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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

पेरेंटिंग : जैसा बोएँगे, वैसा काटेंगे!!!

Mar 26, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, पेरेंटिंग कोच और काउंसलर के रूप में मुझसे सबसे ज़्यादा पूछा गया सवाल ‘बच्चों का सर्वांगीण विकास कैसे किया जाए ?’ याने हर माता-पिता अपने बच्चे को हीरो, नम्बर 1, विशेष बच्चा या ‘सुपर ह्यूमन’ बनाने का सूत्र जानना चाहता है। प्रश्न सुनते ही मेरा मन उन सभी माता-पिता से यह पूछने का होता है की, ‘क्या आप विशेष या ‘सुपर माता-पिता हैं?’ क्योंकि बच्चे को विशेष बनाने के लिए आपका विशेष होना प्रथम आवश्यकता है। जब माता-पिता के रूप में आप बच्चे के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए उचित वातावरण और आवश्यक परिस्थितियाँ पैदा करेंगे तभी बच्चा विशेष गुण अपने अंदर विकसित कर पाएगा।


जी हाँ दोस्तों, गुण हो या अवगुण बच्चे सामान्यतः अपने आस-पास मौजूद माहौल से ही सीखते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बच्चे जैसा देखते हैं, वैसा सीखते हैं। उदाहरण के लिए उन्होंने आपको घर में जो भाषा बोलते देखा, वो बोलना शुरू किया। आपको जो खाते देखा वह खाना शुरू किया। कुल मिलाकर कहा जाए तो बच्चों पर सबसे ज़्यादा प्रभाव घर के वातावरण का ही पड़ता है। ऐसे में माता-पिता या परिवार के बड़ों से सही दिशा ना मिलना बच्चों के व्यक्तित्व पर ग़लत छाप भी छोड़ सकता है या उसके जीवन को ग़लत दिशा दे सकता है।


इसीलिए दोस्तों, माँ-बाप को पहला शिक्षक और घर को पहली पाठशाला माना जाता है। इसीलिए मैंने पूर्व में कहा था, ‘माता-पिता विशेष होंगे तो ही बच्चा विशेष होगा।’ जी हाँ दोस्तों, यदि माता-पिता का गृहस्थ जीवन अच्छा या सुखी नहीं चल रहा है तो बच्चा कभी भी सुखी नहीं रह सकता है। यदि घर का माहौल नकारात्मक है याने घर में आपसी लड़ाई -झगड़ा चलता रहता है या घर वाले तनाव में रहते हैं तो बच्चों पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है। चूँकि उसने सामाजिक और गृहस्थ जीवन में अपने आस-पास मौजूद लोगों को असफल देखा है इसलिए इस बात की बहुत अधिक सम्भावना रहती है कि वह भी अपने भावी सामाजिक या गृहस्थ जीवन में असफल रहे।


आप खुद ही सोच कर देखिए साथियों, अगर बच्चा घर में पूरे समय लड़ाई-झगड़ा देखेगा तो क्या सीखेगा? अगर पूरे समय नकारात्मक माहौल में रहेगा तो कैसा दृष्टिकोण रखेगा? निश्चित तौर पर अगर उसे सही समय पर सही माहौल ना मिला तो उसके मन में गृहस्थ जीवन के प्रति घृणा उत्पन्न होगी और वह अपना जीवन नकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जिएगा। आपस में लड़ने झगड़ने वाले माता-पिता या अभिभावक बच्चों को एक अच्छा नागरिक नहीं बना सकते हैं। माता-पिता या अभिभावक स्ट्रेस में होंगे तो बच्चा भी निश्चित तौर पर स्ट्रेस में रहेगा।


वैसे उपरोक्त बातें याने सिर्फ़ झगड़े या नकारात्मक माहौल ही बच्चों पर ग़लत प्रभाव नहीं डालता है अपितु और भी बहुत सी छोटी-छोटी बातें होती हैं जो बच्चे पर ग़लत प्रभाव डालती हैं। जैसे, अगर बच्चे को परिवार का एक सदस्य बार-बार हाँ और बाक़ी सदस्य ना कहते हैं तो वह ना कहने वाले सदस्यों के प्रति भेदभाव करना सीखता है। बच्चों के विषय में एक बात हमेशा याद रखें अगर आपने उसे ‘हाँ’ कहा है, तो वह हर हाल में पूरे परिवार की ओर से ‘हाँ’ हो और अगर ‘ना’ कहा है, तो वह हर हाल में ‘ना’ ही हो और अगर परिवार में बच्चों की संख्या 1 से अधिक हो तो सुनिश्चित करें कि सभी के साथ समान व्यवहार हो अन्यथा बच्चों में आपसी वैमनस्यता पैदा हो जाएगा। ठीक इसी तरह अगर कोई बच्चा किसी बात में कमजोर है तो उसका परिहास उड़ाने के स्थान पर उसे अधिक स्नेह और सहानुभूति के साथ आगे बढ़ाएँ क्योंकि परिहास उड़ाना बच्चों का आत्मविश्वास खत्म करता है; उसके मन में हीनता का भाव भरता है। जबकि अधिक प्यार और सहानुभूति रखना उसकी उन्नति में मदद करता है।


कुल मिलाकर साथियों, बात बड़ी सीधी सी है, जैसा बीज आप बोते हैं, वैसा ही फल आप पाते हैं। अगर आप उत्तम नागरिक और माता-पिता है तो आप बच्चे को उत्तम नागरिक या विशेष व्यक्तित्व का मालिक बना पाएँगे। तो आइए आज से हम बच्चों को विशेष बनाने के लिए, खुद को विशेष बनाते हैं; उनकी कमियों को दूर करने के लिए अपनी कमियाँ दूर करते हैं; खुद के विचारों या सोच को उत्तम बनाते हैं ताकि हम बच्चों के विचारों और सोच को उत्तम बना सकें। अगर आप सकारात्मक सोचेंगे, सकारात्मक रहेंगे, सकारात्मक नज़रिया रखेंगे तो ही आप बच्चों को सकारात्मक सोचना, रहना और नज़रिया रखना सिखा पाएँगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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