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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

भगवान राम से सीखें जीवन को बेहतर बनाने के 5 सूत्र…

Oct 31, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, निश्चित तौर पर त्यौहार हमें सारे दुख, चिंता, परेशानी और नकारात्मक अनुभवों को भूलकर खुश रहने का मौक़ा देते हैं। लेकिन भारतीय त्यौहारों के विषय में मेरा मानना है कि हर भारतीय त्यौहार अपने अंदर जीवन को बेहतर बनाने के कोई ना कोई सूत्र को अपने अंदर समेटा हुआ रहता है। आइए, आज हम दीपावली के त्यौहार के संदर्भ में प्रचलित पौराणिक कथाओं और भगवान राम के जीवन को आधार बनाकर, जीवन को बेहतर बनाने के पाँच सूत्र सीखते हैं और इस दीपावली अपने जीवन को एक नई दिशा देते हैं-


पहला सूत्र : धैर्य और सत्य के साथ जियें

दीपावली का सबसे बड़ा संदर्भ हमें भगवान राम के जीवन पर आधारित धर्मग्रंथ रामायण से मिलता है, जिसमें बताया गया है कि चौदह वर्षों का वनवास पूर्ण करने के बाद जब भगवान राम अयोध्या याने अपने घर वापस पहुँचे थे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में पूरे अयोध्या को दीपों और फूलों से सजाया था। इसी दिन को आज हम दीपावली के रूप में मनाते हैं। अगर आप भगवान राम के जीवन को क़रीब से देखेंगे तो पाएंगे कि उनका जीवन त्याग, साहस, और सत्य की मिसाल है। इस आधार पर कहा जाये तो रामायण हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी विपत्ति या परेशानी क्यों ना आये, हमें सत्य और धैर्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। इसी तरह भगवान राम का जीवन हमें बताता है कि हर परेशानी का अंत होता है और सच्चाई की जीत अवश्य होती है। इसलिए साथियों, अगर कभी जीवन में कठिनाई आए तो भगवान राम की तरह संयम और धैर्य से काम लें और सत्य के मार्ग को ना छोड़ें, जल्द ही आप पायेंगे कि सुखद भविष्य आपका इंतजार कर रहा है।


दूसरा सूत्र - अहंकार छोड़ें और विनम्र रहें

अगर आप रामायण में वर्णित राम और रावण के किस्सों पर गौर करेंगे तो पायेंगे कि रावण को अपने ज्ञान पर अहंकार था और भगवान राम को अपने अहंकार का ज्ञान था। इसीलिए कहा जाता है कि रावण का अहंकार उसे पतन की ओर, और अहंकार का ज्ञान राम को विजय की ओर ले गया। इस आधार पर कहा जाये तो अहंकार व्यक्ति को नष्ट कर देता है और विनम्रता उसे ऊँचाई तक ले जाती है। आइए, इस दीपावली पर हम यह संकल्प ले सकते हैं कि हम अहंकार से दूर रहेंगे और अपनी विनम्रता से दूसरों के दिलों में जगह बनाएँगे।


तीसरा सूत्र - सादगी और संतोष के साथ जियें

एक दिन भगवान श्री राम को बताया जाता है कि कल उनका राज्याभिषेक होना है और अगले दिन सुबह याने राज्याभिषेक के दिन उनसे कहा जाता है कि उन्हें चौदह वर्ष के वनवास पर वल्कल पहन कर जाना है। वे दोनों ही स्थितियों में पूर्णतः सहज थे, सादगी और संतोष पर आधारित जीवनशैली के कारण ही उन्हें ना तो राजा बनाए जाने का अत्यधिक हर्ष था और ना ही वनवास जाने का दुख।


दीपावली पर माँ लक्ष्मी, जो समृद्धि के देवी मानी जाती है, की पूजा का भी प्रचलन है। यह पूजा हमें सिर्फ़ धन प्राप्त करने का नहीं बल्कि उसे सही तरीक़े से उपयोग कर, संतोष पूर्ण जीवन जीने के विषय में भी सिखाती है। अर्थात् लक्ष्मी पूजन का अर्थ केवल धन की प्राप्ति नहीं, बल्कि इसे सही तरीके से संजो कर, जीवन में संतुलन बनाए रखना है। संतोष और सादगी का जीवन अपनाकर हम न केवल धन का सही उपयोग कर सकते हैं, बल्कि आंतरिक शांति भी प्राप्त कर सकते हैं।


चौथा सूत्र - बुराई छोड़ें और अच्छाई का साथ दें

त्रेता युग में बाली के सिवा कोई भी ऐसा योद्धा नहीं था जिसने रावण को हराया हो। लेकिन इसके बाद भी आवश्यकता पड़ने पर भगवान राम ने बाली से नहीं सुग्रीव से मदद माँगी थी और बाली का वध किया था। जब भगवान श्री राम का बाण बाली को लगा था तब अपनी मृत्यु से पूर्व बाली ने भगवान श्री राम से प्रश्न किया था, ‘प्रभु मैं बैरी और सुग्रीव प्यारा, ऐसा कौन सा अवगुण था जिसके लिए आपने मुझे मारा।’, इस पर भगवान राम ने पूर्ण गंभीरता के साथ कहा, ‘बाली यह एक धर्मयुद्ध है। इसलिए इसमें मुझे दुराचारियों, व्यभिचारी और अनाचारी का साथ नहीं अपितु सदाचारियों का साथ चाहिए।’ भगवान राम से जुड़ी यह घटना हमें बताती है कि जीवन में हमें हर तरह की बुराई जैसे ईर्ष्या, द्वेष, या अधर्म से बचना चाहिए और अच्छाई का साथ देना चाहिए। इस दीपावली पर हम सभी संकल्प ले सकते हैं कि अपने भीतर की नकारात्मकताओं को दूर करेंगे और अच्छाई को अपनाएँगे।


पाँचवाँ सूत्र - ज्ञान होने से ज्यादा जरूरी उसका सही समय पर प्रयोग करना है

रावण निश्चित तौर पर महा ज्ञानी था, लेकिन उसने अपनी बुद्धिमत्ता और शक्ति का प्रयोग ग़लत राह पर किया, इसीलिए अंत में ज्ञान और शक्ति होने के बाद भी पराजित हुआ। इसलिए रामायण की कथा हमें यह भी सिखाती है कि ज्ञान तभी सार्थक है, जब उसका उपयोग सही उद्देश्य के लिए किया जाए। अन्यथा ज्ञान का दुरुपयोग आपको निश्चित तौर पर अंत में विनाशकारी परिणाम ही देगा।


अंत में मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि हमारे सभी त्यौहार और उससे संदर्भित सभी प्रचलित पौराणिक कथाएँ हमें जीवन को बेहतर बनाना ही सिखाती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य हमें सत्य, विनम्रता, संतोष, अच्छाई और ज्ञान का सही उपयोग कर, जीवन को सार्थक और उपयोगिता पूर्ण बनाने की शिक्षा देना है। वैसे भी तो दीपावली का असली अर्थ अंधकार से उजाले की ओर अथवा नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर जाना ही है। तो आइए, इस दीपावली पर हम प्रण लेते हैं कि पौराणिक कथाओं और कहानियों से सीखी बातों को हम अपने जीवन में उतारेंगे और अपनी सोच को उजाले की ओर ले जाएँगे।


ग्लोबल हेराल्ड परिवार और मेरी तरफ़ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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