पहले दुनिया को वह दे, जो आप उससे चाहते है…
- Trupti Bhatnagar
- Apr 4, 2023
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Apr 4, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, कई बार जिन्दगी में आप एक ऐसे दोराहे पर खड़े रहते हैं जहाँ सफलता या किसी कार्य की पूर्णता के लिए किए गए आपके हज़ार प्रयास भी कम नज़र आते हैं। ऐसे में ईश्वर पर विश्वास और उम्मीद ही वह चीज़ होती है जो तमाम नकारात्मक अनुभवों, संशयों, दुविधाओं के बाद भी आपको एक और प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है और यही प्रयास अक्सर आपके जीवन को हमेशा के लिए पूरी तरह बदल देता है। ‘आपकी हार तब तक तय नहीं होती है जब तक आपके अंदर उम्मीद की अंतिम किरण भी बाक़ी है। जी हाँ, उम्मीद वह पहली और प्रमुख आवश्यकता है, जिसके बिना सफलता के बाक़ी सब संसाधन होना भी, ना होने के बराबर है। अपनी बात को मैं आपको एक प्यारी सी कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कई साल पुरानी है रेगिस्तान से जाते वक्त एक व्यापारी रास्ता भटक गया। हालाँकि वह रेगिस्तान पार करने के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ, जैसे भोजन, पानी आदि प्रचुर मात्रा में लेकर चला था। लेकिन अंदाज़े से अधिक समय लगने की वजह से अब उसके पास सब-कुछ खत्म हो गया था और वह पानी की एक-एक बूँद के लिए तरस रहा था। उसे इस बात का बहुत अच्छी तरह भान हो गया था कि अगर अगले कुछ घंटों में उसे पानी नहीं मिला तो उसकी मौत निश्चित है। लेकिन ऐसी स्थिति में भी उसे ईश्वर पर पूर्ण विश्वास था कि जल्द ही उसे किसी ना किसी तरह पानी मिल जाएगा।
उसने एक बार फिर ईश्वर से प्रार्थना कर पूरी आस के साथ पानी खोजना प्रारम्भ करा। अभी ऐसा करते हुए कुछ ही पल हुए होंगे कि उसे कुछ दूरी पर एक झोपड़ी नज़र आई। वैसे तो उसे अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं हो रहा था क्योंकि मृगतृष्णा और भ्रम की वजह से वह पहले भी दो-तीन बार धोखा खा चुका था। लेकिन जीवन बचाने वाली आख़री उम्मीद मान उस व्यापारी ने ईश्वर पर विश्वास रख, तेज कदमों के साथ झोपड़ी की ओर चलना प्रारंभ कर दिया।
जैसे-जैसे वह झोपड़ी के समीप पहुँचता जा रहा था उसकी उम्मीद बढ़ती जा रही थी। ख़ैर कुछ ही देर में व्यापारी झोपड़ी तक पहुँच गया और ‘कोई है… कोई है…’ कर आवाज़ लगाने लगा। जब काफ़ी आवाज़ देने के बाद भी झोपड़ी से कोई बाहर नहीं निकला तो वह सीधे अंदर चला गया। झोपड़ी एकदम वीरान थी और उसके बीचों-बीच में एक हैंड पम्प लगा हुआ था। व्यापारी ने बिना एक पल गँवाए अपनी पूरी ऊर्जा के साथ हैंड पम्प चलाना शुरू कर दिया। लेकिन यह क्या… हैंड पम्प से तो पानी ही नहीं आ रहा था। ऐसा लग रहा था मानो वह सुख गया हो।
ऐसा लग रहा था मानो एक बार फिर उसका प्रयास पूरी तरह विफल हो गया हो। ऐसा लग रहा था मानो वह कुछ ही पलों में निढाल हो कर ज़मीन पर गिर जाएगा। लेकिन उसके बाद भी व्यापारी ने अपनी उम्मीद को बरकरार रखा और चारों तरफ़ देखने लगा। तभी उसकी निगाह छत से बंधी पानी की एक बोतल पर गई। उसने तुरंत वो बोतल छत से उतारी और वह उसे खोलकर उसका पानी पीने ही वाला था कि उसका ध्यान बोतल पर लगी एक पर्ची पर गया। जिस पर लिखा था, ‘इस पानी का प्रयोग हैण्ड पम्प चलाने के लिए करें और बाद में इसे वापस से भर कर रखना ना भूलें।’
व्यापारी अब दुविधा में था कि वह क्या करे? वह उस पानी को पीकर अपनी जान बचा ले या बोतल पर लगी पर्ची अनुसार उसे हैंड पम्प चलाने के लिए प्रयोग में ले। उसके मन में कई सवाल उठ रहे थे। जैसे, अगर पानी डालने पर भी पम्प नहीं चला तो… अगर यहाँ लिखी बात झूठी हुई तो… और क्या पता जमीन के नीचे का पानी भी सूख चुका हो तो… लेकिन क्या पता पम्प चल ही पड़े… क्या पता यहाँ लिखी बात सच हो… वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे? कुछ पल विचार करने के बाद उसने पानी को हैंड पम्प में डाला और उसे चलाने लगा। 2-3 प्रयास में ही हैंड पम्प से ठण्डा-ठण्डा पानी निकलने लगा। उसने तुरंत पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई और इसके बाद उसने रास्ते के लिए साथ रखी पानी की सभी बोतलों को भरा और अंत में जो बोतल वहाँ पहले से पानी भरकर छत से बंधी हुई थी उसे भरा और अपने पेन से उसपर एक लाइन और लिख दी, ‘मेरा यकीन करिए यह हैण्ड पम्प पानी डालने के बाद काम करता है।’ और उसे वापस से पूर्व की तरह छत पर बांध दिया।
दोस्तों असल में यह कहानी हमारे जीवन की कहानी है। जिस तरह व्यापारी ने उम्मीद खोए बिना प्रयास करा ठीक उसी तरह हमें भी बुरी से बुरी परिस्थिति में भी उम्मीद नहीं खोनी चाहिए और अपनी ओर से पूरा प्रयास करना चाहिए। ठीक उसी तरह जिस तरह व्यापारी ने वहाँ मिली पानी की बोतल का प्रयोग उसपर लिखे संदेश के अनुसार प्यास बुझाने के स्थान पर हैंड पम्प चलाने के लिए किया। ठीक उसी तरह हमें भी इस दुनिया या समाज को पहले वह देना होगा जो हम उससे चाहते हैं। फिर चाहे वह ज्ञान हो, प्रेम हो या फिर पैसा अथवा सम्मान।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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