June 20, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है

बात कई साल पुरानी है पीटर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ हर रविवार की ही तरह इस रविवार भी चर्च गया था। उस दिन पीटर किसी उधेड़बुन में रहने के कारण प्रार्थना से पहले अपने मोबाईल फ़ोन को साइलेंट पर रखना भूल गया। कुछ देर पश्चात जब चर्च में प्रार्थना शुरू हुई, ठीक उसी वक्त पीटर के मोबाईल की घंटी जोर से बजने लगी। घंटी सुन पीटर एकदम सकपका गया और किसी तरह उसे बंद करने का जतन करने लगा लेकिन इतनी देर में प्रार्थना के दौरान घंटी बजने के कारण पादरी ने पीटर को डाँटना शुरू कर दिया। पीटर ने तत्काल अपनी गलती के लिए सभी से माफ़ी माँगी और मोबाईल को साइलेंट पर कर दिया और प्रार्थना करने लगा।
इतना करने के बाद भी पीटर को धर्मोपदेश और प्रार्थना सभा खत्म होने के बाद पादरी सहित परिचितों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों से खरी-खोटी सुननी पड़ी। वहाँ मौजूद अन्य उपासक भी पीटर को गुनाहगार की दृष्टि से देख रहे थे। उस दिन चर्च में मौजूद ज़्यादातर लोग पीटर से घृणा कर रहे थे, जिसमें पीटर के करीबी भी शामिल थे। इतना ही नहीं, चर्च से घर जाते समय पीटर की पत्नी ने जीवन भर की ग़लतियों को याद दिलाते हुए, पीटर को लापरवाही से जीवन जीने पर एक बड़ा सा लेक्चर दिया।
पूरी घटना और उस पर मिली लोगों की प्रतिक्रिया के कारण पीटर के चेहरे पर शर्मिंदगी, हैरानी, उलझन और अपमान के भाव स्पष्ट देखे जा सकते थे। एक छोटी सी गलती के कारण इतना जलील होने के कारण पीटर अंदर ही अंदर इतना अधिक टूट गया कि उस दिन उसने कभी भी चर्च में पैर ना रखने का निर्णय लिया।
उस पूरे दिन पीटर थोड़ा उदास और अनमना सा रहा। शाम को वह उसी घबराहट, बेचैनी और उलझन के साथ बार में गया। उसका आत्मविश्वास इस समय भी डगमगाया हुआ था, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत जुटा कर अपना ऑर्डर दिया और काँपते हाथों से पेय लेकर धीरे-धीरे पीने लगा। लेकिन उस दिन कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था, पीटर के हाथ से पेय से भरी पूरी बोतल मेज़ पर गिर गयी और इसी कारण उसमें भरा पेय छलक कर पास में मौजूद कुछ लोगों के ऊपर चला गया। पीटर के पास सुबह का अनुभव था। उसे अंदेशा था कि अब लोग उसे कोसने वाले शब्दों से नवाज़ेंगे, बल्कि, यह भी संभव है कि उनमें से कुछ लोग उसे थप्पड़ भी मार दें, धक्का देकर बार से बाहर भी निकाल दें। अनहोनी की अपेक्षा में पीटर घबरा कर आँखें बंद कर खड़ा हो गया।
इसी दौरान बोतल गिरने की आवाज़ सुन एक वेटर दौड़ता हुआ पीटर के पास आया और बड़े प्यार से यह जानने का प्रयास करने लगा कि कहीं टूटी बोतल से उसे तो चोट नहीं लगी है। जब पीटर ने ना में सर हिलाया तो वेटर ने उससे माफ़ी माँगी और उसे अपने कपड़े साफ़ करने के लिए एक नैपकिन दिया। इतनी देर में एक सफ़ाई कर्मचारी वहाँ पहुँच चुका था और उसने पूरे फ़र्श को साफ़ कर दिया था। पीटर बार के कर्मचारियों की प्रतिक्रिया से हैरान था, अभी वह इस पूरे घटनाक्रम को पचा भी नहीं पाया था कि उस बार की महिला मैनेजर वहाँ पहुँची और उसे गले लगाते हुए बोली, ‘मित्र, चिंता मत करो, इस दुनिया में कौन है जो ग़लतियाँ नहीं करता है।’ इसके पश्चात उस महिला मैनेजर ने पीटर को एक फ़्री ड्रिंक ऑफ़र करी। कहते हैं, उस दिन के पश्चात पीटर ने रोज़ बार में जाना शुरू कर दिया।
दोस्तों, अगर आप पीटर के साथ सुबह से घटी घटनाओं पर नज़र डालेंगे तो पाएँगे कि चर्च और बार में घटी घटनाएँ एक समान थी याने पीटर की गलती की वजह से लोगों के कार्य में ख़लल पड़ा था। लेकिन दोनों ही स्थानों पर एक जैसी गलती करने के बाद भी लोगों से मिली अलग-अलग प्रतिक्रिया के कारण पीटर ने एक जगह कभी ना जाने का निर्णय लिया तो दूसरी जगह वह रोज़ जाने लगा। साथियों, कई बार हमारा रवैया या प्रतिक्रिया लोगों को किसी विशेष माहौल से जोड़ती है या काट देती है, ख़ासकर तब जब वे गलती करते हैं। विचार कर देखिएगा ज़रूर…
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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