May 31, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नज़र में अनावश्यक बातों, कार्यों, चीजों और लोगों को नज़रंदाज़ करना ही ख़ुद को फ़ोकस्ड रखते हुए शांतिपूर्ण और सुखमय जीवन जीने का रास्ता है। इस बात का एहसास मुझे अपने ही जीवन को रिवाइंड कर देखने के बाद हुआ। जी हाँ दोस्तों अपनी उत्पादकता, शांति, ख़ुशी और सुख के स्तर को और बढ़ाने के प्रयास में जब मैंने अपने पिछले कुछ महीनों का ऑडिट कर देखा तो पाया कि मैंने अपने बहुमूल्य जीवन का लगभग ३० प्रतिशत समय अनावश्यक कार्यों में बर्बाद कर दिया है।हालाँकि यह समय सामान्य इंसानों के समय बर्बादी के औसत समय ७६ प्रतिशत से काफ़ी कम था, लेकिन इसके बाद भी इसमें गुंजाइश की काफ़ी सम्भावनाएँ थी।
उक्त आँकड़ा सामने आते ही जब मैंने बारीकी से इस स्थिति को देखने या समझने का प्रयास किया तो पाया कि ज़्यादातर लोग अनावश्यक रूप से लोगों की बातों या कार्यों पर प्रतिक्रिया देकर, सलाह देकर, ज़्यादातर समय दुविधाजनक स्थिति में रहने के कारण अनावश्यक तौर पर विचारों के जाल में उलझकर और फिर विचारों के अपच के कारण अनावश्यक बोल या जवाब देकर, उलझ जाते हैं; अपने समय और ऊर्जा को बर्बाद करते हैं।
इनसे बचने का दोस्तों एक ही उपाय है, ‘मौन!’ जी हाँ दोस्तों, मौन हमारे सामने रखे गये हर उस प्रश्न का सटीक उत्तर है जिसका हमारे जीवन में कोई महत्व नहीं है। यक़ीन मानियेगा, ‘मौन’, बिना कहे अपनी बात कहने का सबसे शक्तिशाली तरीक़ा है। जब आप फ़ालतू बातों या प्रश्नों का जवाब मौन से देना प्रारंभ करते हैं, तब आप अपना समय और ऊर्जा बचाने लगते हैं और इन दोनों याने समय और ऊर्जा का प्रयोग ज़्यादा उत्पादक तरीक़े से करते हुए अपने जीवन को बेहतर बनाने लगते हैं।
दोस्तों, शायद सुनने में आपको मेरी यह बात थोड़ी अतिशयोक्तिपूर्ण या बेमानी लगे। लेकिन यक़ीन मानियेगा यह मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव याने जीवन में उपरोक्त बातों की वजह से आए सकारात्मक बदलाव के आधार पर कह रहा हूँ। जब आप अपनी ऊर्जा और समय को बचाते हैं, तब आप ख़ुद को, चीजों को, विभिन्न स्थितियों को, समाज आदि को गहराई से देखना और उनका निरीक्षण करना शुरू कर देते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो समय और ऊर्जा का सही प्रबंधन आपको आत्मनिरीक्षण कर, हर छोटी से छोटी चीज को महसूस करने की शक्ति देता है।
दोस्तों, मौन की सहायता से जब हम हर पल सजग याने जागृत अवस्था या वर्तमान में रहते हुए जीना सीख जाते हो, तब हम अपने जीवन में घटने वाली घटनाओं के साक्षी बन पाते हैं। जी हाँ, जब हम हर पल में मौजूद रहते हुए जीवन जीते हैं, तब हम जीवन से मिली सीखों को किस तरह क्रियान्वित कर रहे हैं; हम अपने जीवन को किन मूल्यों पर जी रहे हैं और जीवन में कैसे मूल्य जोड़ रहे हैं; हम अपने बारे में क्या सोच रहे हैं, आदि समझ पाते हैं।
इन बातों को साथियों सिर्फ़ तभी समझा जा सकता है, जब हम अपना समय अलगाव में बिताते हैं और खुद को अपना सबसे अच्छा साथी बनाते हैं। यह स्थिति आपको ध्यान की अवस्था में जीवन जीने का मौक़ा देती है, जो जीवन जीने का सर्वोत्तम अभ्यास है। यह हमारे अवलोकन के कौशल को बढ़ाता है और हमें ख़ुद को बेहतर तरीक़े से जानने का मौक़ा देता है या यूँ कहूँ यह हमें अपनी आंतरिक दुनिया की यात्रा कराता है और हमें अपने आप को एक बहुत व्यापक कोण से देखने में मदद करता है! तो आईए दोस्तों आज से हम उपरोक्त सूत्र को अपनाकर ध्यान की अवस्था में जीवन जीने का प्रयास करते हैं…
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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