Dec 15, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आइये दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक मजेदार कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक राज्य के बहुत सारे लोग आलसी हो गए और उन्होंने सारा काम-धंधा छोड़ दिया। अब वे छोटे से छोटे कार्य के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहने लगे थे और अपना ज्यादातर समय लेटे रहने या सोने में गुजार देते थे। ज्यादातर समय दूसरों पर निर्भर रहने के कारण इन लोगों के घरवाले भी इनका विरोध करने लगे। जिसके कारण बीतते समय के साथ इन लोगों को खाने और अन्य जरूरी वस्तुओं की भी दिक्कत होने लगी। कुछ ही दिनों में इन सभी आलसियों को एहसास हो गया कि हमारे लिए इस समस्या का निराकरण करना आवश्यक हो गया। इसलिए वे सभी एकत्र होकर उस राज्य के राजा के पास गए और उनसे माँग करने लगे कि उन्हें सभी आलसियों के लिए आश्रम बनवाना चाहिए और उसमें उनके खाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
राजा नेक और दयालु होने के साथ-साथ बड़ा बुद्धिमान था। इसलिए उसने सीधे से आलसियों की बात को नकारने के स्थान पर स्वीकारने का निर्णय लिया और अपने मंत्री को एक आश्रम बनाने का आदेश दिया। कुछ ही महीनों में आश्रम तैयार हो गया और सभी आलसी वहाँ जाकर खाने और सोने लगे। लगभग एक माह बाद एक दिन राजा ने अपने सैनिक से कहकर आलसियों के आश्रम में आग लगवा दी, जिसे देख वहाँ मौजूद आलसियों में भगदड़ मच गई और लगभग सभी अपनी जान बचाने के लिए आश्रम से दूर भागने लगे।
लेकिन अभी भी दो आलसी ऐसे थे, जो आश्रम में आराम से सो रहे थे। जब आग थोड़ी और बढ़ गई तो उनमें से एक आलसी दूसरे आलसी से बोला, ‘मुझे अपनी पीठ पर बहुत गर्मी महसूस हो रही है। जरा देखो ना क्या माजरा है?’ दूसरा आलसी बिना अपनी आँखों को खोले, पहले आलसी की बात को नजरअंदाज करते हुए बोला, ‘गर्मी लग रही है तो दूसरी करवट लेट जाओ। इसमें उठकर देखने की क्या जरूरत है। राजा, जो तब तक वहाँ पहुँच गए थे, इस नज़ारे को देखते हुए अपने मंत्री से बोले, ‘मंत्री जी, यहाँ सिर्फ यह दोनों ही सच्चे आलसी हैं, इसलिए इन्हें भरपूर सोने और खाने को दिया जाए। शेष सभी लोग कामचोर हैं, इन्हें डंडे मारकर, काम करने को लगाया जाये।
दोस्तों, उक्त कहानी मुझे उस वक्त याद आई जब एक यूनिवर्सिटी में परीक्षा की ड्यूटी लगाए जाने पर 53 प्रतिशत लोगों द्वारा स्वास्थ्य ठीक ना होने के विषय में बताया गया, इनमें से लगभग 50 प्रतिशत लोगों के पास तो डॉक्टर का लिखित प्रिस्क्रिप्शन भी था। इतना ही नहीं 31 प्रतिशत लोगों के घर पर इसी दौरान शादी थी या उन्हें अतिआवश्यक पारिवारिक कारणों से बाहर जाना था। दूसरे शब्दों में कहूँ तो मात्र 16 प्रतिशत लोग ही उस ड्यूटी को करने के लिए तैयार थे।
जब यह जानकारी वीसी तक पहुंची तो उन्होंने सभी लोगों को सरकारी अस्पताल जाकर चेकअप करवाने और फिर वहीं से मेडिकल सर्टिफिकेट लाने के लिए कहा। साथ ही जिन लोगों के घर पर शादी थी उनसे भी आवश्यक कागजों को कार्यालय में जमा करवाने के लिए कहा। आपको जानकर हैरानी होगी दोस्तों, वीसी द्वारा उठाए गए इस कदम का परिणाम यह हुआ कि अंत में मात्र 13 प्रतिशत लोग ही वाक़ई में अनफिट पाये गए। इस परिणाम को सुन मेरे मन में सिर्फ़ एक ही विचार आ रहा था, जो कार्य इन सभी लोगों को अपने सपनों, अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में मदद कर रहा था, ये सभी लोग उसी कार्य के साथ गद्दारी कर रहे थे। सीधे शब्दों में कहूँ दोस्तों, तो यह लोग संस्था को नहीं ख़ुद को ही धोखा दे रहे थे क्योंकि नकारात्मक बातों को मैनिसफ़ेस्ट करना, इनके जीवन में ग़लत बातों, गलत लोगों और नकारात्मक ऊर्जाओं को आमंत्रित कर रहा था। याद रखियेगा दोस्तों, जब भी आप झूठ बोलते हैं तब पहला झूठ आप ख़ुद से ही कहते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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