May 25, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, प्रकृति बहुत ही विचित्र और अनगिनत रहस्यों से भरी हुई है, जो अक्सर विज्ञान से भी परे लगते हैं या यूँ कहूँ विज्ञान भी अभी तक उन रहस्यों तक नहीं पहुँच पाया है। जैसे सर्दियों के मौसम में ख़ुद को जीवित रखने के लिए चींटियों द्वारा अन्न भंडारण करने का तरीक़ा वैज्ञानिकों को हैरान करने वाला है। अब आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा, ‘कैसे?’ तो चलिए इसे मैं आपको विस्तार से बता देता हूँ।
सर्दी के मौसम में अन्न की कमी ना हो, इसलिए चींटियाँ अपने रहने के स्थान में बीजों को इकट्ठा करके रखती हैं। चूँकि यह स्थान मिट्टी के नीचे होता है, जहाँ पानी के संपर्क में आने के कारण बीज के प्रस्फुटित होने की संभावना बहुत अधिक होती है। लेकिन चींटियों के द्वारा इकट्ठा किए गए इन बीजों को कभी भी प्रस्फुटित होते हुए नहीं देखा गया है। वैज्ञानिकों ने जब इसका कारण जानने का प्रयास किया तो वे यह देख कर हैरान रह गए कि बीज रूपी अनाज को अंकुरण से बचाने के लिए चींटियाँ उन्हें बीच से आधा कर दो भागों में बाँट देती है। लेकिन वैज्ञानिक तब दंग रह गए जब उन्होंने पाया कि चींटियों के घोंसलों में रखे धनिए के बीज 2 टुकड़ों की बजाय 4 टुकड़ों में थे। इस बात का पता चलने के बाद वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला अनुसंधान किया और पाया कि धनिये का बीज दो भागों में विभाजित होने के बाद भी अंकुरित हो जाता है, लेकिन चार भागों में विभाजित होने के बाद यह अंकुरित नहीं हो सकता है। अब आप ही बताइये इतने छोटे जीव ने यह सब कैसे सीखा होगा?
इस उदाहरण के आधार पर यकीनन कहा जा सकता है कि मनुष्य अन्य जीवों के मुक़ाबले बहुत कम जानता है और वह प्रकृति से अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अनगिनत बातें सीख सकता है। जैसे, चींटी हमें बिना थके, बिना रुके मेहनत करते हुए लक्ष्य पाना सिखा सकती है; बगुला हमें योजना बनाना और उसे अमल में लाना सिखा सकता है और मकड़ी हमें रचनात्मकता से कार्य करना सिखा सकती है। इसी तरह शेर और चींटी से अनेकों असफलताओं के बाद भी बिना हारे, लक्ष्य पाने तक प्रयास करना सीखा जा सकता है। जिससे हम उन्हीं की भाँति आराम और निश्चिंतता के साथ जीवन जी सकें।
जी हाँ दोस्तों, जीवन में कई बार हम लक्ष्य बनाने और उसे पाने के लिए अथक प्रयास करने के बाद भी सफल नहीं हो पाते हैं। ऐसे में बगुला हमें लक्ष्य बदलने के स्थान पर रास्ता बदलने की सीख देता है और चींटी या शेर हमें असफलता के बाद भी एक बार फिर से प्रयास करने का कहते है। उसी पल मकड़ी हमें रचनात्मकता की सीख देते हुए याद दिलाती है कि यदि तुम हमेशा रचनात्मकता के साथ बिना हार माने कार्य करने की शपथ ले लो और उसी आधार पर कार्य करने लगो तो आपकी रचनात्मकता नई चीजों का सृजन करना शुरू कर देती है। अर्थात् रचनात्मकता से कार्य करते हुए आप नए आविष्कार कर सकते हैं; इतिहास लिख सकते हैं। जैसे रेडियो दस्तक के साथ मिलकर शुरू किया गया शो ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’, अपनी रचनात्मकता और निरंतरता के कारण नित नये कीर्तिमान रच रहा है; एक नया इतिहास बना रहा है। इसी वजह से अब यह व्यक्तित्व विकास पर एशिया में सबसे लंबा चलने वाला शो बन चुका है।
कहने का मतलब है दोस्तों, अगर आप सजग रहते हुए प्रकृति के साथ जीते हैं; उसे बहुत बारीकी से जानने का प्रयास करते हैं; उससे सीखने की कोशिश करते हैं तो हम निश्चित तौर पर रोज़ नई बातें सीख सकते हैं और उन्हें काम में लाकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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