July 13, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों!, सोच, मत, धारणाओं और नज़रिए आदि में अंतर होना स्वाभाविक है क्योंकि यह सभी हमें जीवन में अभी तक मिले अनुभव, शिक्षा, संस्कार और संगत की वजह से बनते हैं। लेकिन इस मतभेद को मन भेद मान दुश्मनी मान लेना कहीं से भी सही नहीं है। अपनी बात को मैं आपको हाल ही में फ़ार्मा कम्पनी के लिए कार्य करते वक्त मिले अनुभव से समझाने का प्रयास करता हूँ।
मेरे एक क्लाइंट, जो अभी फ़ार्मा क्षेत्र में काम कर रहे थे, ने अपना व्यवसाय बढ़ाने के उद्देश्य से सर्जिकल आइटम के उत्पादन के क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया। बिना परेशानियों के सब कुछ अच्छे से पूर्ण हो जाए, इसलिए मेरे क्लाइंट ने 3 क्षेत्रों के विशेषज्ञों को साथ रखने का निर्णय लिया। यह तीन विशेषज्ञ वास्तु, लीगल और कन्स्ट्रक्शन के क्षेत्र में काम करने वाले थे। शुरुआती दिनों में तो सब कुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन फ़ैक्टरी कन्स्ट्रक्शन और उसके पश्चात लाइसेन्सिंग प्रक्रिया के दौरान कुछ ऐसी स्थिति बनी कि दो विशेषज्ञ एकदम आमने-सामने आ गए और बीतते समय के साथ उनके बीच में आपसी खींचातानी इतनी ज़्यादा बढ़ गई कि वे एक दूसरे को शत्रु मानने लगे। अब जब भी उनसे अलग-अलग बात होती थी तो वे एक दूसरे की कमियाँ बताने लगते थे।
हालाँकि इस स्थिति से फ़ैक्टरी मालिक को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था, बल्कि वे तो दोनों के आपसी विवाद से अपना फ़ायदा निकालने की कोशिश कर रहे थे। एक दिन मेरे समक्ष बड़ी हास्यास्पद स्थिति आई, जब एक विशेषज्ञ ने मुझे आकर कहा, ‘सर, एक बार यहाँ का काम तो निपट जाए, उसके बाद इसको देखता हूँ।’ बदला लेने की उसकी धमकी सुन मुझे तो जोर की हंसी आ गई। मुझे हंसते देख वे सज्जन एकदम गम्भीर होते हुए बोले, ‘मैं सही कह रहा हूँ सर, छोड़ूँगा नहीं उसे।’ मैंने उसी मुस्कुराहट के साथ बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘चलो मान लिया तुमने अपना बदला पूरा कर लिया, पर इस बदले से तुम्हारे जीवन में क्या सकारात्मक बदलाव आएगा?’ मेरा प्रश्न सुन वे एकदम चुप हो गए।
असल में दोस्तों, मेरी नज़र में बदला लेने से ज़्यादा बेहतर खुद को बदल डालने का विचार है क्योंकि खुद के अंदर लाया बदलाव आपको बेहतर बनने का मौक़ा देता है और इसके ठीक विपरीत बदले की आग दूसरे से ज़्यादा खुद को नुक़सान पहुँचाती है। यह हवन में हाथ जलाने समान है।
जी हाँ दोस्तों, हक़ीक़त में बदले से आपके जीवन में कुछ नहीं बदलता है अपितु आप बहुत सारी नकारात्मकता ज़रूर अपने अंदर भर लेते हैं। आप स्वयं सोच कर देखिए अगर वे दोनों विशेषज्ञ क्या सही है पर खुलकर चर्चा कर लेते तो क्या स्थिति होती? या दोनों विशेषज्ञों में से कोई एक विवाद की स्थिति बनने के पूर्व हाथों-हाथ प्रतिक्रिया देने के स्थान पर थोड़ा धैर्य से काम ले लेता तो क्या होता? निश्चित तौर पर दोनों विवाद से बच जाते।
याद रखिएगा साथियों, बदला लेने वाला मनुष्य महान बने या न बने, पर स्वयं को बदलने वाले मनुष्य का जीवन एक दिन आदर्श अवश्य बन जाता है। इसलिए अपने जीवन में सहनशीलता, समत्व और धैर्य जैसी भावनाएँ विकसित कीजिए। इसके लिए आपको अपने विचारों को मज़बूत बनाना होगा क्योंकि श्रेष्ठ विचार ही आपको विवाद से बचाकर या फिर विवादित स्थिति में भी लाभ लेकर श्रेष्ठ जीवन का निर्माण करने में मदद करते हैं। इसीलिए मैंने पूर्व में कहा था सोच, मत, धारणाओं और नज़रिए में अंतर स्वाभाविक है इसके कारण मतभेद को मन भेद ना बनने दें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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