योजना के अनुरूप परिणाम मिलेंगे तो कभी ठीक उसके विपरीत। इच्छा और योजना के अनुरूप मिले परिणाम जहाँ आपके जीवन को सकारात्मक भाव से भरेंगे, वहीं इच्छा और योजना के विपरीत परिणाम आपको नकारात्मक भावनाओं से भर देंगे। जीवन हमेशा ऐसे ही दोनों भावों के बीच चलता है। इसका सीधा-सीधा अर्थ हुआ सकारात्मक भावनाओं की तरह ही गुस्सा, दुख, चिंता या निराशा जैसे नकारात्मक भावों का हमारे जीवन में होना पूर्णतः सामान्य है। अर्थात् नकारात्मक भावनाओं से पूरी तरह बच कर जीना असल में संभव ही नहीं है। लेकिन अगर आपका लक्ष्य पूर्णता के साथ अपने जीवन को जीना है, तो आपको इन नकारात्मक भावनाओं को प्रभावी तरीके से डील कर जीवन में आगे बढ़ना सीखना होगा। आइए आज हम इन्हें प्रभावी तरीके से डील करने के 10 सूत्र सीखते हैं-


पहला सूत्र - भावनाओं को पहचानें और स्वीकार करें

असफलता, अनिश्चितता या किसी भी तरह के नकारात्मक दौर में लोग अक्सर मन में उपजे नकारात्मक भावों को नकारने या नजरअंदाज करने का प्रयास करते हैं, जो सही नहीं है। इसके स्थान पर आपके मन में जैसी भी भावनाएँ हैं सर्वप्रथम उन्हें पहचानें और स्वीकारें। मान लीजिए आप गुस्से का अनुभव कर रहे हैं तो ख़ुद से कहें, ‘मैं अभी गुस्से में हूँ…’ और चिंता का अनुभव कर रहे हैं, तो कहें, ‘अभी मैं चिंतित महसूस कर रहा हूँ…’ जब आप अपनी भावनाओं को समझने और स्वीकार करने लगते हैं, तो उन्हें सम्भालना आसान हो जाता है।


दूसरा सूत्र - गहरी सांस लें

नकारात्मक भावनाएँ अक्सर हमें तनावग्रस्त बनाती है। ऐसे में अपने मस्तिष्क को शांत बनाए रखने के लिए गहरी सांस लेना लाभप्रद होता है। गहरी सांस से अधिकतम लाभ लेने के लिए आप 4-7-8 की तकनीक को आजमा सकते हैं। अर्थात् 4 सेकंड तक गहरी साँस लें, फिर 7 सेकंड तक अपनी साँस को रोकें और अंत में 8 सेकंड में धीरे-धीरे साँस छोड़ें। ऐसा करना आपको तनाव को दूर करके शांत रहने में मदद करेगा।


तीसरा सूत्र - व्यायाम करें और शरीर को गतिशील रखें

गतिशील रहना और व्यायाम करना ना सिर्फ आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है, बल्कि शरीर में ख़ुशी के हार्मोन एंडोर्फिन को रिलीज करता है। खुश मन अपने आप ही नकारात्मक भावों को कम करता है। इसलिए प्रतिदिन योगा करें, दौड़ें और यह संभव ना हो तो कम से कम 30 मिनिट तेज चलें।


चौथा सूत्र - विचारों को चुनौती दें

विचार, सोच को और सोच भाव को जन्म देते हैं। अर्थात् नकारात्मक विचारों से नकारात्मक भावनाएँ और सकारात्मक विचारों से सकारात्मक भावनाएँ जन्म लेती है। इसलिए नकारात्मक विचारों को चुनौती देकर सकारात्मक विचारों से बदला जा सकता है। इसलिए जब भी मन में कोई नकारात्मक विचार आए या कोई समस्या विचलित करे तो स्वयं से पूछें, ‘क्या यह समस्या वास्तव में इतनी बड़ी है?’ ऐसे प्रश्न आपको अपने विचारों को सकारात्मक दिशा देने में मदद करेंगे।


पाँचवाँ सूत्र - ध्यान करें

ध्यान करना हमारे अंतर्मन को शांत करता है और शांत मन से नकारात्मकता पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। इसलिए प्रतिदिन माइंडफुलनेस मेडिटेशन का अभ्यास करें, जिससे आप अपने वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।


छठा सूत्र - कृतज्ञ रहें

प्रतिदिन कम से कम उन तीन चीजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें, जिनके लिए आप आभारी हैं। आभार व्यक्त करना आपके मन में सकारात्मक भावों को जन्म देकर नकारात्मकता को डील करने में मदद करता है।


सातवां सूत्र - रचनात्मक कार्यों में ख़ुद को व्यस्त करें

नकारात्मक भावनाओं से अपना ध्यान हटाने के लिए ख़ुद को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त करना एक अच्छा उपाय है। अर्थात् जब भी नकारात्मक भावनाएँ आपको परेशान कर रही हों तब आप संगीत सुनकर, गाने गाकर, किताबें पढ़कर, लिखकर या कोई रचनात्मक स्किल सीख कर अपना ध्यान वहाँ से हटा सकते हैं या यूँ कहूँ अपना मूड ठीक कर सकते हैं।


आठवाँ सूत्र - अपनों से मिलें या बातें करें

नकारात्मक भावनाओं को किसी भरोसेमंद दोस्त, परिवार के सदस्य या सलाहकार से साझा करना मन को हल्का करने में मदद करता है और साथ ही समस्या के समाधान के लिए आपको अलग-अलग उपाय सुझाता है।


नवाँ सूत्र - स्वास्थ्य का ध्यान रखें

स्वस्थ शरीर ना सिर्फ़ नकारात्मक भावनाओं को बढ़ने से रोकता है, बल्कि उन्हें बेहतर तरीके से डील करने में भी मदद करता है। इसलिए संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लें। इसीलिए कहा जाता है, ‘स्वस्थ रहें, मस्त रहें!’


दसवाँ सूत्र - पेशेवर सहायता लें

उपरोक्त सूत्रों को काम में लेने के बाद भी अगर नकारात्मक भावनाएँ लंबे समय तक बनी रहती हैं और आपकी दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं, तो किसी मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से सलाह लेना एक अच्छा विचार है। यह समस्या को बढ़ने से रोककर आपको बेहतर ज़िंदगी जीने में मदद करता है।


अंत में इतना ही कहना चाहूँगा दोस्तों कि नकारात्मक भावनाएँ पूरी तरह से खत्म नहीं होतीं, लेकिन इन्हें नियंत्रित करना और सकारात्मकता में बदलना हमारी जिम्मेदारी है। धैर्य और निरंतर प्रयास से आप अपने भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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