Nov 26, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, दैनिक जीवन में घटने वाली कई घटनायें हमें जीवन को खुलकर जीने के कई महत्वपूर्ण सूत्र इतने साधारण तरीक़े से सिखाती है कि हम उन्हें अक्सर समझ ही नहीं पाते हैं या कई बार उन्हें नज़रंदाज़ कर जाते हैं। जैसे, हम सभी जानते हैं कि सोने को गहने के रूप में ढालने के लिए हमें पहले उसे गलाना पढ़ता है याने सोने को तपाये बिना उसे गहनों का सुंदर रूप नहीं दिया जा सकता है। ठीक इसी तरह दीवार पर रंग अच्छे से चढ़ जाए इसलिए उसे पहले घिस कर अच्छे से धोया जाता है। याने नए रंग को चढ़ाने के पहले पुराने रंग को पहले घिस कर, फिर धोकर साफ़ किया जाता है।
आप भी सोच रहे होंगे ना कि मैं सीधे-सीधे बातों को क्यों और ज़्यादा उलझा कर बता रहा हूँ। तो थोड़ी देर और रुकिए और ज़रा मुझे इसे थोड़ा और पहेलीनुमा बना लेने दीजिए या थोड़ा और उलझा लेने दीजिए क्योंकि उलझे बिना सुलझना संभव नहीं है। तो चलिए थोड़े सांकेतिक उदाहरण और ले लेते हैं। दोपहर के तपते सूरज के सामने अगर धुँध आ जाए तो दिन में भी रात जैसे अंधेरा हो सकता है और इसी तरह अगर जलते अंगारे पर राख की परत जम जाए, तो आग भी गर्मी का एहसास देना कम कर देती है। इसी तरह अगर आईना गंदा हो जाए तो साफ़ छवि दिखना बंद हो जाती है। बादल सूरज-चंद्रमा की रोशनी को हमारे पास पहुँचने से रोक सकते हैं और वातावरण में अगर धुँध छा जाए तो कुछ दूरी पर रखी वस्तुएँ भी दिखना बंद हो सकती है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो इन सब उदाहरणों के ज़रिए प्रकृति हमें सिखाना चाहती है कि आप कितने भी ज्ञानी, विशेषज्ञ, शक्तिशाली या असीम क्षमताओं के धनी क्यों ना हों, अंतर्मन में छाई ज़रा सी धुँध, सब पर पानी फेर सकती है। जी हाँ दोस्तों, अगर हम नकारात्मक भावों जैसे अहंकार, लोभ, मोह आदि के जाल में उलझ जाएँ तो उपरोक्त वर्णित सभी विशेषताएँ हमारे अंदर होते हुए भी; ना होने के समान हो जाएँगी। यह स्थिति बिल्कुल उस बंधुआ मज़दूर समान हो सकती है जिसमें शक्तियाँ तो तमाम हैं, लेकिन मानसिक ग़ुलामी के कारण वह कर कुछ नहीं पा रहा है। वैसे इसे आप पतली सी ज़ंजीर से बंधे हाथी के उदाहरण से भी समझ सकते हैं। जिसने पुरानी नकारात्मक यादों के चलते अपनी मौलिक शक्ति और पराक्रम को भुला दिया है।अब वह उसी प्रकार उठने, बैठने और चलने को विवश है, जैसा कि उसे बांधने वाला कमजोर महावत चाहता है। वह उस असीम शक्तियों के मालिक हाथी को डरा-धमका कर या दबा कर करतब करने के लिए भी राज़ी कर लेता है।
जी हाँ दोस्तों, नकारात्मक भावों के बंधन में बंधकर हमारा जीवन भी कठपुतली समान हो जाता है। हम अपनी क्षमताओं को भूलकर किसी और के इशारे पर नाचना शुरू कर देते हैं। अगर आप वाक़ई अपनी क्षमताओं का सही उपयोग कर, अपने जीवन को पूर्णता के साथ जीना चाहते हैं, तो सबसे पहले नकारात्मक भावों के बंधन में बंधी अपनी सोच को आज़ाद करो। इसके लिए आपको अपने विचारों को अच्छा और शुद्ध बनाना होगा। यह स्थिति सोने को गहने के रूप में ढालने के पहले गलाए जाने समान होगी। दूसरे शब्दों में कहूँ दोस्तों, तो बिना नकारात्मक भावों की धुँध को हटाए, अपनी क्षमताओं की चमक को देख पाना असंभव है। एक बार विचार कर देखियेगा ज़रूर…
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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