Jan 21, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, जैसा कि मैंने पूर्व में भी अपने इस लेख में आपसे साझा किया था कि मैंने कक्षा 11वीं में अपना व्यवसाय प्रारम्भ किया था। कम उम्र में व्यवसाय शुरू करने के पीछे मेरा मुख्य लक्ष्य एक बड़ा व्यवसायी बन, सारी सुख-सुविधाओं का उपभोग करना था और मैं अपने इस लक्ष्य में काफ़ी हद तक सफल भी हुआ था। उस दौरान व्यवसायिक उतार-चढ़ाव के साथ वैसे तो सब-कुछ ठीक चल रहा था लेकिन मुझे कभी एहसास ही नहीं हुआ कि उपभोग करने के अपने सपने को पूरा करने के चक्कर में मैंने कब बहुत मेहनत और मुश्किल से अर्जित किए धन को बर्बाद कर दिया। लेकिन आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बताना चाहूँगा कि पैसों की यह बर्बादी मैंने किसी ग़लत आदत या लत की वजह से नहीं करी थी। अपितु दूसरों की देखा-देखी चीज़ें जुटाने के प्रयास में इसे बर्बाद करा था। जैसे, अनावश्यक रूप से अच्छी चलती गाड़ी को बदलना, नए-नए मोबाइल लेना, अत्यधिक कपड़े ख़रीदना आदि। बीतते समय और बढ़ती उम्र के साथ जैसा हम सभी के साथ होता है, मेरे ऊपर भी घर-परिवार की ज़िम्मेदारियाँ धीरे-धीरे बढ़ती गई और उन्हें निभाते-निभाते पता ही नहीं चला कि कब अर्जित धन के उपभोग करने या बर्बाद करने की प्रवृति पीछे छूट गई और मैंने धन का उपयोग करना शुरू कर दिया।
असल में साथियों, हमारे शास्त्रों में भी यही बताया गया है, हम अपने अर्जित या किसी भी रूप में मिले धन का उपयोग, उपभोग या नाश कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उपयोग, उपभोग या नाश धन की तीन गतियाँ है। आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि धन का उपयोग सद्कार्यों अथवा सेवा, मदद या ज़िम्मेदारियों के लिए करना, धन का उपयोग करना कहलाता है। जब आप धन का प्रयोग अपने लिए चीजों को जुटाने में करते हैं तो उसे धन का उपभोग करना कहते हैं और धन का दुरूपयोग अथवा अनुपयोग ही धन का नाश करना कहलाता है।
धन के विषय में सबसे रोचक बात तो यह है कि आप इसका उपयोग उपरोक्त तीन तरीक़ों में से किस तरीके से करेंगे यह आपके मन पर निर्भर करेगा। अर्थात् आपका मन यह तय करेगा कि आप धन की सहायता से सुख के साधनों को अर्जित करेंगे, या फिर आप धन को सृजन कार्यों में लगाएँगे, उससे अच्छे कार्य या सेवा करेंगे या फिर उसे बुरी आदतों में बर्बाद करेंगे। अगर आप चाहते हैं कि आपको आपके अर्जित धन से अधिक से अधिक लाभ मिले तो आपको सबसे पहले धन के विषय में अपने मन को प्रशिक्षित करना होगा।
याद रखिएगा, दुनिया आपको इसलिए याद नहीं करेगी कि आप कितने धनी हैं या थे, बल्कि इसलिए याद करेगी कि आपने लोगों की कितने खुले मन से सेवा या मदद करी। इसका अर्थ हुआ, धन के अर्जन से ज़्यादा महत्वपूर्ण उसका सही समय और स्थान में विसर्जन अर्थात् उसका प्रयोग करना है। वैसे भी साथियों, धन के विषय में कहा जाता है कि जब-जब आप उसका संचय अर्थात् उसे इकट्ठा करके रखते हैं, तब-तब समाज में आपका मूल्य घटता जाता है और इसके ठीक विपरीत जब भी आप धन को अच्छे कार्यों में लगाते हैं, तब-तब समाज में आपका मूल्य बढ़ता जाता है।
इसीलिए धन के विषय में मेरा मानना है कि इसे अपनी शांति का दुश्मन मान, इसका मोह छोड़ने के स्थान पर उसका सही प्रयोग करना सीखें। जिससे आपके द्वारा अर्जित किया हुआ ढेर सारा धन सही तरीक़े से उपयोग में आ सके। तो आइए साथियों, अपनी जिंदगी को और भी ज़्यादा हसीन बनाने के लिए हम अपने मन को धन के विषय में प्रशिक्षित करते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comments