Apr 13, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है रामपुर में रामू नाम का एक किसान रहता था, जिसकी दो बेटियाँ थी। गुजरते समय के साथ रामू ने बेटियों के बड़े होने पर उनकी शादी करवा दी। रामू की बड़ी बेटी की शादी एक किसान से तो छोटी बेटी की शादी एक कुम्हार से हुई।
वैसे तो दोनों बेटियाँ सामान्य और खुशहाल ज़िंदगी जी रही थी लेकिन कभी-कभी छोटी-मोटी चुनौतियाँ उन्हें परेशान कर देती थी। एक दिन रामू का किसी काम से पड़ोस के गाँव में गया जहाँ उसकी बड़ी बेटी रहा करती थी। उसने वहाँ पहुँच कर पहले अपना काम निपटाया, उसके बाद वह अपनी बड़ी बेटी के घर पहुँच गया और शुरुआती बातचीत के दौरान उसने अपनी बेटी का हाल चाल पूछा। बेटी बोली, ‘पिताजी वैसे तो सब-कुछ सामान्य चल रहा है। लेकिन अभी तक बारिश ना होने के कारण इस वर्ष फसल ख़राब या कम होने की संभावना लग रही है। मेरा आपसे निवेदन है कि आप भगवान से अच्छी बारिश की प्रार्थना कीजियेगा।’
रामू को बड़ी बेटी की बात उचित लगी। इसलिए घर पहुँचने के बाद रामू ने भगवान से अच्छी बारिश के लिये प्रार्थना की। कहते हैं चौबीस घंटों में एक पल ऐसा आता है जब सरस्वती माँ की कृपा से आपकी कही बात सच हो जाती है। उस दिन रामू के साथ प्रार्थना का पल कुछ ऐसा ही था। भगवान ने रामू की बात सुन ली और उसी दिन रात से ज़बरदस्त बारिश शुरू हो गई, जो अगले दो दिनों तक बिना रुके चलती रही।
दो-तीन दिनों बाद किसी कारण से रामू छोटी बेटी से मिलने उसके गाँव गया। उसे थोड़ा दुखी, परेशान और उदास देख रामू ने उससे इसकी वजह पूछी। शुरू में तो छोटी बेटी कुछ नहीं बोली लेकिन जब रामू ने ज़ोर दिया तो उसने बताया कि पिछले तीन दिनों की सतत बारिश से उसे काफ़ी नुक़सान हो गया है। उसने जो बर्तन बाहर सूखने के लिये रखे थे वे सब बारिश के कारण ख़राब हो गए और अब उसके पास बाज़ार में बेचने के लिए एक भी बर्तन नहीं है।
इतना कह कर वह कुछ पलों के लिए एकदम चुप हो गई, फिर बोली, ‘पिताजी, आप भगवान से प्रार्थना कीजियेगा कि अब वह और ज्यादा बारिश ना करे और अच्छी व तेज धूप दे। जिससे मैं ज़रूरत के अनुसार बर्तन बना कर उन्हें अच्छे से धूप में रख कर पका सकूँ और उन्हें समय पर बाज़ार में बेचकर अपनी ज़रूरत पूरी कर सकूँ।
बेटी की बात सुन रामू असमंजस में था। एक ओर जहाँ वह बड़ी बेटी को हुए फ़ायदे से खुश था, वहीं छोटी बेटी को हुए नुक़सान से वह दुखी भी था। वह जानता था कि अगर वह अच्छी बारिश के लिए प्रार्थना करेगा तो उसकी छोटी बेटी का काम प्रभावित होगा और अगर वह धूप के लिए प्रार्थना करेगा तो उसकी बड़ी बेटी का काम प्रभावित होगा। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या किया जाए? दोनों बेटियाँ उससे परस्पर विरोधी प्रार्थना करने के लिए अनुरोध कर रही थी।
चूँकि वह दोनों बेटियों को समान प्यार करता था, इसलिए बीतते समय के साथ उसकी उलझन और बढ़ती जा रही थी। उसके लिए किसी एक बेटी को चुनना और उसके लिए प्रार्थना करना संभव नहीं था। अंत में उसने सब कुछ ईश्वर पर छोड़ने का निर्णय लिया और ईश्वर की प्रार्थना करते हुए बोला, ‘भगवान जैसा आप चाहते हैं, वैसा ही करें! आपकी इच्छा प्रबल हो!’ इस प्रार्थना के अगले कुछ दिनों में सब कुछ सामान्य हो गया और रामू और उसकी दोनों बेटियाँ प्रसन्नता के साथ अपना जीवन जीने लगी।
दोस्तों जिस तरह रामू अपनी बेटियों के लिए चिंतित था ठीक उसी तरह भगवान भी हमारे लिए चिंतित रहता है और जो हमारे लिए अच्छा और उचित होता है, करता है। इसलिए, हमें सदैव उस सर्वशक्तिमान एवं सर्वदृष्टा मालिक की प्रार्थना सिर्फ इतना कहकर करना चाहिये कि ‘मालिक जो हमारे लिए उचित हो वही कीजियेगा।’ प्रार्थना करते वक़्त बस इतना ध्यान रखियेगा कि हमारा मन प्रेम से भरा हो और हम पूर्ण समर्पण और विनय के साथ प्रार्थना कर रहे हों।'
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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