June 9, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के शो की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक युवा कुछ पुराना याने सेकंड हैंड सामान ख़रीदने के लिए एक कबाड़ी की दुकान पर गया। वहाँ से ज़रूरत का सामान ख़रीदने के पश्चात जैसे ही वह जाने लगा, अचानक ही उसकी निगाह दुकान पर रखी एक बांसुरी पर पड़ी। जिस पर कबाड़ी ने बेचने का मूल्य पचास रुपये लिख रखा था। उस युवा ने जब दुकानदार से बांसुरी को इतना सस्ते में बेचने के विषय में पूछा, तो वह बोला, ‘भैया, वैसे तो इसकी क़ीमत पाँच सौ रुपये से भी ज़्यादा है। लेकिन कई प्रयास करने के बाद भी मुझे इसे बेचने में सफलता नहीं मिली। इसलिए मैं इसे घाटा खाकर इतने कम दाम में बेच रहा हूँ।’
दुकानदार की बात सुन इस युवा का दिल पसीज गया। उसने उस बांसुरी को ख़रीदकर दुकानदार की मदद करने का निर्णय लिया। वह इस सौदे को मूर्त रूप दे पाता, उससे पहले ही एक सज्जन वहाँ पहुँचे और बांसुरी को उठाकर, बड़े ही प्यार के साथ, सधे हुए अन्दाज़ में बजाने लगे। बांसुरी की मधुर आवाज़ सुन जल्द ही वहाँ काफ़ी भीड़ इकट्ठा हो गई और वहाँ मौजूद हर कोई मंत्रमुग्ध हो, बांसुरी की सुमधुर धुन पर झूमने लगा। कुछ देर बाद उन सज्जन ने बांसुरी बजाना बंद कर दिया और उसे यथास्थान रख अपनी राह पर आगे बढ़ गए।
उनके जाते ही अब कई लोग उस बांसुरी को ख़रीदना चाहते थे। इन्हीं बांसुरी ख़रीदने वालों में वह युवा भी था, जो सबसे पहले उस दुकान पर पहुँच था। लेकिन वह यह देख कर हैरान रह गया कि तब तक कबाड़ बेचने वाले ने बांसुरी के आगे लिखी क़ीमत ५० रुपये के आगे दो शून्य और बढ़ा दिये। अब उस बांसुरी की क़ीमत ५०रू की जगह ५०००रू हो गई थी। जिसे देख दुकान पर आए युवा ने पूछा कि तुमने ५० रू वाली बांसुरी की क़ीमत बढ़ा कर, अचानक ही ५००० रुपये क्यों कर दी। बांसुरी वाला मुस्कुरा कर बोला, ‘भैया, थोड़ी देर पहले तक यह एक आम कबाड़ था। पर एक विशेषज्ञ ने इसके गुणों; इसकी विशेषता से लोगों का परिचय करा दिया, जिसकी वजह से अब इसकी क़ीमत; इसकी मार्केट वैल्यू काफ़ी बढ़ गई है।’
बात तो दोस्तों, कबाड़ वाले की एकदम सही थी। सामान्यतः हम सभी लोग कबाड़ वाले की ही तरह अक्सर अपने हुनर, अपने उत्पाद को बहुत सस्ते दाम पर बेचते हैं। इसकी मुख्य वजह ख़ुद को; ख़ुद की क्षमताओं को पहचान ना पाना है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो बाहरी चकाचौंध में उलझे रहने के कारण अक्सर हम यह जान ही नहीं पाते हैं कि ईश्वर ने हमारे भीतर क्या-क्या छुपा रखा है। इसलिए हम अपने अंदर छुपी ईश्वर प्रदत्त क्षमताओं और प्रतिभा का सही मूल्य जान नहीं पाते हैं और समझौता करते हुए जीवन जीते हैं।
दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य पूर्णता के साथ जीवन जीना है, तो मेरा सुझाव है, आप इन तीन सूत्रों को आज ही से अपने जीवन का हिस्सा बना लें-
पहला सूत्र - इस दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण इंसान याने ख़ुद के साथ वक़्त बिताएँ
जी हाँ दोस्तों हम में से ज़्यादातर लोग अपनी क्षमताओं को सिर्फ़ इसलिए नहीं पहचान पाते हैं क्योंकि बाहरी चकाचौंध के कारण ख़ुद से बात ही नहीं कर पाते हैं। अगर आप अपनी क्षमताओं को जानना-पहचानना चाहते हैं; अपने जीवन का उद्देश्य पता लगाना चाहते हैं तो प्रतिदिन ख़ुद के साथ वक़्त बिताना शुरू कीजिए। ख़ुद से खुदे के जीवन की बेहतरी के लिए; उसकी प्राथमिकताओं के लिए प्रश्न कीजिए।
दूसरा सूत्र - अपनी क्षमताओं का सही आकलन करें
मेरी नज़र में इस दुनिया का सबसे बड़ा अपराध ख़ुद को कमतर आंकना है। अगर आप भी कहीं ना कहीं इसके शिकार हैं तो सबसे पहले अपने मूल्य को पहचानने का प्रयास करें।
तीसरा सूत्र - प्रतिदिन ख़ुद को तराशें
ख़ुद को पहचानने और अपना मूल्य जानने के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य ख़ुद को तराशना होता है। इसलिए प्रतिदिन अपने वर्तमान को बीते हुए कल से बेहतर बनाने का प्रयास करें।
उपरोक्त तीनों सूत्रों से अधिकतम लाभ लेने का एक ही तरीक़ा है दोस्तों, ख़ुद को सही गुरु के हाथों में सौंप दें। ताकि वे आपकी क्षमताओं को पहचान कर, उसे तराशने और फिर उसे और आपके उत्पाद को सही मूल्य पर बाज़ार में बेचने में आपकी मदद कर सकें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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