परिवर्तन को अपनाएं, जीवन को सजाएं !!!
- Nirmal Bhatnagar

- Jul 17
- 3 min read
July 17, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, जीवन एक ऐसी यात्रा है जो सदैव बदलाव के साथ चलती है। जिसमें हर मोड़, हर रास्ता, हर मंजिल अपने साथ कुछ ना कुछ नया लेकर आता है। कई बार यह नयापन हमारी सोच या आशा के अनुरूप होता है, तो कई बार उसके ठीक विपरीत, तो कभी बिल्कुल ही कुछ नया। ऐसी स्थिति में इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य होता है, हर हाल में ख़ुद को ख़ुश रखना क्योंकि जब हमारी ख़ुशी का रिमोट या चाबी किसी और के हाथों में होता है, तो हम उसी के अनुसार अपने जीवन को जीते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो सामने वाला जब चाहे हमें तब ख़ुश और जब चाहे तब उदास कर सकता है। इसलिए दोस्तों मेरा मानना है कि हमारा रिमोट या हमारी चाबी हमेशा हमारे अपने हाथों में होना चाहिए।
वैसे दोस्तों, मैं कोई नई बात नहीं बता रहा हूँ। हम में से ज्यादातर लोग यह बात जानते हैं लेकिन उसके बाद भी अक्सर सोचते हैं कि अगर कोई हमारी तारीफ करे, तो हम खुश होंगे; कोई हमारा ख्याल रखे, तो हम संतुष्ट होंगे। लेकिन ऐसा सोचकर हम अपने सुख को दूसरों की मुहर पर निर्भर बना देते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि खुश रहना एक व्यक्तिगत निर्णय है, जो बाहर से नहीं, भीतर से आता है।
इसके लिए सबसे पहले आपको स्वीकारना होगा कि ख़ुशी का सीधा-सीधा संबंध परिवर्तन से है। परिवर्तन याने बदलाव, जो हमारे जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि अगर परिवर्तन न हो, तो हमारा जीवन ठहराव में बदल जायेगा। इसलिए जब भी जीवन में बदलाव आए, तो उसे डरकर नहीं, खुले दिल से अपनाएं क्योंकि हर परिवर्तन आपको बेहतर बनने और अच्छे से जीवन जीने का मौक़ा देता है। जैसे कुछ परिवर्तन आपके जीवन को नई ऊंचाई पर ले जाते हैं। अर्थात् ये परिवर्तन हमें सफलता की ओर बढ़ाते हैं। वहीं इसके विपरीत कुछ परिवर्तन हमारे लिए चुनौती बनकर आते हैं और यही चुनौतियाँ हमें सिखाती है, मजबूत बनाती है और अंततः आत्मनिर्भर बनने में मदद करती हैं।
जी हाँ दोस्तों, जीवन में जब कभी अचानक से अनपेक्षित बदलाव आए तब उसे शिक्षा के रूप में स्वीकार लेना श्रेयस्कर होता है। उदाहरण के लिए अचानक नौकरी छूटने या किसी रिश्ते का अंत होने या फिर कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर टूट जाना सामान्य है, लेकिन अगर आप उस परिवर्तन को स्वीकार लें और उससे शिक्षा लेकर जीवन में आगे बढ़ें, तो वही अनुभव हमें भविष्य की नई शुरुआत के लिए तैयार करता है।
दोस्तों, जीवन का हर अनुभव हमें कुछ सिखाता है। अगर सफलता मिली, तो आगे बढ़ने का हौसला मिलता है और अगर असफलता मिली, तो उस असफलता से सीखकर आगे बढ़ने का मार्ग साफ होता है। इसलिए एक बात हमेशा याद रखें, खुशी स्थायी नहीं होती, परंतु संतोष जीवन को स्थायित्व देता है। जब हम खुद को स्वीकार करते हैं, अपने अंदर के उतार-चढ़ाव को समझते हैं, तो हम दूसरों की अपेक्षा से मुक्त हो जाते हैं। इसलिए दोस्तों, परिवर्तन चाहे जैसा भी हो, उसमें छिपे अवसर को पहचानें और उसे अपनायें।
साथ ही खुद को खुश रखना सीखें; खुद की प्रशंसा करें; खुद को समय दें और खुद पर विश्वास रखें। याद रखें, जब आप अपनी खुशी के लिए स्वयं उत्तरदायी बनते हैं, तो जीवन का हर परिवर्तन आपको या तो सफलता की ओर ले जाता है या फिर सफलता के लिए तैयार करता है और दोस्तों, यही सार्थक, संतुलित और सुखद जीवन का मूल मंत्र है। कुल मिलाकर कहूँ तो दोस्तों, हर हाल में खुश रहना हमारी स्वयं की जिम्मेदारी है, किसी और की नहीं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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