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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

प्रेरणा देने की पहली सीढ़ी - प्रेरणा लेना

Apr 5, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, ‘मोटिवेशनल स्पीकर’ के रूप में मुझसे सबसे ज़्यादा पूछा गया सवाल है, ‘हम भी आपकी तरह मोटिवेशनल स्पीकर बनना चाहते हैं। बताइए कहाँ से और कैसे शुरुआत करें?’ सवाल सुनते ही मुझे अपने जीवन के वह 3 साल याद आ जाते है, जब अपने गुरु श्री राजेश अग्रवाल जी की ट्रेनिंग में सिखाई बातों पर काम करते हुए मैंने जीवन के तमाम उतार-चढ़ाव देखे थे। उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2010 में एक दिन मेरे गुरु ने अचानक लवली पब्लिक स्कूल, न्यू लयालपुर, दिल्ली में आयोजित ट्रेनिंग में शिक्षकों को सम्बोधित करने का मौक़ा दिया।


यह मेरे लिए जोर का धक्का, जोर से देने लायक़ जैसा था। ख़ैर मैंने इसे जीवन के सर्वोच्च मौके के रूप में माना और उस 45 मिनिट में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करा। ख़ैर, ट्रेनिंग पूर्ण होने के पश्चात शिक्षकों और अपने गुरु से मिली ताली ने मुझे एहसास करवाया कि सब कुछ अच्छा हो गया है। इस अनुभव से मेरा मनोबल काफ़ी बढ़ गया था और मैं काफ़ी खुश भी था। ख़ैर वहाँ से ट्रेनिंग पूर्ण कर जब हम वापस आ रहे थे तब मेरे गुरु ने मुझसे एक बड़ा अजीब सा प्रश्न किया, ‘निर्मल, आज तुमने बोला तो बहुत अच्छा, लेकिन मैं सोच रहा था कि तुम उसमें मौजूद थे या नहीं?’ असल में दोस्तों, मेरे गुरु का मुख्य इशारा इस बात पर था कि जो तुम बोल रहे हो वह तुम अपने जीवन में भी अमल में लाते हो या नहीं? अगर नहीं तो तुम सिर्फ़ एक अच्छे वक्ता हो।


इस एक घटना ने दोस्तों, मेरे जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया और मुझे कुछ भी बोलने से पहले अपने अंदर झांकने और यह पूछने कि ‘तू खुद इस बात को अपने जीवन में अमल में ला रहा है या नहीं?’, के लिए मजबूर कर दिया। याने दोस्तों, मुझे सजग, सहज, सकारात्मक रहते हुए वर्तमान में जीना सीखा दिया। मेरी नज़र में तो यही बात मोटिवेशनल स्पीकर बनने की पहली सीढ़ी है। अपनी बात को मैं थोड़ा विस्तार से बताने का प्रयास करता हूँ।


दोस्तों, प्रेरणा दायक बनने याने प्रेरणा देकर दूसरों के जीवन को बदलने लायक़ बनने की पहली सीढ़ी है दूसरों से प्रेरणा लेने लायक़ बनना। जब आप दूसरों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं तभी आप लोगों को पूर्ण विश्वास के साथ प्रेरणा देने लायक़ बनते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए दोस्तों, तो मीठे का स्वाद वही बता सकता है, जिसने मीठा खाया हो।


इसलिए हर ट्रेनर या मोटिवेशनल स्पीकर बनने की चाह रखने वाले लोगों को मेरी पहली सलाह रहती है, ‘कोई भी 3 या 5 घंटे, 3 या 5 दिन की ट्रेनिंग आपको ट्रेनर या ग्रेट स्पीकर नहीं बना सकती है। वे आपको खुद को प्रेज़ेंट करना, बेचना या अपने अनुभव को प्रस्तुत करना तो सीखा सकते हैं अर्थात् आपको एक वक्ता या प्रस्तुतकर्ता तो बना सकते हैं। लेकिन जब आप ट्रेनिंग के साथ अपने आस पास मौजूद लोगों या चीजों से प्रेरणा लेकर अपना जीवन बेहतर बनाना शुरू कर देते हैं, तब आप स्वयं प्रेरणादायी बनना शुरू कर देते हैं।


तो आइए दोस्तों, आज से हम अपने आसपास मौजूद लोगों के साथ-साथ प्रकृति से प्रेरणा लेना शुरू कर देते हैं। जैसे पर्वत हमें आँधी-तूफ़ान, विपरीत स्थितियों के बाद भी अपना मस्तक ऊँचा रखना सिखा सकता है। समुद्री लहरें हमें बार-बार गिरकर उठना और अपने लक्ष्य तक पहुँचना सिखा सकती हैं और बादल हमें समुद्र से जल लेकर रेगिस्तान को देना सिखा सकते हैं। वृक्ष हमें फल लगने के बाद झुकना याने जरूरतमंद के पास पहुँचना सिखा सकता है। इसी तरह फूल हमें दूसरों के लिए खिलना और दूसरों के लिए खुद को अर्पण करना सिखा सकते हैं। अंत में दोस्तों, बस यही बात एक बार फिर दोहराना चाहूँगा, ‘जो व्यक्ति प्रेरणा लेना जानता है उसका जीवन एक दिन स्वतः प्रेरणा दायक भी बन जाता है।’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर



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