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बाँटें ख़ुशियाँ…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Feb 13, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों! आइए आज हम बात करते हैं जीवन के एक ऐसे ख़ूबसूरत पहलू की जो ना सिर्फ़ हमारे बल्कि हमारे आसपास मौजूद लोगों की ज़िंदगी को भी समय के साथ खुशियों से भर देगा। जी हाँ साथियों, हमारा आज का लेख असल में अपने साथ खुशियों को बाँटने का संदेश लेकर आया है।


चलिए आज के लेख की शुरुआत एक प्रश्न के साथ करते हैं, दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि प्रतिदिन हमारे द्वारा किए जाने वाले छोटे-छोटे कर्म कितनी बड़ी ख़ुशी या दुख का कारण बन सकते हैं? गलती होना और उस गलती से नुक़सान होना स्वाभाविक है क्योंकि काम करते वक्त इंसान से ग़लतियाँ होना स्वाभाविक ही है। लेकिन प्रतिदिन सोने से पहले अपने दिन को अपनी आँखों के सामने गुजरता हुआ देखना और आत्म मूल्यांकन करते हुए यह सोचना कि आज हमने किसका दिल दुखाया है; किसे अपमानित किया है और किसके साथ ग़लत व्यवहार किया है, ख़ुद को बेहतर बनाता है। जी हाँ दोस्तों, प्रतिदिन सेल्फ रिफ्लेक्शन के द्वारा आत्म मूल्यांकन करना और अपनी गलतियों को पहचानना ना सिर्फ़ हमारे जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि हमारे आसपास मौजूद लोगों के जीवन को भी बेहतर बनाता है।


संभव है, आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगे कि आत्म मूल्यांकन कर अपनी गलतियों को पहचानना हमारे और दूसरों के जीवन को बेहतर कैसे बनाता है, तो मैं आपको आगे बढ़ने से पहले बता दूँ कि ग़लतियों को पहचानना ही, उन्हें सुधारने की दिशा में पहला कदम बढ़ाना है। जब आपका अंतर्मन गलतियों को स्वीकार या पहचान लेता है, तब वह सबकॉन्शियसली आपको उन्हें दोहराने से रोकता है और आप स्वतः ही उन लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करने लगते हैं।


इसी बात को दूसरे तरह से हमारे शास्त्रों और पुरानी कहावतों में समझाते हुए कहा है, ‘जो लोग दूसरों की खुशी का ध्यान रखते हैं, उनकी खुशियों का ख्याल खुद प्रकृति रखती है।’ सोचिए, अगर हम अपनी छोटी-छोटी आदतों से दूसरों को खुश कर सकते हैं, तो यह न केवल उनके लिए बल्कि हमारे लिए भी सुखद अनुभव हो सकता है। वैसे दोस्तों, यह भी सच है, जो हम देते हैं, वही हमारे पास लौट कर आता है। अगर हम खुशी बाँटते हैं, तो हमें खुशी मिलती है और अगर हम नकारात्मकता बाँटते हैं, तो वही नकारात्मकता हमारे जीवन में लौटकर आती है। इसलिए ही कहा जाता है, ‘देना ही पाना है!’


दोस्तों, संभव है आप में से कुछ लोगों के मन में प्रश्न आ रहा हो कि ‘ख़ुशी बाँटने’ का मतलब क्या है? क्या इसे सिर्फ़ महँगी चीजों को देकर ही बाँटा जा सकता है? तो मैं आपको बताना चाहूँगा कि ख़ुशी बाँटने का लेना-देना किसी वस्तु से नहीं है। इस लक्ष्य को तो मुस्कुराहट देकर, किसी की मदद करकर या अपने व्यवहार में दयालुता लाकर भी पाया जा सकता है। जी हाँ दोस्तों ख़ुशी देने के लिए बस इतना ही करना काफ़ी है।


इसे मैं आपको हाल ही में घटी एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ। फुटपाथ पर एक बच्चे को रोता देख एक थका-हारा राहगीर उसके पास पहुँचा और बड़े प्यार से उससे बोला, ‘क्या हुआ बेटा? तुम रो क्यों रहे हो?’ बच्चा सिसकते-सिसकते बोला, ‘अंकल मेरा ग़ुब्बारा फूट गया है।’ बच्चे की बात सुन राहगीर मुस्कुराया और गुब्बारे वाले से एक गुब्बारा ख़रीद कर उसे दे दिया। नया गुब्बारा मिलते ही बच्चा खुश हो मुस्कुराने लगा, जिसे देख राहगीर की थकान मानो ग़ायब हो गई।


देखा दोस्तों, ख़ुशी बाँटना कितना आसान है। यह किसी बड़ी चीज की माँग नहीं करता। केवल थोड़ा सा समय, मुस्कुराहट, सहानुभूति, अच्छा व्यवहार आदि जैसी चीजें माँगता है। तो चलिए, आज से संकल्प लेते हैं कि हर दिन सोने से पहले अपने दिन का मूल्यांकन करेंगे और देखेंगे कि हमने आज किसी को ख़ुशी दी या नहीं। साथ ही अगर गलती से किसी का दिल दुखाया हो तो उसे सुधारने की कोशिश करेंगे और आवश्यकतानुसार अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव लायेंगे। याद रखिएगा दोस्तों, खुशियाँ बाँटने वाले का दिल हमेशा भरा हुआ रहता है। जब आप दूसरों की खुशियों का ख्याल रखते हैं, तो जीवन में आपको भी वही खुशियाँ लौटकर मिलती हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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