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मनमाफिक परिणाम ना आने पर ईश्वर को शुक्रिया कहें…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

June 6, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, ११ जुलाई २००६ पूरे भारत के लिए एक सामान्य दिन था, लेकिन सपनों की नगरी मुंबई के लिये तो बिलकुल भी नहीं क्योंकि इस दिन ११ मिनटों में मुंबई की जान, लोकल ट्रेनों में ७ सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इन धमाकों में १८७ लोगों की जान ले ली और ८२९ से ज़्यादा लोग घायल हो गये। घटना के पश्चात जाँच एजेंसियों ने ब्लास्ट के लिए ज़िम्मेदार लोगों को पकड़ने के लिए अनेक तरीक़े अपनाए, जिसमें से एक सीसीटीवी के ज़रिए उन्हें पहचानना था।


सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग को देख कर यह भी पता लगाया गया कि उस दिन ऐसे कौन-कौन लोग थे जो रोज़ उन्हीं ट्रेनों से जाते थे लेकिन उस दिन उन्होंने हमेशा वाली लोकल ट्रेनों में यात्रा नहीं करी थी। इन सभी लोगों से संपर्क किया गया और उनसे पूछा गया कि ‘आज आपने रोज़ वाली लोकल ट्रेन में यात्रा क्यों नहीं करी?’, तो इन सभी लोगों से बड़े विचित्र से जवाब सुनने को मिले। जैसे एक युवा स्टेशन तक तो बिलकुल सही समय पर पहुँच गया था लेकिन जल्दबाज़ी में ब्रिज चढ़ते समय उसका पैर फिसल गया और उसे फ्रैक्चर हो गया। इसलिए वह ट्रेन नहीं पकड़ पाया। जब इसी प्रश्न को दूसरे व्यक्ति से पूछा गया तो उसने कहा, ‘आज पता नहीं क्यों मुझे अलार्म सुनाई नहीं आया। इसलिए मैं समय पर ट्रेन नहीं पकड़ पाया।’ इसी तरह तीसरे व्यक्ति का जवाब था कि आज सुबह जब उसने स्टेशन जाने के लिए अपनी गाड़ी को स्टार्ट करना चाहा तो वो स्टार्ट नहीं हुई और वह समय पर स्टेशन नहीं पहुँच पाया।’


दोस्तों, इसी तरह की कोई ना कोई कहानी ट्रेन छूटने वाले हर शख़्स की थी। वे सभी उस दिन सुबह ट्रेन छूटने की वजह से हताश और निराश थे। लेकिन जैसे ही उन्हें सीरियल ब्लास्ट के विषय में पता चला, उन्होंने ट्रेन छूटने के लिए ईश्वर का धन्यवाद दिया और ख़ुशी मनाई। इसके पीछे की मुख्य वजह ट्रेन छूटने की वजह से जान बच जाना था। इसीलिए दोस्तों कहा जाता है, ‘ज़िंदगी में जो भी होता है, हमारे भले के लिए होता है।’


यह बात दोस्तों मैंने आज विशेष रूप से आपसे इसलिए साझा करी है क्योंकि आज नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए हैं। जिन बच्चों का चयन अपने पसंदीदा कोर्स के लिए हो गया है वे तो सभी खुश हैं और ईश्वर को धन्यवाद दे रहे हैं, लेकिन जो चूक गये हैं वो कहीं ना कहीं थोड़े हताश और निराश हैं। चयन ना होने वाले इन बच्चों में कई बच्चे तो ऐसे भी हैं जिन्होंने जी तोड़ मेहनत करी थी। लेकिन उसके बाद भी उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाया है।


इन सभी बच्चों से मैं सिर्फ़ एक बात कहना चाहूँगा, कोई परीक्षा या परिणाम आपकी ज़िंदगी की दिशा तय नहीं कर सकता है। आपकी आज की स्थिति तो उन यात्रियों समान है जिन्होंने लोकल ट्रेन छूटने पर पता नहीं कितने लोगों को दोष दिया होगा। लेकिन जब उन्हें उसी ट्रेन में हुए ब्लास्ट के विषय में पता चला तो वे स्वयं को क़िस्मत वाला मान रहे थे और ट्रेन छूट जाने के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे रहे थे।


इसीलिए दोस्तों अपेक्षित परिणाम ना मिलने पर कभी हताश और निराश ना हों। इसके स्थान पर ईश्वर को जो हुआ उसके लिए धन्यवाद कहें; उनके प्रति आभार जताते हुए उनसे सही दिशा दीखाने का निवेदन करें और प्रार्थना के दौरान उन्हें कहें, ‘प्रभु! मैं जानता हूँ कि ‘जो होता है, अच्छे के लिये होता है।’ लेकिन अभी तक मुझे इस अनपेक्षित परिणाम की वजह समझ नहीं आई है कृपया मुझे सही दिशा दिखायें।’ दोस्तों, जल्द ही आप पाएँगे कि ईश्वर ने आपको अनपेक्षित परिणाम देकर भी लाभ पहुँचाया है।’


जी हाँ दोस्तों, मेरा मानना है कि कृतज्ञता जीवन का सबसे अच्छा तरीका है। जब जीवन अच्छा चल रहा होता है, तो यह हमें अच्छाई का जश्न मनाने और उसे बढ़ाने का मौका देता है। जब जीवन ख़राब चल रहा होता है, तो यह एक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है जिसके द्वारा हम जीवन को उसकी संपूर्णता में देख सकते हैं और अस्थायी अनुभवों से प्रभावित नहीं होते है। आभारी लोग यही करते हैं, वे हर हाल में प्रतिकूलता को अवसर में बदलते हैं क्योंकि उन्होंने अपने अस्तित्व को एक उपहार के रूप में देखना सीख लिया है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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