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नैतिक मूल्य विकसित करने के 5 प्रमुख सूत्र…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Feb 26, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, तकनीकी प्रगति, सोशल मीडिया, और उपभोक्तावाद के बढ़ते प्रभाव के कारण तेजी से बदलती और प्रतिस्पर्धी दुनिया में नैतिक मूल्य ही एकमात्र ऐसी चीज है, जो हमारे बच्चों को ना सिर्फ़ एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सही निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं। इसलिए उन्हें नैतिक मूल्यों से परिचित करवाना और उनके साथ जीने के लिए प्रेरित करना हर माता-पिता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इसके बिना भविष्य में अच्छे समाज की कल्पना करना, संभव नहीं होगा। नैतिक मूल्य सिखाते वक्त बस आपको समाज में आए आपके बदलाव को ध्यान में रखना होगा। जैसे, पहले हम बच्चों को मानवीय मूल्यों के साथ जीना सिखाते थे। लेकिन अब आपको मानवीय मूल्यों के साथ उन्हें प्रौद्योगिकी का उपयोग सही तरीके से करना सिखाना होगा। जिससे वे आज की इस डिजिटल दुनिया याने सोशल मीडिया, मेटावर्स और एआई के जमाने में दूसरों का सम्मान करना सीखें। इसी तरह हमें उन्हें इंसानों को परखने के साथ, ऑनलाइन जानकारी की सच्चाई को परखने और अपनी प्राइवेसी बनाए रखने के महत्व को समझाना होगा। जिससे वे सही और गलत के बीच के फर्क को समझने के साथ, नैतिक मूल्यों को उनके जीवन का हिस्सा बनाएं।


ऐसा करना वाक़ई महत्वपूर्ण है दोस्तों क्योंकि जीवन मूल्य किसी भी व्यक्ति के चरित्र की नींव होते हैं। ये तय करते हैं कि हमारा सामाजिक व्यवहार कैसा होगा और हम जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे। नैतिक मूल्य जैसे ईमानदारी, करुणा, सम्मान, और कृतज्ञता न केवल बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाते हैं, बल्कि उनके भविष्य को भी सुरक्षित और सफल बनाते हैं। आइए अब हम बच्चों में नैतिक मूल्य विकसित करने के 5 प्रमुख सूत्र सीखते हैं-


पहला सूत्र - बच्चों के रोल मॉडल बनें

बच्चे कहीं हुई बातों के मुक़ाबले हमारे व्यवहार से ज्यादा सीखते हैं। अर्थात् वे माता-पिता को जिस तरह व्यवहार करता देखते हैं, वे वैसे ही बन जाते हैं। अगर आप अपने व्यवहार में ईमानदारी, करुणा, और धैर्य का प्रदर्शन करते हैं, तो बच्चे इन गुणों को जल्दी अपनाते हैं। उदाहरण के लिए, बच्चों के सामने अपनी गलती पर पर्दा डालने के स्थान पर उसे तत्काल स्वीकारें। इससे बच्चे ईमानदारी का महत्व समझेंगे। हमेशा समाज में दूसरों के प्रति दयालुता दिखाएं, इससे वे करुणा का महत्व जान पाएंगे। इसी तरह आप बच्चों को आभासी याने वर्चुअल दुनिया में किस तरह व्यवहार करना है, भी सीखा सकते हैं।


दूसरा सूत्र - कहानियों का सहारा लें

नैतिक कहानियाँ बच्चों के दिमाग में गहराई तक उतरती हैं। इसलिए महाभारत, रामायण और पंचतंत्र की कहानियाँ सुनाकर बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाया जा सकता है। जब भी आप बच्चों को कहानी सुनाएँ उसके अंत में उनसे पूछें कि इस कहानी से क्या संदेश मिलता है। ऐसा करके आप उन्हें सही मूल्य सीखने में मदद कर सकते हैं। मेरी नजर में कहानी सुनाने का सर्वोत्तम समय रात्रि, सोने से पहले का है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रात का अंतिम विचार, अगले दिन का पहला विचार होता है। अर्थात् पूरी रात हमारा अवचेतन मन रात के अंतिम विचार पर कार्य करता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो आप कहानियों के ज़रिए बच्चों के अवचेतन मन को भी मूल्यों के आधार पर प्रोग्राम कर सकते हैं।


तीसरा सूत्र - बच्चों को ज़िम्मेदार बनायें

जिम्मेदारी को निभाना बच्चों में अनुशासन और ईमानदारी के गुण विकसित करता है। इसलिए उन्हें रोजमर्रा के छोटे-मोटे काम सौंपें। जैसे, अपने कमरे को साफ रखना या परिवार के किसी सदस्य की मदद करना। साथ ही जिम्मेदारी निभाने पर बच्चे की सराहना करना सुनिश्चित करें। ऐसा करना उन्हें जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार करता है।


चौथा सूत्र - सम्मान और सहानुभूति रखना सिखाएँ

बच्चों को समाज के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखना सिखाना, समाज को भावनात्मक रूप से जोड़े रखने के लिए आवश्यक है। इसलिए बच्चों को हर किसी के प्रति, फिर चाहे वे बुजुर्ग हों या मित्र या फिर समाज में काम करने वाले लोग, सभी के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखना सिखायें; उन्हें दूसरों की बातों को सुनने और उनकी भावनाओं को समझने के लिए प्रेरित करें।


पाँचवाँ सूत्र - ईमानदारी और सच्चाई का महत्व समझाएं

बच्चों को समझाएं कि झूठ बोलने से न केवल उनका विश्वास टूटता है, बल्कि उनका खुद पर भरोसा भी कमजोर होता है। इसलिए हमेशा ईमानदारी और सच्चाई के साथ जियें। वैसे ऐसा सिखाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका बच्चों के साथ ईमानदारी के साथ संवाद बनाए रखना है। इसी तरह उनके द्वारा गलती करने पर उन्हें सजा देने या डाँटने के स्थान पर गलती के परिणाम सिखायें।


अंत में दोस्तों, मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि बच्चों को जीवन मूल्यों या नैतिक मूल्यों के साथ बड़ा करना एक लंबी लेकिन बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। लेकिन आज के युग में, जहाँ तेजी से नैतिकता का ह्रास हो रहा है, यह अति महत्वपूर्ण हो जाता है। इसलिए यह माता-पिता और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के जीवन में ऐसे मूल्य डालें, जो उन्हें एक मजबूत, दयालु और ईमानदार व्यक्ति बनाए। याद रखें, मजबूत नैतिक मूल्यों के साथ बड़ा हुआ बच्चा ही आने वाले समाज का सच्चा नेता और आधार बनेगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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