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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

नैतिकता से बढ़ाएँ अपनी प्रतिष्ठा…

July 24, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, इस भौतिक युग में नैतिकता की बातें आजकल सामान्य लोगों को व्यर्थ नज़र आती है। जबकि मेरा मानना है कि आज भी नैतिक मूल्य आधारित जीवन जीना, व्यवसाय या नौकरी करना अथवा अपनी अन्य ज़िम्मेदारियों को निभाना लंबे समय में आपके लिये लाभप्रद रहता है क्योंकि ऐसा करना आपको लालच, अहंकार, झूठ पर आधारित जीवन जीने से बचाता है। चलिए अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात कई साल पुरानी है एक ख्याति प्राप्त पहलवान ने २ लाख इक्यावन हज़ार की इनामी कुश्ती जीतने के बाद एलान किया कि अगर भीड़ में मौजूद कोई भी व्यक्ति उसे हरा देगा तो वह उसे ५ लाख का इनाम देगा और अगर चुनौती देने वाला उसे नहीं हरा पाया तो उसे । पहलवान के मुख से अहंकार भरी घोषणा सुन लोग आपस में बातें करने लग गये, कोई पहलवान के पक्ष में बोल रहा था तो कोई उसके विरुद्ध। लोगों को आपस में उलझता देख वहाँ मौजूद एक शख़्स ने इस समस्या का समाधान निकालने और पहलवान को झूठ और अहंकार पर आधारित सोच का नुक़सान बताने का निर्णय लिया और कुश्ती की रिंग में कूद पड़ा।


दुबले-पतले, कमजोर से आदमी को चुनौती देता देख पहलवान ज़ोर से हंसने लगा और अहंकार के साथ लगभग चिल्लाता हुआ बोला, ‘तू चुनौती देगा मुझे? एक हाथ जोर से लग गया तो हड्डी-पसली सब टूट जाएगी। होश में तो है ना…’ पहलवान की बात को हंसी में उड़ाता देख यह शख़्स पहले तो भीड़ की तरफ़ देख कर हाथ हिलाने लगा, फिर चतुराई से काम लेता हुआ पहलवान के समीप पहुँचा और धीरे से उसके कान में बोला, ‘अरे पहलवान जी, आप भी कहाँ मुझे गंभीरता से ले रहे हैं। मैं कोई आपके सामने टिक थोड़ी पाऊँगा। आप बस यह कुश्ती हार जाओ, मैं आपको इनाम के सारे पैसे तो दूँगा ही और साथ में ५ लाख रुपये अतिरिक्त भी दूँगा। आप कल मेरे घर आकर सारे रुपये ले जा सकते हैं। वैसे भी एक हार से आपको क्या फ़र्क़ पड़ेगा? सब जानते हैं कि आप कितने महान हैं, एक बार हारने से आपकी ख्याति कम थोड़े ही हो जाएगी।’


पहलवान को उस दुबले-पतले आदमी की बात जँच जाती है। कुश्ती शुरू होने पर पहलवान कुछ देर तो लड़ने का नाटक करता है और फिर हार जाता है। यह देख सभी लोग उसकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं और उसे घोर निंदा का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर दुबला-पतला शख़्स इनाम लेकर लौट आता है। अगले दिन लोगों से आँख बचाते हुए पहलवान उस दुबले-पतले शख़्स के यहाँ जाता है और उससे इनामी राशि के साथ अतिरिक्त पाँच लाख रुपये माँगता है। दुबला-पतला व्यक्ति आश्चर्य मिश्रित भाव के साथ पहलवान से पूछता है, ‘कौन से पैसे पहलवान जी?’ पहलवान आश्चर्य के साथ बोलता है, ‘वही जो कल कुश्ती के मैदान में आपने मुझे देने का वादा किया था। दुबला व्यक्ति ज़ोर से हंसते हुए बोला, ‘वह तो मैदान की बात थी, जहाँ तुम अपने दाँव-पेंच लगा रहे थे और मैं अपना… इस बार मेरे दांव-पेंच तुम पर भारी पड़े और मैं जीत गया। बात ख़त्म।'


दोस्तों, अब आप समझ ही गए होंगे किसी भी तरह का लालच कैसे एक मिनिट में वर्षों के परिश्रम से कमाई दौलत और प्रतिष्ठा को धूल में मिला सकता है। हो सकता है आप में से कुछ लोग मेरी बात से सहमत ना हों और आप ही में से कुछ लोगों का यह मानना भी हो सकता है कि आज के युग में तो सफलता का एक ही सूत्र चलता है, ‘बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया!’, तो मैं कहना चाहूँगा कि स्थिर लक्ष्मी भी नैतिक मूल्यों पर चल कर ही कमाई जा सकती है क्योंकि वर्षों तक नैतिकता से किए गए कार्य ही बाज़ार में आपकी प्रतिष्ठा स्थापित करते हैं और यही प्रतिष्ठा आपके लिये मान-सम्मान और धन लेकर आती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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