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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

रखें ख़्याल अपनों का…

May 23, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत हम एक बहुत ही प्यारी घटना से करते हैं, जो हमें सुखी जीवन का एक बड़ा महत्वपूर्ण सूत्र सीखा सकती है। हालाँकि मुझे इस घटना की सत्यता का तो पता नहीं, पर मेरा मानना है कि अगर कोई काल्पनिक क़िस्सा भी आपका जीवन बेहतर बना सकता है तो उसे सच मानने या उससे सीखने में बुराई क्या है, तो चलिए शुरू करते हैं।


बात आज से कई साल पुरानी है, जापान में रहने वाले एक इंसान ने लकड़ी से बने अपने घर को तोड़कर, फिर से नया बनाने का निर्णय लिया। उसने अभी लकड़ी की पहली दिवार को तोड़ने का काम शुरू ही किया था कि एक अजीब से नज़ारे ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा। उसने देखा कि दो लकड़ियों से बनी दीवार में, दोनों लकड़ियों के बीच में, पैर में कील ठुकी होने के कारण, एक छिपकली फँसी हुई है।


यह दृश्य देख वह इंसान आश्चर्यचकित रह गया। उसे उस छिपकली पर बड़ी दया आ रही थी क्योंकि उसे बहुत अच्छे से याद था कि उसने यह कील 5 वर्ष पूर्व उस वक्त ठोकी थी, जब उसका मकान बन रहा था। लेकिन साथ ही उसके मन में प्रश्न उठ रहा था कि लकड़ी के पार्टिशन के बीच, अंधेरे में, बिना हिले-डुले, बिना कुछ खाए यह छिपकली 5 वर्ष तक ज़िंदा कैसे रही होगी? यह अविश्वसनीय, असंभव और चौंका देने वाला था!


यह सब उसकी समझ से परे था। उसने अपना सारा दिमाग़ लगा लिया कि किस तरह छिपकली ने पैर में कील ठुके-ठुके अपनी भोजन की ज़रूरतों को पूरा किया होगा। उसने अपने इस प्रश्न का हल मिलने तक अपना सारा काम रोकने का निर्णय लिया। थोड़ी ही देर बाद वह यह देख आश्चर्यचकित रह गया कि कहीं से एक अन्य छिपकली अपने मुँह में भोजन लिए इस छिपकली के पास पहुँच गई और देखते ही देखते उसने वह भोजन फँसी हुई छिपकली को दे दिया।


यह दृश्य एकदम अद्भुत, विस्मित और दिल को छूने वाला था। एक छिपकली अपने एक साथी को मुश्किल में फँसा देख पिछले 5 वर्षों से उसे भोजन उपलब्ध करवा रही थी। इतना ही नहीं पैर में कील ठुकी होने के बाद भी परेशानी में फँसी छिपकली ने अपना हौंसला नहीं खोया था; उम्मीद नहीं खोई थी। उसे पूरा विश्वास था कि उसकी साथी छिपकली उसका पूरा ख़याल रखेगी; उसे जीने के लिए आवश्यक भोजन उपलब्ध करवाती रहेगी।


यह वाक़ई अद्भुत था दोस्तों, क्योंकि इस सृष्टि का सबसे दिमाग़दार याने बुद्धि में श्रेष्ठ माने जाने वाला प्राणी, जिसे हम ‘इंसान’ कहते हैं, भी ऐसा नहीं करता है। वह भी ज़्यादातर समय खुद के फ़ायदे के विषय में सोचता रहता है और इस सोच में यह भी भूल जाता है कि कल को उसे भी इस तरह की मदद की ज़रूरत पड़ सकती है। जी हाँ दोस्तों समय बदलते देर नहीं लगती है। अपने प्रिय लोगों को कभी भी तकलीफ़ में ना छोड़ें। उनके विपरीत समय में कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहें, कभी भी उन्हें पीठ ना दिखाएँ। ठीक इसी तरह दोस्तों, विपरीत समय में अपना हौंसला ना खोएँ क्योंकि कहीं ना कहीं, कोई ना कोई उनकी मदद के लिए भी तैयार खड़ा है। शायद इसीलिए दोस्तों ईश्वर ने इंसान की दो उँगलियों के बीच में जगह दी है ताकि हम किसी दूसरे, ज़रूरतमंद, परेशान व्यक्ति का हाथ थाम सकें।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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