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पाना हो लक्ष्य तो अपनाएँ यह अचूक सूत्र…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Oct 11, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

निश्चित तौर पर दोस्तों, आपने यह कहावत ज़रूर सुनी होगी, ‘हिम्मत-ए-मर्दा, मदद-ए-ख़ुदा!’ अर्थात् भगवान भी उनकी सहायता करता है, जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो किसी भी कार्य को सफलता पूर्वक पूर्ण करने की सबसे ज़रूरी या आवश्यक शर्त है, उस कार्य को पूर्ण करने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयत्न या प्रयास करना। अक्सर लोग मुझसे कहते हैं कि ‘सर, लक्ष्य बनाने, उसे पाने के लिए आपकी कही बातों को सुन कर लगता तो बहुत अच्छा है, लेकिन आपके द्वारा कही गई बातों पर रोज़ अमल कर, लक्ष्य पाना बड़ा मुश्किल है। शुरू में दो-चार दिन तो सब ठीक रहता है लेकिन उसके बाद लय बिगड़ जाती है।’


वैसे साथियों, यह उन कुछ लोगों की नहीं, वरण हम सभी लोगों की समस्या है। अगर मेरी बात से सहमत ना हों, तो नए साल पर बनाए गए लक्ष्यों को याद करके देख लीजिएगा, स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों को याद करके देख लीजिएगा। आज से कुछ वर्ष पहले तक तो मेरे साथ भी ऐसा ही होता था। लेकिन समय के साथ इस विषय में किए गए प्रयासों या सीखी गई बातों से मुझे समझ आया कि असल में इस समस्या की मूल जड़ हमारी लक्ष्य बनाने की प्रक्रिया में है। आईए, आने वाले कुछ मिनटों में हम इसे समझने का प्रयास करते हैं।


अक्सर किसी भी विषय अर्थात् स्वास्थ्य, रिश्ते, व्यवसाय, शिक्षा आदि के संदर्भ में लक्ष्य बनाते समय हम सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध ऑप्शन को चुनते हैं अर्थात् हम जिस क्षेत्र के बारे में लक्ष्य बनाने का प्रयास करते हैं उसमें हमारे लिए सबसे अच्छा क्या होता है और क्या होगा?, हम उसे चुनते हैं, उसे अपना लक्ष्य बनाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हमारा ऐम्बिशन उस क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ हासिल करना होता है। लेकिन लक्ष्य चुनने या बनाने की इस प्रक्रिया के दौरान हम अक्सर अपनी क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों को दृष्टिगत नहीं रखते हैं और इसी वजह से जल्द ही लक्ष्य पाने की प्रक्रिया के दौरान आने वाली चुनौतियों के आगे हार मान लेते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो क्षमताओं और संसाधनों का अभाव हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करता है और सही दृष्टिकोण का अभाव आपके प्रयासों या लक्ष्य पाने के लिए रोज़ किए जाने वाले कार्यों को प्रभावित करने लगता है और जल्द ही आपको अपने प्रयासों के आधार पर लक्ष्य पाना असम्भव लगने लगता है और आप उस लक्ष्य को बीच में ही छोड़ देते हैं, अपनी लय को बिगाड़ लेते हैं।


दोस्तों, अगर आप अपने बनाए हर लक्ष्य को हक़ीक़त में पाना चाहते हैं, तो सर्वप्रथम लक्ष्य बनाते समय अपनी क्षमता और संसाधनों की उपलब्धता का विशेष ध्यान रखें। इसमें लक्ष्य पाने के लिए किए जाने वाले कार्यों में लगने वाले समय का ध्यान रखना भी शामिल है। मान लीजिए इस प्रक्रिया से बनाया गया लक्ष्य 100 है। अर्थात् आपकी क्षमता, संसाधनों की उपलब्धता और इसे पाने के लिए किए जाने वाले कार्यों में लगने वाले समय के आधार पर आप सौ पाना चाहते हैं। इसे दृष्टिगत रखते हुए अब आप दो सौ पाने के लिए आवश्यक दृष्टिकोण को बनाएँ और प्रतिदिन चार सौ पाने के लिए आवश्यक मेहनत करें।


संक्षेप में कहा जाए साथियों, तो अगर आप 1x का लक्ष्य हर हाल में पाना चाहते हैं तो आपको अपने दृष्टिकोण को 2x रखना होगा और प्रतिदिन उसे पाने के लिए 4x का प्रयास करना होगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 3A का ध्यान रखना आपको सफल बनाता है। पहला ऐम्बिशन - 1x, ऐटिटूड - 2x एवं ऐक्शन - 4x, तभी आप अपने बनाए हर लक्ष्य को पा सकते है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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