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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

भाग्य और कुछ नहीं आपके कर्मों का फल है…

Mar 15, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…



दोस्तों, आपके कर्म, आप तक हर हाल में लौटकर आते हैं, फिर चाहे वे अच्छे हों या बुरे। जब मैं उक्त बात एक सेमिनार में कह रहा था तब एक सज्जन खड़े हुए और मुझसे प्रश्न करते हुए बोले, ‘सर, अगर आपकी बात सत्य है तो फिर दुनिया में बुरे लोगों को क्यों फलते-फूलते देखा जाता है और अच्छा कार्य करने वालों को परेशान होते?’ उनका प्रश्न सुनते ही सेमिनार हॉल में मुस्कुराहट फेल गई। ऐसा लग रहा था मानो सवाल सबका था, लेकिन पूछा किसी एक ने था।


इस प्रश्न का मैं जवाब देना शुरू करता उसके पहले ही एक सज्जन खड़े हुए और बोले, ‘सर, मैं भी उन सज्जन की बात से पूरी तरह सहमत हूँ। मेरे एक परिचित हैं जो अपना पूरा समय पीड़ित मानवता की सेवा में लगाते हैं। मैंने पिछले २५ वर्षों में उन्हें कभी किसी का ग़लत करते नहीं देखा। लेकिन इस सबके बाद भी वे अपने निजी जीवन में काफ़ी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।’


उन सज्जन के इतना कहती ही सेमिनार हॉल में हल्की मुस्कुराहट के साथ फुसफुसाहट चालू हो गई। लोगों की प्रतिक्रिया से साफ़ समझ आ रहा था कि वे सब भी उपरोक्त सज्जन की बातों से सहमत थे। सबको मुस्कुराता देख पहले तो मैं भी उनके साथ मुस्कुराया, फिर उनके स्वर में स्वर मिलाते हुए बोला, ‘पहले तो मुझे भी आपके जैसे ही लगता था, लेकिन एक संत-महात्मा की बातें सुनने के पश्चात इस विषय में मेरे विचार सौ प्रतिशत बदल गए। चलिए हम इस बात को संत-महात्मा द्वारा बताई गई थ्योरी से ही समझने का प्रयास करते हैं।’


इतना कहकर मैं एक पल के लिए रुका, फिर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘हमारे धर्म, हमारी संस्कृति में माना जाता है कि इस पृथ्वी पर कुल चौरासी लाख योनिया है। अर्थात् इस धरती पर चौरासी लाख तरह के जीव-जंतु पाये जाते हैं। इसके साथ ही हमारे धर्म और संस्कृति में आत्मा को अमर माना गया है। अर्थात् इस पृथ्वी पर एक जीव के रूप में अपनी जीवन यात्रा पूर्ण करने के बाद शरीर तो ख़त्म हो जाता है, लेकिन आत्मा की यात्रा जारी रहती है। अर्थात् वह एक शरीर को छोड़कर, दूसरे शरीर को धारण कर लेती है। सीधे और सरल शब्दों में कहूँ तो आत्मा सिर्फ़ शरीर बदलती है। आत्मा की इस यात्रा में उसके एक जन्म के कर्म, दूसरे जन्म को प्रभावित करते हैं। इसका अर्थ हुआ अगर किसी व्यक्ति ने इस जन्म में पुण्य अधिक किए हैं, तो संभव है कि उसको अगले जन्म में इस पुण्य का फल मिलेगा और अगर उसने इस जन्म में पाप अधिक किए हैं, तो उसे अगले जन्म में उसका फल भोगना होगा।


अगर उपरोक्त बात को आधार माना जाए तो पूर्व जन्म के पाप आपके इस जन्म के पुण्य के फल को कम कर सकते हैं और ठीक इसी तरह पूर्व जन्म के पुण्य आपके इस जन्म के पाप के फल को कम कर सकते हैं। इसीलिए हमें अपने आस-पास ऐसे कई लोग दिखते हैं, जो पुण्य करने के बाद भी परेशानी में दिखते हैं और कुछ लोग पाप करने के बाद भी मज़े करते प्रतीत होते हैं। कर्मों के इसी फल को हम इंसान का भाग्य या प्रारब्ध कहते हैं।


यक़ीन मानियेगा दोस्तों, पाप या बुरा करने के बाद भी जो व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता नज़र आता है, वह व्यक्ति अगर अधिक पुण्य कर्म करता तो निश्चित तौर पर इस जीवन में और अच्छे फल प्राप्त करता। एक बार इसपर विचार कर देखियेगा ज़रूर…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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