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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

परिवर्तन: संसार का अटल नियम

Nov 11, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

यकीन मानियेगा दोस्तों, इस दुनिया में परिवर्तन के सिवा कुछ भी शाश्वत नहीं है। फिर चाहे आप प्रकृति को ले लें या रिश्तों को, जीवन को ले लें फिर ऋतुओं को। परिवर्तन ही संसार का सबसे महत्वपूर्ण और अटल नियम है। यह नियम प्रकृति से लेकर मानव जीवन और समाज तक, हर जगह समान रूप से लागू होता है। आप चाहें फिर ऋतुओं के चक्र से दिन रात के क्रम या फिर जन्म से मृत्यु तक की यात्रा किसी भी चीज को देख लो। हर जगह आपको यही नियम स्पष्ट तौर पर नजर आएगा और इसी नियम की वजह से संसार में प्रगति स्पष्ट तौर पर नजर आएगी। चलिए, आज हम इस नियम को प्रकृति, मानव जीवन और सामाजिक पहलू के आधार पर देखते हैं।


प्रकृति और परिवर्तन

ईश्वर द्वारा निर्मित इस पृथ्वी पर सबसे नियमित कोई परिवर्तन का चक्र है तो वह प्रकृति का परिवर्तन चक्र है। मौसम बदलते हैं, दिन-रात होते हैं, वृक्ष अपने पत्ते बदलते हैं। पृथ्वी पर हर बदलाव में संतुलन बनाए रखने की शक्ति होती है। उदाहरण के लिए, जब गर्मी के मौसम से पूर्व पत्ते झड़ने लगते हैं और तेज गर्मी आते-आते पेड़ अधिक हरे-भरे हो जाते हैं। ऋतुओं का यह चक्र हमें सिखाता है कि परिवर्तन आवश्यक है और यही प्रक्रिया जीवन के हर पहलू में लागू होती है। बिना परिवर्तन के, यह संसार स्थिर हो जाएगा, और प्रगति की संभावनाएँ समाप्त हो जाएँगी।


मानव जीवन और परिवर्तन

जिस तरह हमने देखा प्रकृति का परिवर्तन इस लोक के लिए महत्वपूर्ण है, ठीक उसी तरह मनुष्य के जीवन में भी परिवर्तन का बहुत महत्व है। जन्म से लेकर मृत्यु तक, हर इंसान का जीवन अनेक बदलावों से गुजरता है। जब एक शिशु जन्म लेता है, तो वह धीरे-धीरे बढ़ता है, किशोरावस्था में प्रवेश करता है, युवा होता है, और अंततः बुढ़ापे की ओर बढ़ता है। इस यात्रा में उसका व्यक्तित्व, उसके विचार, और यहाँ तक कि उसके शरीर में भी बदलाव आते हैं और इन बदलावों के बिना मानव जीवन की पूर्णता की कल्पना करना संभव नहीं है। मेरी नजर में यह बदलाव सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक भी होते हैं। जीवन में मिलने वाली चुनौतियाँ, अनुभव, और सीख हमें बदलते रहते हैं। इन बदलावों को स्वीकार करना और उनके साथ तालमेल बनाना ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।


समाज और परिवर्तन

प्रकृति और मानव जीवन के समान ही समाज बदलता रहता है। पुराने रीति-रिवाज, परंपराएँ और संस्कार, नए विचारों और खोजों के साथ बदलते रहते हैं। उदाहरण के लिए, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में हुई प्रगति ने आज के समाज को बहुत बदल दिया है। पहले जहाँ लोग पत्रों के माध्यम से संवाद करते थे, आज डिजिटल युग में एक क्लिक से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से बात कर सकते हैं। समाज में ये बदलाव आवश्यक हैं, क्योंकि समय के साथ पुराने तरीके प्रासंगिक नहीं रहते और नए तरीकों की आवश्यकता होती है। समाज के विकास और स्थायित्व के लिए परिवर्तन का स्वीकार करना और उसे अपनाना अनिवार्य होता है।


परिवर्तन के लाभ

उपरोक्त आधार पर कहा जा सकता है कि परिवर्तन एक प्रकार से जीवन को प्रेरणा देने का कार्य करता है। यह हमारे जीवन के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलता है और हमें अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। यकीन मानियेगा दोस्तों, परिवर्तन के बिना हमारा जीवन एक ही जगह ठहरा सा रहता और हम जीवन में प्रगति नहीं कर पाते। परिवर्तन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह हमें जीवन में आने वाली चीजों के प्रति स्वीकारोक्ति का भाव लाता है। अर्थात् परिवर्तन हमें अनुकूलन याने एडेप्टेशन के लिए तैयार करता है। हम जब किसी नए वातावरण या परिस्थिति का सामना करते हैं, तो हमें अपनी सोच और व्यवहार को बदलने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार परिवर्तन हमें अधिक सक्षम और लचीला बनाता है।


दोस्तों, परिवर्तन के विषय में कहना आसान है, लेकिन उसे स्वीकारना मुश्किल क्योंकि हर परिवर्तन अनिश्चितता और असुरक्षा के डर के साथ आता है। लेकिन अगर हम ख़ुद को पुश करते हुए परिवर्तन को खुले दिल से स्वीकार कर लेते हैं, तो यह हमें जीवन में आगे बढ़ने और नई ऊंचाइयों को छूने का अवसर देता है। अगर आप जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं और अपनी ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं, तो अपने अंदर समझ और स्वीकारोक्ति का भाव विकसित कीजिए। ऐसा करना आपके अंदर एक बिलीफ पैदा करेगा कि परिवर्तन जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा है, और इसे अपनाना ही हमारी प्रगति का मार्ग है।


अंत में दोस्तों, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि संसार का नियम है कि हर चीज़ बदलती रहती है। यह परिवर्तन जीवन में संतुलन बनाए रखता है और हमें नए अनुभवों से रूबरू कराता है। चाहे प्रकृति हो, मानव जीवन हो, या समाज, हर जगह परिवर्तन का महत्व है। इसे रोकना असंभव है, लेकिन इसे समझना और अपनाना हमारी जिम्मेदारी है। यदि हम परिवर्तन को सकारात्मक रूप में स्वीकारते हैं, तो यह हमें उन्नति और संतुलन की ओर ले जाता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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