Jan 14, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, वैसे तो भारतीय त्यौहार सिर्फ़ त्यौहार नहीं, बल्कि उमंग और उत्साह से भरे; पूरे के पूरे उत्सव होते हैं। ऐसा ही एक त्यौहार जिसका हम मालवा वासी पूरे साल इंतजार करते हैं, वह है मकर संक्रांति। तकनीकी तौर पर तो यह पर्व सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश देता है। लेकिन मालवा में हम सब लोग इस त्यौहार को पतंगबाजी के साथ भी जोड़ कर देखते हैं, जिसका इंतज़ार हर युवा से लेकर अधेड़ तक करता है।
वैसे दोस्तों, भारतीय त्यौहारों के साथ जुड़ी सारी परम्पराएँ कहीं ना कहीं हमें जीवन को बेहतर बनाने की सीख देती हैं। याने हमारे यहाँ पतंगबाजी सिर्फ़ मनोरंजन तक सीमित नहीं है, वह तो हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती है। आइए आज हम मकर संक्रांति और पतंगबाजी जीवन को बेहतर बनाने के 7 सूत्र सीखते हैं-
पहला सूत्र - आसमान की ऊँचाइयों को छुएँ
जीवन में कितनी भी परेशानियाँ या चुनौतियां क्यों ना आ जाएँ, आप धैर्य के साथ थोड़ा सा प्रयास कर आसमान की ऊँचाइयों को छू सकते हैं। जिस तरह एक पतंग हवा के झोंकों का सामना करते हुए ऊपर उठती है, उसी तरह हमें भी मुश्किलों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य तक पहुँचने की कोशिश करनी चाहिए।
दूसरा सूत्र - सही दिशा चुनें
जिस तरह पतंग को आसमान की ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए हवा की दिशा को समझना और उसे अपनी ताक़त बनाना सीखना होता है। ठीक वैसे ही जीवन में ऊँचाइयों को छूने के लिए अपनी क्षमता और बाजार के रूख याने जीवन की सही दिशा का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है। अगर हमारी सोच और प्रयास सही दिशा में होंगे, तो सफलता निश्चित होगी।
तीसरा सूत्र - धैर्य के साथ जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ें
पतंग को आसमान की ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए धैर्य और संतुलन की जरूरत होती है। यदि आप अचानक डोर खींचनें लगें या काफ़ी ढील छोड़ दें, तो पतंग नीचे गिर सकती है। यह हमें जीवन में धैर्य रखने और हर क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने की सीख देता है। इसलिए परिस्थिति कैसी भी क्यों ना हों जीवन में धैर्य के साथ संतुलन बनाए रखें।
चौथा सूत्र - सहयोग की भावना के साथ जीवन में आगे बढ़ें
पतंगबाजी से मिलने वाली एक महत्वपूर्ण सीख जीवन में सहयोग के साथ आगे बढ़ना है। पतंगबाजी में एक इंसान पतंग को नियंत्रित करता है, तो दूसरा व्यक्ति डोर को उलझने या टूटने से संभालता है और किसी भी एक व्यक्ति के लिए इन दोनों कार्यों को एकसाथ करना संभव नहीं होता है। ठीक इसी तरह जीवन में हम अकेले सब कुछ नहीं कर सकते। अगर हमारा लक्ष्य वाकई में पतंग की तरह जीवन में ऊँचाइयों को छूना है तो हमें ना सिर्फ़ दूसरों से मदद और समर्थन लेना होगा बल्कि उन्हें अपनी ओर से मदद और समर्थन भी करना होगा।
पाँचवाँ सूत्र - हार से ना हारें और फिर से प्रयास करें
जब आप पतंग उड़ाते हैं तब कई बार जोते सही नहीं बाँधे जाने के कारण, तो कई बार कुछ अन्य वजहों से पतंग उड़ाने में मुश्किल होती है। इतना ही नहीं कई बार तो अच्छी खासी ऊंचाइयों पर उड़ रही पतंग कट भी जाती है। लेकिन ऐसी स्थिति में हम हार मान कर बैठ नहीं जाते हैं, बल्कि एक बार फिर पूरे जोश के साथ प्रयास करते हैं। यही हमें जीवन में किसी भी वजह से मिली असफलता के दौर में करना चाहिए। याद रखियेगा, जीवन में हार या असफलता केवल एक पड़ाव है, अंत नहीं। हमें उससे सीखकर आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी हम जीवन में ऊँचाइयों पर पहुँच सकते हैं।
छठा सूत्र - प्रकृति और समय का सम्मान करें
मकर संक्रांति के दिन सूर्य की विशेष स्थिति हमें प्रकृति के महत्व का एहसास कराती है। यह त्यौहार हमें समय और मौसम के बदलाव को समझने और उसका सम्मान करने की सीख देता है। ठीक इसी तरह जीवन में उम्र या किसी भी वजह से आए शारीरिक या प्राकृतिक बदलाव को स्वीकार कर आगे बढ़ें। याद रखियेगा, प्रकृति या ईश्वरीय योजना का विरोध करने से कभी कोई लाभ नहीं होता।
सातवां सूत्र - हमेशा आशान्वित और सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहें
मकर संक्रांति के दिन जिस तरह पतंग आकाश को रंगबिरंगा बनाए रखती है ठीक उसी तरह सकारात्मक ऊर्जा और आशा की किरण हमारे जीवन को हमेशा संभावनाओं से भरा रखती है और सकारात्मक सम्भावनाएँ हमें आज नहीं तो कल सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा ही देती है।
अंत में दोस्तों, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि मकर संक्रांति और पतंग उड़ाने की परंपरा केवल एक आनंददायक अनुभव नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन की गहरी सीख भी प्रदान करती है। आइए, इस मकर संक्रांति पर हम पतंगबाजी का आनंद लेते हैं और इन शिक्षाओं को अपने जीवन में उतार कर, नित नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ते हैं और अपने जीवन को सार्थक और प्रेरणादायक बनाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comentários