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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

निश्चित सफलता के लिए बनाएँ अपना संविधान…

Jan 26, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, सर्वप्रथम तो आप सभी को हमारे देश के 74 वें गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। आज का दिन हमारे याने भारतीय इतिहास में विशेष स्थान रखता है। इसीलिए इसे हम राष्ट्रीय पर्व के रूप में उत्साह और गर्व के साथ मनाते हैं। वैसे तो आप सभी जानते हैं फिर भी मैं एक बार दोहराना चाहूँगा, 15 अगस्त 1947 को आज़ाद होने के 2 साल 11 महीने और 18 दिन बाद हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया था। हमारे संविधान को बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की अध्यक्षता में संविधान पीठ द्वारा देश को सुचारु रूप से चलाने के उद्देश्य से बहुत सोच समझ कर बनाया गया था।


साथियों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, इसमें करीब एक लाख 50 हजार शब्द हैं। संविधान लेखन की डिजाइन प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा द्वारा तैयार की गई थी एवं इसकी साज-सज्जा का कार्य नंदलाल बोस द्वारा किया गया है। भारतीय संविधान में हमारे मूलभूत अधिकार के साथ कुछ कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो संविधान कुछ नियम, क़ायदे, क़ानून के साथ देश को सही दिशा देकर सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है।


कर देखिएगा दोस्तों नियम, कानून, अधिकार और कर्तव्य निर्धारित कर अगर इतना बड़ा देश चलाया जा सकता है, तो क्या इसी सूत्र की सहायता से हम अपने जीवन, अपने परिवार, अपने सपनों, अपने प्रोफ़ेशन, अपनी संस्था को नई और सही दिशा नहीं दे सकते? बिलकुल दे सकते है और यही तो सफलता का वो फ़ार्मूला है, जिसे नए नए नाम से, सालों से हर क्षेत्र में सफलतापूर्वक आज़माया जा रहा है फिर चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या खेल का या फिर व्यवसाय का अथवा व्यक्तिगत सफलता का। चलिए, अपनी बात को मैं आपको दो से समझाने का प्रयास करता हूँ-


पहला उदाहरण - होटल में पकाने वाले को हम शेफ़ कहते हैं, लेकिन अगर वही खाना हम बनाएँ तो हम शेफ़ नहीं कहलाते। आख़िर वह कौनसी बात है जो एक शेफ़ को कुक से अलग बनाती है? चलिए एक हिंट और देता हूँ, शेफ़ का बनाया खाना हर बार एक जैसा स्वाद देता है, लेकिन कुक के द्वारा बनाए खाने के स्वाद में हर बार थोड़ा बहुत अंतर आता है। सोच कर देखिए, ऐसा क्यों होता है?


दूसरा उदाहरण - एक फ़ैक्टरी रोज़ एक ही तरह के लाखों उत्पाद बनाती है और उसका हर उत्पाद क्वालिटी, क्वांटिटी, पैकिंग, लुक्स आदि में बिलकुल एक जैसा होता है, जबकि व्यक्तिगत तौर पर हमारे द्वारा किए गए छोटे से कार्य में भी अंतर आ जाता है। बताइए क्यों?


असल में दोस्तों, हर संस्थान द्वारा सफलता पाने का एक रोडमैप बनाया जाता है, जिसमें उसमें सफलता के लिए आवश्यक हर छोटी से छोटी स्टेप को बारीकी से लिख दिया जाता है। जब भी कोई उन स्टेप्स पर बिंदु दर बिंदु, बारीकी से कार्य करता है, सफल हो जाता है। उदाहरण के लिए एक शेफ़ एक डिश को कितनी भी बार बनाए उसका स्वाद हमेशा एक जैसा सिर्फ़ इसलिए रख पाता है क्योंकि वह उस डिश को बनाने वाली हर सामग्री को तय वजन के अनुसार काम में लेता है और उसे तय समय तक, तय तापमान पर पकाता है।


ठीक इसी तरह दूसरे उदाहरण में कोई भी फ़ैक्टरी एक जैसा सामान इसलिए बना या दे पाती है क्योंकि वह भी पहले से तय स्टेप्स, जिसे तकनीकी भाषा में एस॰ओ॰पी॰ याने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर कहा जाता है, के अनुसार करती है। ठीक इसी तरह दोस्तों, अगर आप पढ़ाई, कैरियर, व्यवसाय, रिश्ते आदि किसी भी क्षेत्र में अपनी सफलता का रोडमैप तैयार कर लें और फिर उस रोडमैप को अपने जीवन मूल्य के अनुसार नियम निर्धारित करते हुए उसके अनुसार अपना जीवन जीना प्रारम्भ कर दें, तो जल्द ही सफलता आपके कदम चूमेंगी। नियमों के अनुसार जीवन जीते हुए दोस्तों, बस एक बात याद रखिएगा, नियम हमें बांधते नहीं हैं अपितु व्यवस्थित याने ऑर्गनाइज्ड जीवन जीने में मदद करते हैं। वैसे दोस्तों जीवन जीने के इन्हीं नियमों को आपका-अपना, अपने जीवन को बेहतर बनाने वाला संविधान कहा जा सकता है, सोच कर देखिएगा। एक बार फिर आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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