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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

बड़ा नज़रिया दुःख और परेशानी को कम कर देता है…

Aug 1, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, ‘क्या हाल है…’ पूछने पर आपने निश्चित तौर पर कभी ना कभी सामने वाले व्यक्ति को ठंडी साँसों के साथ ‘कट रही है…’ कहते हुए सुना होगा। मेरी नज़र में ऐसे जवाब वही व्यक्ति देता है जो अपने जीवन में अच्छाई के स्थान पर बुराई, सुख के स्थान पर दुःख और ख़ुशी के स्थान पर हमेशा परेशानी को देखता है, अर्थात् नकारात्मक नज़रिए के साथ, हर छोटी-छोटी बातों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अपना जीवन जीता है।


हाल ही में मेरी मुलाक़ात भी एक ऐसे ही परिचित से हो गई। काफ़ी दिनों बाद मिलने पर जब मैंने उनसे पूछा, ‘कैसे हैं आप?’ तो वे अपनी आदतानुसार ढीली-ढाली बॉडी लैंग्विज के साथ बोले, ‘कट रही है।’ मैंने तुरंत उन पर अपना अगला प्रश्न दागा, ‘कहाँ से?’ तो वे एकदम से सकपका गए और बोले, ‘क्या बताऊँ आजकल जीवन में इतनी परेशानियाँ बढ़ गई हैं कि समझ ही नहीं आता क्या करूँ? मैं तो अपनी ज़िंदगी से त्रस्त आ चुका हूँ।’ हालाँकि उस वक्त मैं थोड़ा जल्दी में था, लेकिन परिचित को निराशा में देख मैंने उसकी मदद करने का निर्णय लिया। शुरुआती सामान्य बातचीत के बाद मैं उनके लिए फ़्रेश निम्बू पानी बना कर लाया और उनसे पूछा कि आप इसमें नमक डालना पसंद करेंगे या शक्कर।’ एक पल रुकने के बाद वे बोले, ‘नमकीन ठीक रहेगा सर।’ मैंने मुस्कुराते हुए उनके ग्लास में 3-4 चम्मच नमक डाल दिया। मुझे ज़्यादा मात्रा में नमक डालते देख वे एकदम से बोल पड़े, ‘सर यह क्या कर रहे हैं आप? इतना ज़्यादा नमक डालने से तो यह एकदम खारा हो जाएगा।’ मैंने तुरंत अपनी गलती मानते हुए उनसे कहा, ‘ओह! माफ़ कीजिएगा एक काम करते हैं, हम इस खारे निम्बू पानी को बचे हुए सारे निम्बू पानी में मिला लेते हैं।’


इतना कहते ही मैंने उनका निम्बू पानी वाला ग्लास उठाया और उसे बचे हुए निम्बू पानी में मिला दिया और इस नए मिक्स निम्बू पानी में से एक ग्लास उन्हें दिया। उन्होंने अनमने मन से निम्बू पानी का एक छोटा सा घूँट पिया। एक बार फिर मैंने मुस्कुराते हुए उनसे प्रश्न किया, ‘आशा करता हूँ अब आपको निम्बू पानी ठीक लग रहा होगा।’ इस बार वे मुस्कुराते हुए बोले, ‘हाँ अब यह बिलकुल परफ़ेक्ट है।’


उनका पूर्ण संतुष्टि भरा जवाब सुनते ही मैं एकदम गम्भीर हो गया और बोला, ‘हमारा जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ और दुःख बिलकुल इस नमक के समान हैं। अर्थात् हमारे जीवन में ईश्वर ने दुःख की मात्रा बिलकुल तय कर रखी है। लेकिन अगर आप इसे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने फ़ायदे या नुक़सान के नज़रिए से देखेंगे तो यह आपको बहुत ज़्यादा नज़र आएगा। लेकिन अगर आप इसी दुःख, परेशानी या विपरीत परिस्थिति को बड़ा नज़रिया करके देखेंगे तो आपको एहसास होगा कि हज़ारों-लाखों लोगों के मुक़ाबले आपकी स्थिति कई गुना बेहतर है। आप जिन चीजों को अपने लिए अपर्याप्त मान दुखी हो रहे हैं, कई लोग उतना ही पाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं।


दोस्तों, मुझे नहीं पता मेरा तर्क सही था या ग़लत। लेकिन मेरे अपने जीवन में तो मैंने हमेशा ही इस सूत्र को काम में लिया है, ‘जो भी, जितना भी, जब भी मिला है, पर्याप्त है और मैं इसके लिए ईश्वर का आभारी हूँ क्यूंकि कई लोगों के भाग्य में तो इतना भी नहीं है।’ जी हाँ साथियों इसीलिए तो कहता हूँ, ‘बड़ा नज़रिया दुःख और परेशानी को कम कर देता है…’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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