top of page

बदलना है दुनिया को तो पहले बदलें खुद को…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

June 12, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, ज़िंदगी में हममें से ज़्यादातर लोग जो एक चूक करते हैं, वह है, लोगों से अपनी अपेक्षानुसार व्यवहार करने की आस रखना। जो वास्तव में सम्भव ही नहीं है क्योंकि इस जीवन और दुनिया के प्रति हम सबका नज़रिया अलग-अलग होता है। इसकी मुख्य वजह समय, संस्कार और शिक्षा की वजह से हमारी सोच में आया परिवर्तन होता है। लेकिन हममें से ज़्यादातर लोग इस सच्चाई को स्वीकार नहीं पाते हैं और परेशानी भरा जीवन जीते हैं। अपनी बात को मैं आपको एक किस्से से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात कुछ दिन पुरानी है, एक दिन अचानक मेरे पास एक परिचित का फोन आया और वे बोले, ‘मुझे व्यवसायिक जीवन में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और मैं तुमसे उस विषय में चर्चा करना चाहता हूँ।’ मैंने उन्हें थोड़ा विस्तार से बताने के लिए कहा तो पता चला कि ये सज्जन एक प्रतिष्ठित आई॰टी॰ कम्पनी में नौकरी करते थे और पिछले लगभग 7-8 वर्षों से प्रमोशन ना मिलने के कारण परेशान चल रहे हैं। उनके मुताबिक़ इसकी मुख्य वजह उनके मैनेजर का उनसे नाराज़ होना और उनकी टीम का उनके मैनेजर के पक्ष में होना है। इतना ही नहीं, उन सज्जन ने अपनी टीम और मैनेजर पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनकी राजनीति की वजह से ही मैं व्यवसायिक जीवन में उन्नति नहीं कर पा रहा हूँ।


उनसे हुई लगभग एक घंटे की चर्चा के दौरान मैंने पाया कि उन्हें सारी ग़लतियाँ दूसरों के व्यवहार में नज़र आ रही थी और वे खुद की कमियों को ‘बचपन की आदत’ या ‘पिता अथवा परिवार से मिले अनुवांशिक गुण’, के रूप में बता रहे थे। कुल मिलाकर कहा जाए तो उनके जीवन में घटने वाली हर नकारात्मक घटना के लिए कोई और ही ज़िम्मेदार था और उस बाहरी व्यक्ति के सुधरे बिना उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आना, नामुमकिन था।


कमोबेश यही स्थिति दोस्तों, किसी ना किसी रूप में हममें से ज़्यादातर लोगों के जीवन को प्रभावित करती है। हम अक्सर उन स्थिति, परिस्थिति, व्यक्ति या चीजों को बदलना चाहते हैं जो हमारे हाथ में होते ही नहीं है। अर्थात् जिन्हें बदलना या समझाना हमारे हाथ में होता ही नहीं है, जैसा कि उपरोक्त किस्से में वे सज्जन कर रहे थे। आप स्वयं सोच कर देखिएगा कोई भी (बाहरी) इंसान आपकी ख़ुशी के लिए खुद के अंदर क्यों बदलाव लाएगा? आप स्वयं सोच कर देखिए, कोई भी इंसान दूसरों की ख़ुशी, शांति या सुख के लिए अपना कम्फ़र्ट ज़ोन या अपनी शांति को क्यों डिस्टर्ब करेगा? निश्चित तौर पर उसकी जगह आप भी होते तो आप भी वैसा ही करते। थोड़ा कड़वा लगेगा लेकिन खुद की बेहतरी के लिए सुनना बेहतर है कि जब आपने अपनी कमियों को अपनी आदत मान छोड़ रहे हैं। आप खुद की बेहतरी के लिए भी खुद को बदलने के लिए राज़ी नहीं हैं, तो फिर दूसरा आपके लिए क्यों बदलेगा।


याद रखिएगा दोस्तों, जब तक आपकी ख़ुशी, आपकी सफलता, आपकी मानसिक शांति दूसरों पर निर्भर है तब तक आप निश्चित तौर पर परेशान ही रहेंगे। इसलिए मेरा सुझाव है कि अगर आप शांत और खुश रहते हुए सफल होना चाहते हैं तो दूसरों के स्थान पर खुद को बदलिए और अगर इसमें आपकी आदतें आड़े आ रही है तो खुद से प्रश्न कीजिए कि आप बड़े हैं या आपकी आदतें और फिर आपको जो जवाब मिले उसके अनुसार जीवन में आगे बढ़ें।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर



 
 
 

Comments


bottom of page