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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

बच्चों के साथ सकारात्मक रिश्ता बनाने के 11 सूत्र - भाग 3

Dec 25, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य अपने बच्चों के साथ सकारात्मक मज़बूत भावनात्मक रिश्ता बनाना है, तो बच्चों से अपेक्षाएँ रखने के स्थान पर उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना शुरू करें। ऐसा करना आपको बच्चों के अनुरूप अच्छा माहौल बनाने और उन्हें गहराई से समझने में मदद कर, आपको रिश्तों को मज़बूत बनाने में मदद करता है। पिछले दो दिन में हमने बच्चों द्वारा पालकों से रखी जाने वाली 11 प्रमुख उम्मीदों और अपेक्षाओं में से प्रथम सात उम्मीदों और अपेक्षाओं को समझा था। आईए आगे बढ़ने से पहले उन्हें संक्षेप में एक बार फिर दोहरा लेते हैं-


पहली अपेक्षा : अनकंडीशनल लव याने बिना शर्त प्यार

विशेष परिस्थितियों की अपेक्षा बच्चे सामान्य जीवन में अनकंडीशनल लव याने बिना शर्त प्यार की अपेक्षा रखते हैं। इसलिए सामान्य जीवन में बच्चों को बिना शर्त गले लगायें, उन्हें प्यार करें, ताकि वे आपके साथ भावनात्मक रूप से मज़बूत रिश्ता बना सकें।


दूसरी अपेक्षा : समय

बच्चे हमसे सुविधाओं और संसाधन के स्थान पर क्वालिटी समय की अपेक्षा रखते हैं। इसलिए उनके साथ खेलें, बिना वजह बातें करें, उनके साथ घूमने जाएँ, उनके साथ पढ़ें और उन्हें पढ़ाएँ।


तीसरी अपेक्षा : अटेंशन

बच्चों से अटेंशन की अपेक्षा रखने के स्थान पर उनको अटेंशन दें; उनकी बातों को ध्यान से सुनें। ऐसा करना आपको उनके विचार और नज़रिए को समझने का मौक़ा देता है और साथ ही उन्हें एहसास करवाता है कि आप उनका, उनके नज़रिए का, उनकी सोच का सम्मान करते हैं।


चौथी अपेक्षा : सकारात्मक और प्रेरणादायी

बच्चों की कमियाँ निकालकर या फिर दूसरों से तुलना कर बच्चों को हतोत्साहित करने के स्थान पर उनकी छोटी से छोटी उपलब्धि के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। ऐसा करना उनका आत्मविश्वास बढ़ाता है और जीवन में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह उपलब्धियों का सराहा जाना उन्हें ख़ुद की सकारात्मक छवि बनाने और खुश रहने का मौक़ा देता है, जो अंततः आपके रिश्ते को मज़बूत और गहरा बनाता है।


पाँचवीं अपेक्षा : समझाने की अपेक्षा समझने वाले

कहते हैं ना ‘असफलता ही सफलता’ की पहली सीढ़ी है। इसलिए बच्चों की ग़लतियों या उनकी असफलताओं पर चिढ़ना, डाँटना या समझाना बंद करें। बच्चे हमसे अपेक्षा रखते हैं कि हम उन्हें बार-बार समझाने के स्थान पर समझें, उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करें और रिश्तों को सकारात्मक रूप से मज़बूत बनाए।


छठी अपेक्षा : स्वतंत्रता

बच्चे स्वतंत्रता चाहते हैं, इसलिए, बच्चों पर अपना निर्णय थोपने के स्थान पर उन्हें उम्र के अनुरूप निर्णय लेने और विकल्प चुनने की आज़ादी दें। ऐसा करना उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ सही और ग़लत को पहचानना सिखाता है और वे समय के साथ अपने आप ही स्वतंत्र रूप से कार्य करना सीख जाते हैं।


सातवीं अपेक्षा : स्वीकारना

बच्चे चाहते हैं कि आप उन्हें वैसे ही स्वीकारें जैसे वे हैं। इसलिए उनपर अपनी बात मानने का अनावश्यक दबाव ना बनाए। जब आप उनके शौक़, पसंद-नापसंद, रुचियों, आदतों का समर्थन करते हैं तब आप उनके दिल में अपने लिए जगह बनाते हैं।

चलिए दोस्तों, अब हम अंतिम 4 सूत्र सीखते हैं-


आठवीं अपेक्षा - स्पष्ट बातचीत

बच्चे घर पर ऐसे माहौल की अपेक्षा रखते हैं जहां वे बिना डरे, खुलकर अपने दिल की बात कह पाएँ। फिर चाहे वह उनकी भावनाएँ या असफलता या बेवक़ूफ़ी की दास्तान ही क्यों ना हो। इसलिए जब भी वे आपसे अपनी कोई भी बात साझा करें, तब उन्हें बिना कोई धारणा बनाए सुनें और साथ ही जब तक वे ना चाहें उन्हें कोई सुझाव ना दें।


नवीं अपेक्षा - धैर्य

बच्चे आपसे धैर्य की अपेक्षा रखते हैं, विशेषकर तब जब वे ग़लतियाँ करते हुए सीखते हैं। वैसे बच्चों को धैर्य का माहौल देना उन्हें चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है।


दसवीं अपेक्षा - जीवन मूल्य और जीवन मंत्र

बच्चे समाज में किसी और से कुछ भी सीखने या समझने के स्थान पर आपसे सीखना पसंद करते हैं। इसलिए उन्हें खुलकर जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक बातें ख़ुद सिखाए । फिर चाहे वह जीवन मूल्य हों या संस्कार अथवा ख़ुद की भावनाओं को डील करना। जब आप उन्हें उपरोक्त बातें और अन्य कौशल सिखाते हैं तो वे ज़्यादा सुरक्षित और स्वतंत्र महसूस करते हैं। साथ ही भविष्य में अधिक सफलता भी पाते है।


ग्यारहवीं अपेक्षा - जश्न बनाएँ

याद रखियेगा, हर बच्चा अनोखा और अनूठा है। अर्थात् उसकी अपनी व्यक्तिगत कमज़ोरियाँ भी हैं तो विशेषताएँ भी। जब आप उनकी व्यक्तिगत विशेषताओं को पहचान कर, उस क्षेत्र में मिली छोटी से छोटी सफलता का जश्न मनाते हैं तब आप उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। उन्हें एहसास कराते हैं कि घर पर कोई है जो उनका ध्यान रखता है, उनको समझता है। ऐसा करना आपके रिश्ते को ज़्यादा सहज और सशक्त बनाता है।


आशा करता हूँ दोस्तों, उपरोक्त सभी ग्यारह अपेक्षाओं या सूत्रों को आप अपनी पेरेंटिंग शैली का हिस्सा बनायेंगे और अपने आपसी रिश्ते को ज़्यादा पारदर्शी, ज़्यादा मज़बूत और भावना आधारित बनाएँगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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