Feb 4, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, इस मंगलवार एक विद्यालय में एक शिक्षिका मेरे पास आई और अपने साथी शिक्षक की शिकायत करते हुए बोली, ‘सर, इनकी क़िस्मत ज़ोरदार है, जब देखो तब इन्हें इनकी पसंद का कार्य मिल जाता है। जिस कक्षा को पढ़ाना चाहते हैं वही मिल जाती है। ऐसा लगता है जैसे प्राचार्य से इनकी सेटिंग है। मैं उन शिक्षक से ज़्यादा शिक्षित हूँ उसके बाद भी मैं प्राइमरी कक्षाएँ पढ़ाती हूँ और वे मिडल।’
वैसे दोस्तों, यह शिक्षिका अकेली नहीं है जिन्हें दूसरों की क़िस्मत बेहतर और खुद की क़िस्मत फूटी हुई लगती है। इस दुनिया में 90 प्रतिशत से ज़्यादा लोग इसी धारणा से जीते हैं और सिर्फ़ इसीलिए वे अपनी पूरी क्षमताओं का उपयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोग मेहनत में कम और क़िस्मत में ज़्यादा विश्वास रखते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता है कि क़िस्मत और कुछ नहीं, सिर्फ़ सजग रहते हुए मौक़ों को पहचानने की हमारी क्षमता का दूसरा नाम है। वे तो बस अपना पूरा समय दूसरों की कार, बड़ी कोठी, अच्छा व्यापार, पैसा, पद आदि देख आहें भरते हुए बस इतना कहने में व्यस्त रहते हैं कि ‘काश हमारी क़िस्मत भी ऐसी होती।’ ऐसे अनावश्यक कमेंट करते वक्त ऐसे लोग भूल जाते हैं कि उन्हें यह गाड़ी, कोठी, पद या पैसा कुछ भी यूँ ही क़िस्मत की वजह से नहीं मिला है अपितु इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत भी है।
जी हाँ दोस्तों, चीजों को देखने का ग़लत नज़रिया असल में ऐसे लोगों से अपने जीवन को बेहतर या क़िस्मत वाला बनने का मौक़ा छीन लेता है।आप स्वयं ही सोच कर देखिएगा, अगर यह लोग सामने वाली की क़िस्मत को उसकी सफलता का श्रेय देने के स्थान पर उस व्यक्ति द्वारा की गई मेहनत या उसके द्वारा सफलता के लिए बनाई गई योजना पर अपना ध्यान केंद्रित करते तो क्या उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए सीख नहीं मिलती? ज़रूर मिलती… लेकिन उन्होंने यह मौक़ा गँवा दिया। असल में देखा जाए तो ऐसे लोगों को ही क़िस्मत से मिलता है लेकिन यह उतना ही होता है जितना मेहनत करने वाले छोड़ दिया करते हैं।
हालाँकि मैं यह नहीं कहता हूँ कि हमारे जीवन को बनाने में क़िस्मत का कोई महत्व नहीं है या क़िस्मत नाम की कोई चीज़ होती ही नहीं है। हो सकता है हमारे जीवन को बनाने में इसका भी महत्व हो लेकिन मेरा मानना है क़िस्मत को बनाना या बदलना तो छोड़िए उसे पहले से जानना भी आपके हाथ में नहीं है। आप सिर्फ़ अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए मेहनत कर सकते हैं। इसीलिए मैं कहता हूँ कि ख़ाली क़िस्मत के भरोसे बैठकर सफल होने के सपने देखने से बड़ी कोई दूसरी नासमझी हो ही नहीं सकती है। याद रखिएगा मेहनत करने के बाद ही क़िस्मत से आस रखी जा सकती है। वैसे भी यह सम्भव है कि हमारी क़िस्मत में सफलता का स्वाद लेना मेहनत करने के बाद ही लिखा हो।
आईए दोस्तों, आज हम क़िस्मत बनाकर जीवन को बेहतर बनाने के पाँच सूत्र संक्षेप में सीखते हैं -
पहला सूत्र - वर्तमान में जिएँ
दूसरा सूत्र - सजग रहें
तीसरा सूत्र - हर पल सीखने के लिए तैयार रहें
चौथा सूत्र - असफलताओं से डरें नहीं, उससे सीखें, अपनी योजना को एक बार फिर परखें और फिर से प्रयास करें
पाँचवाँ सूत्र - याद रखें मेहनत का कोई विकल्प नहीं
याद रखिएगा दोस्तों, पुरुषार्थ ही श्रेष्ठ भाग्य का निर्माणकर्ता होता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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