मुश्किल दौर में सफलता के लिए ख़ुद पर भरोसा करें और धैर्य रखें…
- Nirmal Bhatnagar
- Jun 14
- 3 min read
June 14, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

आइए दोस्तों, लेख की शुरुआत आज एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक दिन सुबह-सुबह एक किसान के आँगन में कहीं से एक बहुत ही सुंदर घोड़ा आ गया। उसे देखते ही समझ आ रहा था कि यह पालतू घोड़ा है और भटक कर यहाँ पहुँच गया है। लेकिन किसान के सामने समस्या यह थी कि उसके मालिक को पहचाने कैसे? क्योंकि उस घोड़े पर ना तो कोई निशान था, ना ही काठी या कुछ और; जिससे पहचाना जा सके। यह देख किसान और उसका बेटा सोच में पड़ गए कि इस घोड़े को इसके मालिक के पास कैसे पहुंचाया जाये?
किसान किसी निष्कर्ष तक पहुँचता उससे पहले ही उसका बेटा बोला, “पिताजी आप चिंता मत कीजिए मैं अभी इसे इसके मालिक के पास पहुंचा देता हूँ।” इतना कहकर उस युवा ने घोड़े को खाने के लिए हरी घास, पीने के लिए पानी दिया और उसे सहलाने लगा। कुछ देर पश्चात किसान का बेटा, बिना किसी संदेह और घबराहट के उस घोड़े के ऊपर सवार हो गया और एक हल्की सी ऐड लगाकर लगाम को ढीला छोड़ दिया और उस घोड़े को अपनी मर्जी से चलने दिया।
दूसरे शब्दों में कहूँ तो लड़के ने घोड़े को अपना रास्ता चुनने के लिए खुला छोड़ दिया, क्योंकि उसे भरोसा था कि घोड़ा अपने घर का रास्ता जानता है। इस यात्रा के दौरान जब-जब घोड़ा रुका या ज़्यादा रास्ता भटका तब-तब उस लड़के ने प्यार से उसे प्रेरित किया और आगे बढ़ने में सहायता की। बाक़ी समय, वह चुपचाप बैठा, धैर्यपूर्वक घोड़े की चाल का अनुसरण करता रहा। कई मील चलने के बाद, घोड़ा एक खेत की ओर मुड़ा और सीधे एक खलिहान की ओर बढ़ा। तभी एक आदमी दौड़ता हुआ आया और बोला, "तुम्हें कैसे पता चला कि यह हमारा घोड़ा है?” लड़का मुस्कुराया और बोला, “मुझे तो कुछ भी नहीं पता था, मैंने तो बस घोड़े पर भरोसा किया और यहाँ तक पहुँच गया।”
दोस्तों, कहने को कहानी बड़ी सरल है, लेकिन हकीकत में इसमें हमारे जीवन को सहज और सरल बनाने की गहरी सीख छुपी हुई है। हमारे जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आती है, जब सब कुछ धुँधला या उलझा हुआ नजर आता है। कुल मिलाकर कहूँ तो तमाम प्रयासों के बाद भी जीवन में कोई सही रास्ता दिखाने वाला नहीं मिलता। ऐसी विकट परिस्थितियों में आपको सिर्फ ख़ुद पर और ईश्वर पर भरोसा करते हुए यात्रा शुरू करना होती है।
उपरोक्त आधार पर कहा जाए, तो कहानी वाला घोड़ा हमारे मन का प्रतीक है जो अपने मालिक याने भीतर की शक्ति, ज्ञान और अनुभव को छोड़ भटक जाता है। ऐसे स्थिति में और ज़्यादा भटकाव से बचाने के लिए हमें उसे अनावश्यक मार्गदर्शन और सलाहों से बचाना चाहिए और हमारे मन को सही प्रेरणा और संतुलन देना चाहिए जिससे वह ख़ुद-ब-ख़ुद अपना रास्ता खोज ले। जी हाँ दोस्तों, जीवन में कई बार हम भटक जाते हैं, उलझ जाते हैं, रुक जाते हैं या थक जाते हैं।
जीवन में कई बार हम परिस्थितियों या उलझनों के कारण भटक जाते हैं और फिर थक कर रुक जाते हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में हमें किसी ऐसे की जरूरत होती है जो हमें नए आदेश देने के स्थान पर सिर्फ यह याद दिला दे कि हम सक्षम हैं और हम इस तरह की विषम परिस्थितियों से निपटना जानते हैं अर्थात् हम सक्षम हैं और हमें बिना रुके सिर्फ़ चलते रहना है।
यही तरीका दोस्तों, आप अपने आस-पास मौजूद भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाने के लिए भी अपना सकते हैं। याने जब भी कोई ख़ुद को खोया हुआ महसूस कर रहा हो, तो उसे अनावश्यक सलाह देने के या दिशा दिखाने के स्थान पर, सिर्फ़ भरोसा दें। उसे सिर्फ़ उसकी क्षमता याद दिलायें और उसे विश्वास दिलायें कि वह अपनी मंज़िल जानता है। याद रखियेगा, कई बार एक हल्का सा धक्का ही लोगों को उनकी मंजिल तक पहुँचा देता है।
अंत में इतना ही कहना चाहूँगा दोस्तों, जीवन का हर रास्ता, हमेशा साफ़ नहीं होता या दिखता। लेकिन अगर आप भरोसे, प्रेम और धैर्य के साथ खुद या दूसरों के साथ चलते हैं, तो एक ना एक दिन मंज़िल खुद-ब-खुद सामने आ जाती है। इसलिए विपरीत परिस्थितियों में अनावश्यक ख़ुद की या दूसरों की लगाम ना खींचें, उसे बस ढीले छोड़ कर, धैर्य के साथ भरोसा करें, जल्द ही आपको मंजिल मिल जाएगी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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