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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

प्रेम - बिना कहे, बिना अपेक्षा रखे…

Jan 10, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, काउंसलिंग के आधार पर मैं बहुत स्पष्ट तौर पर कह सकता हूँ कि जो माता-पिता गुस्से और डर से अपने बच्चों को संस्कारी, आज्ञाकारी बनाना चाहते हैं वे अक्सर अपने रिश्तों को सामान्य भी नहीं रख पाते हैं। ठीक इसी तरह जो पति-पत्नी आपस में छोटी-छोटी बातों पर लड़ते-झगड़ते रहते हैं वे भी अपना जीवन प्रेम पूर्वक नहीं जी पाते हैं। अर्थात् उनके रिश्ते भी सामान्य नहीं रह पाते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि गुस्सा और प्रेम साथ में नहीं रह सकते हैं।


आप स्वयं सोच कर देखिए, क्या ग़ुस्से के साथ किसी के दिल में जगह बना पाना संभव है? बिल्कुल भी नहीं, लेकिन इसके ठीक विपरीत प्रेम बिना कहे, बिना अपेक्षा रखे, अपने आप ही मानवीय रिश्ता बना देता है अर्थात् सामने वाले के दिल में आपके लिए थोड़ी सी जगह बना देता है। जी हाँ साथियों, जहाँ प्रेम होता है वहाँ इंसान तो छोड़िये, परमात्मा भी बस में हो जाते हैं और यही बात हमें पौराणिक कथाओं के माध्यम से सिखाई और बताई गई है। उदाहरण के लिए प्रेम की शक्ति को आप वनवास के लिए जाते समय सरयू नदी को पार करते वक्त, भगवान राम और केवट के संवाद से समझ सकते हैं। इसी तरह आप भगवान राम को हनुमान जी, सुग्रीव, विभीषण और शबरी के आगे भी झुकता हुआ देख सकते हैं। ठीक ऐसा ही हम भगवान कृष्ण और सुदामा या फिर भगवान कृष्ण और पांडवों के आपसी संबंधों में भी देख सकते हैं।


प्रेम के महत्व को बताते हुए, ऐसे ही अनेकों किस्से आपको पौराणिक कथाओं में सुनने को मिल जाएँगे, जिसमें भक्त के प्रेम में पड़कर या वशीभूत होकर भगवान अपने भक्त के आगे झुके हैं। इसका अर्थ हुआ, प्रेम प्रभु याने हमारे ईश्वर या हमारे भगवान को भी झुकाने की क्षमता रखता है और जो प्रेम स्वयं भगवान को झुका सकता है, वही प्रेम मनुष्य को झुकने और रिश्तों को महत्व देने के लिए मजबूर कर सकता है। इसलिए ही मैंने इस लेख की शुरुआत में कहा था, ‘प्रेम बिना कहे, बिना अपेक्षा रखे, अपने आप ही मानवीय रिश्ता बना देता है।’


दोस्तों, इसलिए ही कहा जाता है, ‘यदि आप दूसरों से प्रेमपूर्ण व्यवहार करते हैं तो आप उनके हृदय पर अपना आधिपत्य भी जमा सकते हैं।’ अगर आप इस दुनिया में किसी को जीतना चाहते हैं, तो उससे प्रेम करना शुरू कर दीजिए। अर्थात् किसी को जीतना है तो उसे प्रेम से जीतो। बल के प्रयोग से तो किसी-किसी को ही जीता जा सकता है; उसे अपना ग़ुलाम नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन प्रेम द्वारा इंसान तो छोड़िये हर प्राणी को जीता जा सकता है। जी हाँ दोस्तों, प्रेम वो शहद है जो संबंधों को मधुर बनाता है। मधुर संबंध, पारिवारिक ख़ुशहाली को जन्म देते हैं और पारिवारिक ख़ुशहाली ही तो एक सफल एवं आनंदमय जीवन की नींव है। तो आइये दोस्तों, आज से ही आनंदमय जीवन जीने के लिए सभी संबंधों को प्रेम के साथ मधुर बनाते हैं और अपने परिवार में खुशहाली लाते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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