top of page
  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

बात करने से ही निकलेगा समाधान…

June 19, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक बहुत ही प्यारी कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है शहर से दूर एक गाँव में सोनू और मोनु नाम के दो दोस्त रहा करते थे। धार्मिक प्रवृति का होने के कारण सोनू पंडिताई किया करता था और मोनु गाँव में नाई का काम किया करता था। हालाँकि दोनों ही दोस्तों की सोच एकदम विपरीत थी लेकिन उसके बाद भी दोनों हमेशा ना सिर्फ़ साथ रहा करते थे बल्कि अच्छे विषयों पर सत्संग भी किया करते थे।


एक दिन दोनों दोस्त संध्या के समय कहीं घूमने जा रहे थे और रास्ते में चलते-चलते ईश्वर और उसकी महिमा पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा के दौरान अचानक मोनु नाई ने सोनू पंडित से एक प्रश्न किया, ‘सोनू, मुझे लगता है तेरा ईश्वर बहुत पक्षपाती है। वह कुछ को तो सब अच्छा-अच्छा देता है; और कुछ को सिर्फ़ तकलीफ़ें देता है।’ ‘तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?’, सोनू ने जवाब में प्रश्न पूछते हुए कहा। प्रश्न सुन मोनु नाई मुस्कुराया और बोला, ‘अगर ऐसा नहीं है तो तुम ही बताओ कहीं बाढ़ आती है, तो कहीं सूखा पड़ता है। कोई दुर्घटना से परेशान है, तो कोई ग़लत होने के बाद भी मज़े में है। कहीं भुखमरी है, तो किसी को नौकरी नहीं मिल रही है। इसके विपरीत बहुत से लोग हैं जो बिना कुछ करे भी ऐश के साथ जी रहे हैं। तुम ही बताओ; ईश्वर कुछ लोगों को ऐसी कई परेशानियाँ क्यूँ देता रहता है?’


सोनू पंडित ने चलते-चलते ही एक भिखारी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘मोनु, तुम उस भिखारी को देख पा रहे हो?’ मोनु ने हाँ में सिर हिलाते हुए पूछा, ‘हाँ, क्यों?’ सोनू ने मोनु के प्रश्न को नज़रंदाज़ करते हुए कहा, ‘अगर तुम उसे देख पा रहे हो, तो मेरे एक प्रश्न का जवाब दो, ‘तुम्हारे होते हुए भी उस भिखारी के बाल और दाढ़ी इतने बढ़े हुए क्यों हैं?’ सोनू के प्रश्न को सुनते ही मोनु को थोड़ा ग़ुस्सा आ गया। वह थोड़ा चिढ़ते हुए बोला, ‘अरे, उसने मुझसे सम्पर्क किया ही नहीं!’ मोनु का जवाब सुनते ही सोनू मुस्कुराया और बोला, ‘यही तुम्हारे प्रश्न का जवाब है। जब तक लोग ईश्वर से सम्पर्क नहीं करेंगे, उसके प्रति पूर्ण समर्पण नहीं रखेंगे, तब तक ईश्वर उनके दुःख कैसे हरेगा।’ याद रखो, ‘मैं परेशान हूँ।’, ‘मैं दुखी हूँ!’ कहने से कुछ नहीं होगा। जो सम्पर्क करेगा वो दुःख से मुक्त हो जाएगा…’


दोस्तों, कहने के लिए उक्त कहानी हमें धर्म या आध्यात्म पर आधारित लगती है। लेकिन अगर आप इस पर थोड़ा सा विचार करेंगे तो पाएँगे कि इसमें जीवन को आसान बनाने का एक बड़ा ही महत्वपूर्ण सूत्र छुपा हुआ है। आपने देखा होगा, अक्सर कुछ लोग घुटन भरे माहौल में अपना जीवन जीते हैं और दूसरों को इस स्थिति के लिए कोसते रहते हैं। उदाहरण के लिए व्यवसायिक जीवन में, या कार्यालय में अपने बॉस अथवा सहकर्मी से परेशान रहना। कई बार ऐसी ही स्थिति व्यक्तिगत जीवन में भी बन जाती है जब आप किसी रिश्तेदार, मित्र या परिचित व्यक्ति से अथवा उसके व्यवहार से बहुत परेशान हो जाते हैं। कई बार ऐसी स्थितियाँ लोगों का सुख, चैन, मानसिक शांति आदि सभी कुछ छीन लेती है।


ऐसी विषम परिस्थितियों में भी सामान्यतः देखा गया है कि लोग इस बारे चर्चा कर परिस्थितियों को ठीक करने के स्थान पर चुप रहना पसंद करते हैं या फिर इस बारे में उन लोगों से चर्चा करते हैं जो किसी भी स्थिति में, किसी भी स्तर पर उनकी कोई मदद नहीं कर सकते हैं। ऐसे सभी लोगों को मेरा सुझाव है कि वे लगातार सहने या परेशान होने के स्थान पर, जिससे समस्या है उससे बात करें। जब तक आप अपनी सोच, अपनी समस्या या परेशानी से सामने वाले को अवगत नहीं कराएँगे, तब तक वह किस तरह अपने आप में, अपनी सोच में बदलाव ला पाएगा जिससे परेशानी दूर हो सकेगी। इसीलिए कहा गया है दोस्तों, ‘व्यक्ति के बारे में नहीं , व्यक्ति से बात करें!’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

9 views0 comments
bottom of page