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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

बतख़ या चील - पसंद आपकी

Jan 12, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आपको इस दुनिया में दो तरह के लोग मिलेंगे, पहले वे जो परिस्थितियों और परेशानियों के साथ दोष देने के साथ कुड़कुड़ाते और शिकायत करते हुए अपना जीवन काटते हैं और दूसरे वे जो परिस्थितियों और चुनौतियों को नज़रंदाज़ करते हुए अपना जीवन जीते हैं। हो सकता है आपको एक के साथ परेशानी और दूसरे के साथ चुनौती शब्द खटक रहा हो या अटपटा लग रहा हो, तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि स्थितियों को अलग देखने का नज़रिया ही तो इन दोनों लोगों को एक-दूसरे से अलग बनाता है। अर्थात् दोनों के जीवन की स्थितियाँ एक जैसी ही हैं बस वे उन्हें अलग नज़रिए से देखते हैं और इसीलिए अलग जीवन जीते हैं। अपनी बात को मैं दुबई एयरपोर्ट पर घटी एक सच्ची घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ, जो आजकल इंटरनेट पर वायरल हो रही है।


एक सज्जन अपने किसी कार्य से दुबई पहुंचे और वहाँ से अपने गंतव्य पर जाने के लिए एक टैक्सी बुक करी। कुछ पलों के इंतज़ार के पश्चात उसके समक्ष एक बेहद साफ़, चमचमाती हुई टैक्सी आकर रुकी। ऐसा लग रहा था मानो उसे कोई सीधे सर्विस या पॉलिश करवा कर ला रहा हो। वे सज्जन कुछ समझ पाते उससे पूर्व ही टैक्सी का ड्राइवर तेजी से कार से उतरा और उन सज्जन का अभिवादन करने के पश्चात कार की पीछे की सीट का दरवाज़ा खोलते हुए बोला, ‘सर, मैं आपका टैक्सी ड्राइवर अब्दुल हूँ। आप आराम से अंदर बैठिए और मेरा मिशन स्टेटमेंट पढ़िए तब तक में डिक्की में आपका सारा सामान व्यवस्थित रूप से रख देता हूँ।’ इतना कहते हुए अब्दुल ने एक लेमिनेट किया हुआ काग़ज़ उन सज्जन की ओर बढ़ा दिया।


अचंभित सज्जन ने टैक्सी की पिछली सीट पर बैठते हुए उसे कई बार पढ़ा। अब्दुल ने विज़न स्टेटमेंट में लिखा था, ‘मैं अपने सभी ग्राहकों को उचित मूल्य पर सबसे तेज़, सुरक्षित और सेफ़ तरीके से, उनके अनुकूल वातावरण देते हुए, गंतव्य तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।’ वे सज्जन जब तक पूरी तरह सामान्य होते कार में ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए अब्दुल ने कहा, ‘सर, क्या आप कॉफ़ी लेना चाहेंगे? मेरे पास हॉट डिकैफ़िनेटेड कॉफ़ी का थर्मस है।’


उन सज्जन के लिए अब्दुल की बात कल्पना से परे थी उन्होंने मज़ाक़ में कहा, ‘मैं कोई सॉफ़्ट ड्रिंक लेना पसंद करूँगा।’ अब्दुल मुस्कुराया और बोला, ‘कोई बात नहीं सर मेरे पास ठंडी डाइट कोक, लस्सी, संतरे का जूस और पानी है।’ अब्दुल के जवाब से वे सज्जन एकदम विस्मित रह गए और लगभग हकलाते हुए बोले, ‘मैं एक लस्सी लेना पसंद करूँगा।’ अब्दुल ने लस्सी देते हुए अगला सवाल करा, ‘अगर आप रास्ते में कुछ पढ़ना चाहते हैं तो मेरे पास द एन॰एस॰टी॰, स्टार एवं सन टुडे है।’ वे कुछ जवाब देते उससे पहले ही अब्दुल ने अगला लेमिनेटेड कार्ड उन सज्जन को थमाते हुए कहा, ‘सर, हम रास्ते में निम्न रेडियो स्टेशन सुन सकते हैं या मैं कुछ चुनिंदा अच्छे गाने भी प्ले कर सकता हूँ।’ इतना ही नहीं अब्दुल ने उन्हें कार एयर कंडीशनिंग के बारे में बताते हुए पूछा कि क्या कार का तापमान उनके लिए आरामदायक है? अंत में अब्दुल ने उन्हें उनकी मंज़िल के हिसाब से सबसे आरामदायक रास्ता सुझाया और पूछा क्या वे रास्ते में उससे बात करना पसंद करेंगे।


