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मौन : हज़ारों समस्याओं का एक समाधान

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Aug 2, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मुझे ऐसा लगता है जितना आवश्यक सही बात कहना आना ज़रूरी है, उससे भी ज़्यादा ज़रूरी मौन रहना है। जी हाँ दोस्तों, मौन रहना एक ऐसी कला है जो आपको हज़ारों परेशानियों, समस्याओं से बचा लेती है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।


बात कई साल पुरानी है, एक युवा मछली पकड़ने के लिए एक तालाब किनारे कांटा डाल कर बैठा हुआ था। काफ़ी देर तक जब उसने तालाब में कोई हलचल नहीं देखी और ना ही उसके काँटे में मछली फँसी, तो वह परेशान होने लगा। उसके मन में एक प्रश्न आया कि कहीं मैं ग़लत जगह कांटा डालकर तो नहीं बैठा हुआ हूँ? हो सकता है इस तालाब में मछलियाँ ही ना हो। उस युवा ने तालाब में झांककर देखने का निर्णय लिया। उसने मछली फँसाने के काँटे को बाहर निकाला और तालाब के अंदर उतर कर देखा तो वह यह देख कर हैरान रह गया तालाब में तो बहुत सारी मछलियाँ है।


कुछ पल विचार करने के बाद उस युवा ने एक बार फिर तालाब में मछली पकड़ने का काँटा डाला। पूर्व की ही तरह, इस बार भी काँटे में एक भी मछली नहीं फँसी। यह देख वह युवा आश्चर्यचकित था। वह अभी आगे की योजना पर सोच ही रहा था कि तभी वहाँ से एक राहगीर गुजरा। जब उसने इस युवा को तालाब में काँटा डाल कर मछली पकड़ते हुए देखा तो वह उसके पास गया और बोला, ‘लगता है भैया तुम इस इलाक़े में पहली बार मछली पकड़ने आए हो।’ यह युवा इस बात का कुछ जवाब देता उसके पहले ही वह राहगीर बोला, ‘भैया इस तालाब की मछलियाँ कभी भी काँटे में नहीं फँसती।’


उस युवा ने हैरत से पूछा, ‘क्यों भाई, इस तालाब में ऐसा विशेष क्या है जो यहाँ की मछलियाँ काँटे में नहीं फँसती?’ राहगीर बोला, ‘पिछले दिनों तालाब के किनारे एक बहुत बड़े संत आकर ठहरे थे। उन्होंने यहाँ मौन की महत्ता पर सात दिनों तक प्रवचन दिया। उनकी वाणी में इतना तेज था कि जब वे प्रवचन देते तो सारी मछलियाँ भी बड़े ध्यान से उन्हें सुनती थी। यह उनके प्रवचनों का ही असर है कि उसके बाद जब भी कोई इन्हें फँसाने के लिए कांटा डालकर बैठता है, तो ये मौन धारण कर लेती हैं। जब मछली मुँह खोलेगी ही नहीं तो कांटे में फँसेगी कैसे? इसलिए बेहतर यहीं होगा कि आप कहीं और जाकर कांटा डालो।’


सुनने में कहानी थोड़ी अटपटी लगी ना दोस्तों? तो चलो पहेलियों में बात करने के स्थान पर उक्त कहानी में मछली को एक समझदार इंसान से बदल कर और काँटे को लोगों द्वारा उकसाने के लिए कही जाने वाली बातों और कार्यों के रूप में देख लो। अगर आप इन उकसाने वाली स्थितियों में प्रतिक्रिया देना बंद कर दें और ऐसी स्थितियों में मौन रहना शुरू कर दें तो आप हज़ारों परेशानियों से यूँ ही बच जाएँगे।


दोस्तों, इसीलिए तो परमात्मा ने हमें याने हर इंसान को दो आँख, दो कान, दो नासिका याने हर इंद्रियों को दो के समूह में प्रदान किया है ,पर जिह्वा एक ही दी है। इसकी मुख्य वजह एक ही है, यह एक जिह्वा ही हमारे लिए अनेकों भयंकर स्थिति पैदा करने के लिए पर्याप्त है। अगर आपका लक्ष्य अपनी इंद्रियों पर संयम रखना है, तो इस जिह्वा पर नियंत्रण करना सीख लें क्योंकि यह नियंत्रण में आते ही बाक़ी इंद्रियाँ स्वयं नियंत्रित रहने लगेंगी। इसीलिए दोस्तों मैंने पूर्व में मौन को हज़ारों समस्याओं और परेशानियों से बचाने वाला बताया है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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