July 5, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, हालाँकि कहा जाता है कि आलसी लोग बड़े रचनात्मक होते हैं क्योंकि वे हर कार्य को कम से कम मेहनत और कम से कम समय में करने का रास्ता अर्थात् शॉर्टकट खोज लेते हैं। लेकिन मेरी नज़र में ऐसा हर बार और हर किसी आलसी के साथ नहीं होता। आप स्वयं सोच कर देखिए, पढ़ाई का क्या शॉर्टकट हो सकता है? एक अच्छा कैरियर बनाने का क्या शॉर्टकट हो सकता है? ऐसी और भी हज़ारों बातें हैं साथियों जिसका कोई शॉर्टकट या विकल्प नहीं हो सकता है और वैसे भी रचनात्मकता को आलस से जोड़ना ही ग़लत है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव तो यही कहता है।
वैसे दूर से देखने पर हमें शारीरिक आलस बहुत साधारण सी बात लगती है। लेकिन यक़ीन मानिएगा इसके नुक़सान बहुत बड़े होते हैं। जब आप बार-बार शारीरिक तौर पर आलस करते हैं, तब कहीं ना कहीं आप अपने अंतर्मन को भी आलसी बनाते हैं। याने धीरे-धीरे आप अपने अंतर्मन को आलस के लिए प्रोग्राम करते हैं, जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही घातक है। यही वह वजह है जिसके कारण इस दुनिया में बहुत सारे लोग असफल और दुखी हैं। यही दुःख और असफलता उन्हें गुजरते समय के साथ तनाव और दबाव का शिकार भी बनाता है। इसका अर्थ हुआ मानसिक आलस्य तनाव, दबाव, दुःख और असफलता जैसे कई नकारात्मक भावों के पीछे की मूल वजह है।
आगे बढ़ने से पहले साथियों, हम शारीरिक और मानसिक आलस्य के बीच के अंतर को एक बार फिर समझ लेते हैं। शारीरिक आलस्य याने शरीर द्वारा किसी काम को करने की असमर्थता व्यक्त करना। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो शारीरिक अवस्था के आधार पर कार्यों को टालना शारीरिक आलस्य कहलाता है। लेकिन अगर किसी भी कार्य को करने के पहले ही यह सोचना कि यह काम मेरे वश का नहीं है या इसे कर पाना मेरे बूते का नहीं है अथवा किसी भी कार्य को करने का प्रयास करने के पहले ही हार मान कर बैठ जाना मानसिक आलस है। उपरोक्त आधार पर देखा जाए तो आप स्पष्ट तौर पर समझ सकते हैं कि शारीरिक आलस्य के मुक़ाबले मानसिक आलस्य कहीं ज़्यादा नुकसानदेही है। इसलिए इससे बचना बहुत ज़्यादा ज़रूरी है। आईए आज हम मानसिक आलस्य को दूर करने के प्रमुख तीन सूत्रों को सीखते हैं-
पहला सूत्र - स्वास्थ्य को दें प्राथमिकता
अगर आप शारीरिक रूप से ऊर्जावान नहीं रहेंगे तो आप मानसिक तौर पर भी फ़िट नहीं रहेंगे, जो आलस्य की शुरुआती वजह बन सकता है और लम्बे समय तक इस स्थिति में रहना आपको मानसिक तौर पर आलसी बना सकता है।
दूसरा सूत्र - अच्छे लोगों के बीच रहें
अच्छा साथ आपको अच्छे विचारों के साथ रहने का मौक़ा देता है और एक श्रेष्ठ विचार आपकी सोच और नज़रिया बन कर आपके जीवन को बदल सकता है।
तीसरा सूत्र - सकारात्मक और श्रेष्ठ चिंतन याने सदचिंतन करें
लक्ष्य आधारित जीवन जीने के साथ अगर आप श्रेष्ठ संग रखते हैं तो यह आपके भीतर सकारात्मक और श्रेष्ठ विचारों को जन्म देता है और अगर आप इन श्रेष्ठ और सकारात्मक विचारों को चिंतन का विषय बना लेते हैं तो आप मानसिक आलस्य से भी बच जाते हैं।
तो आइए दोस्तों, उपरोक्त तीनों सूत्रों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाते हैं और मानसिक आलस्य से बच कर अपने जीवन को सफल बनाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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