उन सज्जन ने जवाब देने के स्थान पर अब्दुल से सीधे प्रश्न किया, ‘अब्दुल, क्या तुम हमेशा इसी तरह ग्राहकों की सेवा करते हो?’ प्रश्न सुन अब्दुल मुस्कुराया और बोला, ‘नहीं, मैंने यह दो वर्ष पहले ही शुरू किया है जबकि मैं टैक्सी पिछले 7 सालों से चला रहा हूँ। मैंने उन 5 सालों में अपना अधिकांश समय शिकायत करने में बिताया है। जैसा कि बाक़ी टैक्सी वाले करते हैं। फिर एक दिन मैंने ‘पॉवर ऑफ चॉइस’ के बारे में सुना। उस दिन मुझे पता चला कि रोज़मर्रा में किए गए चुनाव किस तरह हमारे जीवन की दिशा तय करते हैं। तभी मुझे पता चला कि किस तरह हम बतख़ या चील की सोच के साथ जीवन जीते हैं।


वे सज्जन मंत्रमुग्ध थे उन्होंने अब्दुल से जब बतख़ या चील के विषय में पूछा तो अब्दुल ने बताया कि बतख़ हमेशा शिकायत करते हुए बुदबुदाती अर्थात् क्वैक-क्वैक करती है, जबकि चील भीड़ के ऊपर उड़ती है। यह हमारे ऊपर रहता है हम बतख़ की तरह बुदबुदाते अर्थात् शिकायत करते हुए अपना जीवन जीते हैं या अपना दृष्टिकोण बदलकर चील की तरह सारी चुनौतियों या परेशानियों के ऊपर या पार जाकर खुश रहते हुए जीवन जीते हैं।’ कुछ पल रुकने के बाद अब्दुल फिर बोला, ‘जब मुझे यह बात समझ आई तो मैंने अपने आस-पास देखा तो पाया लोग गंदी टैक्सी लेकर चिढ़ते हुए रोज़ कार्य करते हैं और इसी वजह से उनके ग्राहक भी उनसे नाखुश रहते हैं। इसी आधार पर मैंने छोटे-छोटे परिवर्तन करने का निर्णय लिया। जब मुझे ग्राहकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली तो मैंने और अधिक परिवर्तन किए और इस तरह आज मैं यहाँ तक पहुँच पाया हूँ। इन परिवर्तनों के साथ मैंने पहले साल अपनी आमदनी दोगुनी करी। इस साल शायद मैं उसे चौगुनी करने में सफल हो जाऊँगा। अब मेरे ग्राहक फ़िक्स हो गए हैं वे मुझे पहले से फ़ोन करके या संदेश छोड़के बुक कर लेते हैं।’


दोस्तों, अब्दुल ने बतख़ की तरह रोज़ कुड़कुड़ाने के स्थान पर खुद को एक चील की तरह स्थापित करने का निर्णय लिया। ताकि वह अपने सपनों की उड़ान भर सके और जीवन की चुनौतियों से निपटते हुए अपने जीवन को खुल कर जी सके। याद रखिएगा, आदमी पानी में गिरने से नहीं, बल्कि तैरना ना आने के कारण मरता है। इसी तरह से परिस्थितियाँ या बुरा वक्त इंसान को नहीं मारता बल्कि उनसे निपटने का नज़रिया ना होने के कारण व्यक्ति हार मानता है। तो आईए साथियों, आज से हम बाज बनने के लिए रोज़ एक छोटा कदम उठाना शुरू करते हैं, जिससे हम खुद को और अपने कौशल को रोज़ थोड़ा-थोड़ा बेहतर बनाते हैं और अपने सपनों के निकट पहुँच उन्हें हक़ीक़त में बदलने का प्रयास करते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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