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रहना हो दिल में तो छोड़ें अहंकार…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Nov 29, 2022
  • 3 min read

Nov 29, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, हाल ही में एक प्रोग्राम के दौरान कुछ बड़ी-बड़ी हस्तियों से मिलने, चर्चा करने, उनके साथ कुछ वक्त बिताने का मौक़ा मिला। इस मुलाक़ात के दौरान मैंने बहुत क़रीब से महसूस किया कि कुछ लोग सफल होते हुए भी ज़मीन से जुड़े थे, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो थोड़े बहुत सफल हुए थे लेकिन उसके बाद भी उनका व्यवहार अहंकार भरा था। वे अपने अहम के कारण हवा में उड़ रहे थे।


अपनी बात को मैं उस प्रोग्राम में घटी एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ। इस कार्यक्रम के शिरकत करने एक प्रसिद्ध टी॰वी॰ कलाकार भी पहुँचे, जिनका एक सीरियल हमारे यहाँ काफ़ी प्रसिद्ध हुआ था। वहाँ मौजूद सभी लोगों ने बड़ी आत्मीयता से उनका स्वागत किया। औपचारिक मिलने-मिलाने के सिलसिले के बाद उस कार्यक्रम में मौजूद अन्य लोग भी उनके पास सेल्फ़ी लेने, उनके साथ फ़ोटो खिचवाने आदि का उद्देश्य लिए पहुँचने लगे। लोगों की इसी भीड़ में वहाँ वेटर का कार्य सम्भाल रहा एक युवा भी था। वह युवा सबसे पहले उन सज्जन के समक्ष पानी, फिर कुछ स्नैक्स और उसके बाद कॉफ़ी आदि लेकर पहुँचा और पूरे सम्मान के साथ उन्हें सर्व करने का प्रयास करने लगा।


कलाकार महोदय शायद उस वक्त किन्ही ज़रूरी विचारों में मगन थे इसलिए उन्हें उस वेटर का व्यक्तिगत ध्यान देना अनुचित लगा और उन्होंने उसे कड़क शब्दों में डाँट दिया। वह बच्चा जो उन्हें उचित आदर और सम्मान के साथ व्यक्तिगत अनुभव देने का प्रयास कर रहा था, उनके इस व्यवहार से सहम सा गया और उनसे दूर हो गया। उसके बाद वे सज्जन उस कार्यक्रम में लगभग 1 घंटा मौजूद रहे लेकिन किसी भी व्यक्ति ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से मिलने या कुछ पल साथ बाँटने का प्रयास नहीं किया। हो सकता है आप में से कुछ को लग रहा हो वो व्यस्त होंगे, हर जगह उनके साथ ऐसा ही व्यवहार होता होगा इसलिए वे परेशान हो गए होंगे, तो मैं आपको बता दूँ कि मैं भी उनकी व्यस्तता और निजता का पूरा सम्मान करता हूँ, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं सामने वाले की इज्जत ही ना करूँ। मेरा मानना है कि वे बहुत प्यार और सम्मान के साथ भी उस वेटर को पूरी बात समझा सकते थे।


साथियों अपने कार्य, अपनी सफलता पर गर्व होना एक बात है और उसका अहंकार होना अलग। गर्व होना, जहाँ आपको सकारात्मक रख ऊर्जा देता है, वहीं अहंकार नकारात्मकता के साथ, आपको सबसे दूर करता है। जहाँ तक सफलता का विषय है तो मेरा तो यह मानना है कि हर इंसान अपने आप में सफल है क्यूँकि उसने अपना संघर्ष किया है। उसकी अपनी कहानी है। बस अंतर इतना सा है, कि उसकी कहानी अभी तक दुनिया के सामने नहीं आ पायी है। उसकी सफलता ने अभी तक शोर नहीं मचाया है। इसीलिए तो हर इंसान को अनूठा और अनोखा माना गया है। इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति फ़ालतू या बेकार नहीं है, उसकी कुछ ना कुछ क़ीमत है। ठीक इसी तरह शब्दों की भी अपनी क़ीमत है। शब्द आपको किसी के दिल में उतार सकते हैं तो शब्द ही आपको किसी के दिल से भी उतार सकते हैं। शब्द, जीवन को अर्थ देने का सामर्थ्य रखते हैं तो वही शब्द अनर्थ भी कर सकते हैं।


याद रखिएगा, अच्छा बनने और अच्छा होने में बहुत अंतर है। कुछ लोग अच्छा बनने के लिये दूसरों के जीवन से खेल जाते हैं, तो इसके ठीक विपरीत कुछ अच्छे लोग हज़ारों की जिंदगियां बना भी जाते हैं। अगर आप अच्छा बनना चाहते हैं, लोगों की जिंदगियों में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं तो अपने शब्दों पर ध्यान दें, अन्यथा याद रखें कि इस दुनिया में आज तक किसी के ना होने से कोई काम रुका नहीं है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


 
 
 

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