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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

पूर्ण मंगल जीवन का मूल मंत्र…

June 26, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, सामान्यतः आपने देखा होगा हममें से ज़्यादातर लोग कुछ पाने याने अपने लक्ष्यों को हक़ीक़त में बदलने; अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए कर्म करते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि जितना महत्वपूर्ण कर्म करके कुछ प्राप्त करना है, उतना ही महत्वपूर्ण जीवन में त्याग करना भी है क्योंकि त्याग के बिना आपके जीवन का मूल्यांकन करना ईश्वर के लिए भी सम्भव नहीं होगा।


उक्त विचार कल उस वक्त मेरे मन में आए, जब मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही सफल डॉक्टर व्यवसायी से हुई। लगभग एक से डेढ़ घंटे की इस मुलाक़ात में वे सज्जन सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी उपलब्धियों और जीवन में किए गए संघर्षों के बारे में ही बता रहे थे। उनका सारा फ़ोकस इस बात पर था कि उन्होंने कैसे शून्य से शिखर तक की यात्रा करी। इस बातचीत के दौरान मैंने देखा कि वे कई बार ग़लत शब्दों का प्रयोग करने के साथ ही अपने अधीनस्थों के साथ ग़लत व्यवहार का प्रदर्शन भी कर रहे थे।


जब मैंने उनसे आने वाले समय की योजना के विषय में पूछा तो उन्होंने कुछ और भौतिक लक्ष्यों को मुझ से साझा कर दिया। लेकिन उनकी उस पूरी योजना में सामाजिक दायित्वों का ध्यान नहीं रखा गया था। जब मैंने उनसे उस विषय याने सामाजिक दायित्वों अर्थात् समाज से ली हुई चीजों को लौटाने के विषय में पूछा तो वे बोले, ‘सर, किसी को देने से कभी कुछ नहीं होता। सबको अपने हिस्से के कर्म करना होते हैं।’ बात तो उनकी बिलकुल सही थी और इस बात में भी कोई शक नहीं कि उनकी जीवन यात्रा असाधारण थी, जिससे हममें से कोई भी प्रेरणा ले सकता था। लेकिन इसके बाद भी मुझे उनकी यात्रा में कुछ अधूरापन लग रहा था क्योंकि जीवन में जितना महत्व कुछ प्राप्त करने का है, उतना ही महत्व कुछ चीजों को त्यागने और समाज को लौटाने का भी है। जी हाँ साथियों, त्याग और लौटाने के भाव के बिना जीवन को समग्रता प्रदान करना असम्भव है।


जिस तरह किसी लक्ष्य को पाना एक चुनौती है, ठीक उसी तरह त्याग करना भी एक चुनौती है। इस आधार पर देखा जाए तो समग्रता के लिए जीवन में कुछ प्राप्त करना और कुछ त्याग करना आवश्यक है। जीवन इन्हीं दो उद्देश्यों को साथ लिए जिया जा सकता है। इसके बिना जीवन में परिपूर्णता के भाव की कल्पना करना बेमानी है। इसके साथ ही हमें हमेशा याद रखना होगा कि, ‘इस समाज ने हमें दिया है और हमें इसी समाज को लौटाना है।’ याद रखिएगा, इस भाव के बिना भी जीवन में अधूरापन रहेगा।


तो आइए दोस्तों, आज से हम सभी एक विवेक पूर्ण आत्मचिंतन करते हैं और यह निर्णय लेते हैं कि अपने जीवन को पूर्णता देने के लिए हमें कब और क्या प्राप्त करना है और ठीक इसी तरह कब और किन चीजों, बातों या आदतों का त्याग करना है, का ध्यान रखेंगे। साथ ही इस निर्णय को लेते वक्त याद रखेंगे कि जो हमारे जीवन के लिए शुभ है, श्रेष्ठ है, हितकर है उसे प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करेंगे और साथ ही जो हमारे लिए अशुभ, निकृष्ट और अहितकर है, उसका त्याग करेंगे। ठीक इसी तरह जो हमारे पास अतिरिक्त है उसका मोह त्याग कर उसे भी समाज को लौटाएँगे। यही साथियों एक अच्छे, पूर्ण मंगल जीवन का मूल मंत्र है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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