Nirmal Bhatnagar
यह वक्त भी गुजर जाएगा !!!
July 21, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आईए दोस्तों, आज के शो की शुरुआत जीवन को एक नई दिशा देने वाली प्यारी सी कहानी से करते हैं। बात कई सौ साल पुरानी है, एक राज्य में राजा का राज्याभिषेक होने के पश्चात सभी सभासद और मंत्री राजा को शुभकामनाएँ दे रहे थे। इस कड़ी के अंत में राज्य के सबसे अनुभवी और बुजुर्ग मंत्री ने राजा को शुभकामनाओं के साथ एक बड़ी साधारण सी दिखने वाली अंगूठी दी और बोले, ‘महाराज, यह अंगूठी दिखने में भले ही एकदम साधारण है, लेकिन हक़ीक़त में अमूल्य है। राजन् मेरा निवेदन है आप इस अंगूठी को हर पल अपने साथ रखें। जिस दिन भी आपको जीवन में निराशा घेर ले और आपको ऐसा लगने लगे कि अब सब कुछ खत्म होने वाला है और इससे बाहर निकलने का अब कोई उपाय या रास्ता नहीं बचा है, तब आप इस अंगूठी के पिछले हिस्से को खोलना और उसमें रखे काग़ज़ को पढ़ना, आपकी सभी समस्याएँ उसी पल खत्म हो जाएगी। वरिष्ठ मंत्री के सुझाव पर राजा ने तुरंत वह अंगूठी पहन ली और समय के साथ अच्छे से राज-काज सम्भाल लिया।
समय ऐसे ही बड़े अच्छे से गुजर रहा था लेकिन एक बार अचानक से ही पड़ोसी राज्य ने इस राजा पर हमला कर दिया। अपने कुछ मंत्रियों और सैनिकों की ग़द्दारी के कारण राजा बुरी तरह हार गया और किसी तरह छुपते-छुपाते अपनी जान बचा पाया और बचे हुए सैनिकों के साथ जंगल में रहने लगा। इस हार के कारण राजा पूरी तरह टूट गया था और उसे ऐसा लगने लगा कि अब तो जीवन में कुछ बचा ही नहीं है। तभी राजा को वरिष्ठ मंत्री द्वारा दी गई अंगूठी की याद आई और उसने अंगूठी के पिछले हिस्से को खोला और काग़ज़ को निकाल कर पढ़ने लगा ‘यह वक्त भी गुजर जाएगा।’
‘यह वक्त भी गुजर जाएगा!’ वाक्य ने निराशा के दौर में राजा के मन में आशा की एक किरण जगा दी। जिसकी वजह से राजा आशा और ऊर्जा से भर गया। अब राजा पूरी तरह शांत था क्योंकि उसे विश्वास हो गया था कि यह भयावह समय भी जल्द ही कट जाएगा। राजा ने अपने बचे हुए सैनिकों को फिर से संगठित करना शुरू किया और उन्हें विश्वास दिलाया कि ईश्वर पर विश्वास रखें और एक बार फिर खुद को तैयार करें क्योंकि हमारा बुरा समय जल्द ही बदलने वाला है और हुआ भी यही। ऊर्जा और जोश से भरी नई सेना के साथ राजा ने अपने शत्रु पर हमला कर दिया और उस पर ज़बरदस्त जीत हासिल करी।
शत्रु को हरा कर राजा, मंत्री, सभासद और प्रजा सभी उत्साह के साथ सेलिब्रेट करने लगे। ऐसा लग रहा था मानों उत्सव चल रहा हो। जब जीत का उल्लास अपने पूरे चरम पर था तब एक बार फिर वरिष्ठ मंत्री राजा के पास पहुंचे और बोले, ‘महाराज, अंगूठी के पीछे वाले हिस्से को खोल कर उसमें रखी दूसरी चिट्ठी को पढ़ने का समय आ गया है। मंत्री की सलाह पर राजा ने अंगूठी के पिछले भाग को एक बार फिर खोला और उसमें रखे काग़ज़ को पढ़ने लगा, जिस पर लिखा हुआ था, ‘यह वक्त भी गुजर जाएगा!’
दोस्तों, यह सिर्फ राजा की नहीं बल्कि हम सब की कहानी है। हम सभी परिस्थिति, क़िस्मत, अच्छे-बुरे, काम के तनाव आदि के साथ भौतिक आवश्यकताओं में इतना जकड़ या उलझ जाते हैं कि अपनी ख़ुशी, शांति और सुख को उससे जोड़ कर देखने लगते हैं। अर्थात् जब स्थितियाँ अनुकूल होती हैं, तो हम खुश हो जाते हैं और जब वे विपरीत होती हैं, तो हम दुखी हो हताश हो जाते हैं और कुछ तो सोचने लगते हैं कि बस अब तो सब कुछ ख़त्म है। दोस्तों, कभी भी ऐसे विपरीत दौर से गुजरें तो बस यह कहानी याद कर लीजिएगा और दो मिनट शांति से बैठकर अपने आराध्य को याद कीजिएगा और गहरी साँस लेते हुए स्वयं से कहिएगा, ‘यह वक्त भी गुजर जाएगा!’ दोस्तों, यह शब्द एकदम जादू समान कार्य करेंगे और आप तत्काल अपने अंदर उस परिस्थिति से उबरने की शक्ति महसूस करेंगे। ठीक इसी तरह समय अनुकूल हो, तब भी इस वाक्य को याद कीजिएगा, यह आपको अनावश्यक रूप से हवा में उड़ने से रोकेगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर