Nirmal Bhatnagar
रिटायरमेंट याने जीवन कि एक नई शुरुआत…
May 19, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मैंने पूर्व में एक लेख में एक कहानी के माध्यम से बताया था कि उम्र सिर्फ़ एक आँकड़ा है। ठीक उसी तरह दोस्तों, कुछ लोगों के लिए रिटायरमेंट महज़ एक ट्रानज़िशन याने परिवर्तनकाल की घटना है। जहाँ से इंसान अपने जीवन की एक नई पारी शुरू करता है। लेकिन दोस्तों, अक्सर इस नज़रिए का अभाव 60-65 वर्ष की उम्र तक अपनी पूर्ण क्षमताओं से कार्य कर रहे व्यक्ति को अगले 3-5 वर्षों में अवसाद या फिर कई बीमारियों का शिकार बना देता है। जिसकी वजह से कई लोग समय पूर्व ही अपनी जीवन यात्रा पूर्ण कर इस दुनिया से चले जाते हैं। मैं जानता हूँ कि इस वक्त ज़्यादातर लोगों को मेरी बात थोड़ी अटपटी लग रही होगी, लेकिन यक़ीन मानिएगा दोस्तों, हमारे देश के आँकड़े इस ओर ही इशारा करते हैं। मेरी नज़र में इसकी मुख्य वजह रिटायरमेंट को लेकर हमारी ग़लत धारणा है।
‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ के द्वारा की गई रिसर्च बताती है कि भारत में 10 में से 7 भारतीय उम्मीद करते हैं कि रिटायरमेंट के बाद उनके बच्चे उनकी मदद करेंगे। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे अपना बचा हुआ जीवन बच्चों पर निर्भर रहते हुए बिताना चाहते हैं। इसकी एक वजह वित्तीय निर्भरता भी होती है क्योंकि मात्र 33 प्रतिशत भारतीय ही अपनी रिटायर्ड लाइफ़ के लिए योजनाबद्ध तरीके से बचत करके रखते हैं और दूसरी वजह भारतीय सामाजिक ढाँचा, भारतीय जीवन मूल्य या संस्कार या यूँ कहूँ भारतीय मानसिकता भी है। अपनी बात को मैं बचे हुए 30 प्रतिशत लोगों के नज़रिए से समझाने का प्रयास करता हूँ।
यह लोग बच्चों पर निर्भर रहने के बजाय रिटायरमेंट के काफ़ी पहले अपने रिटायरमेंट की योजना बनाते हैं। यह खुद से प्रश्न करते हैं कि मैं अपने जीवन की अगली पारी की शुरुआत किन लक्ष्यों को लेकर करूँगा। याने मैं अपने अभी तक के अनुभव से समाज को कुछ नया दूँगा, निजी स्तर पर अपने कार्य को आगे बढ़ाऊँगा, दुनिया घुमूँगा अथवा आध्यात्मिक जीवन जियूँगा। अपनी बात को मैं एक 103 वर्षीय युवा श्री कैल्यामपुडी राधाकृष्ण राव, जिन्हें हम सी आर राव के नाम से भी जानते हैं, कि कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
सी राधाकृष्ण राव ने अपना कैरियर भारतीय सांख्यिकी संस्थान से शुरू किया। सांख्यिकी के क्षेत्र में उनके कार्य को देखते हुए 47 वर्ष की उम्र में वर्ष 1968 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। सांख्यिकी के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए वे साठ साल की उम्र में शासकीय सेवा से रिटायर हुए। सी राधाकृष्ण राव का मानना था कि भारतीय परिवेश में रिटायरमेंट के बाद कोई नहीं पूछता। सहकर्मी भी सत्ता का सम्मान करते हैं, विद्वता का नहीं। इसलिए उन्होंने अपने कार्य को जारी रखने और बेटी व पोते-पोती के पास रहने के उद्देश्य से अमेरिका जाने का निर्णय लिया। वहाँ उन्होंने 62 वर्ष की आयु में पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में सांख्यिकी के प्रोफेसर के रूप में कार्य करना शुरू किया और 70 वर्ष की आयु में, वे पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में विभाग के प्रमुख बने। 75 वर्ष की आयु में उन्होंने अमेरिकी नागरिकता ली और वर्ष 2001 में 81 वर्ष की उम्र में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं, 82 वर्ष की उम्र में उन्हें अमेरिकी सरकार द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय पदक और व्हाइट हाउस सम्मान दिया गया। इसके पश्चात भी वे रुके नहीं और बहुभिन्नरूपी विश्लेषण याने मल्टीवेरिएट एनालिसिस, नमूना सर्वेक्षण सिद्धांत याने सेम्पल सर्वे थ्योरी और बायोमेट्री आदि के क्षेत्र में कार्य करते रहे। वर्ष 2023 में 102 वर्ष की उम्र में श्री सी राधाकृष्ण राव के सांख्यिकी के क्षेत्र में किए गए विशेष योगदान को देखते हुए सांख्यिकी के एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया। इस पुरस्कार को नोबल पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है। 102 साल की उम्र में अच्छी शारीरिक स्थिति में रहते हुए सांख्यिकी में 2023 का अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना संभवत: एक ऐतिहासिक घटना है।
दोस्तों, अगर आप सी राधाकृष्ण राव के जीवन चक्र को ध्यान से देखेंगे तो पाएँगे कि उन्होंने उम्र के स्थान पर अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करा और रिटायरमेंट को अपने कामकाजी जीवन का अंत मानने के स्थान पर उसे अपने जीवन की नई पारी की शुरुआत बना दिया। यह तब सम्भव हो सकता है दोस्तों, जब आपने अपने रिटायरमेंट को भी प्लान कर रखा हो। इसके लिए आपको खुद से प्रश्न करना होगा कि आप रिटायर होने के बाद क्या करना चाहते हैं? जीवन सुचारु और सकारात्मक रूप से आगे बढ़े यह सुनिश्चित करने के लिए चिंतन करें। यक़ीन मानिएगा दोस्तों, आपसे यह लेख भी इसलिए साझा कर पाया हूँ क्योंकि खुद भी इस विषय में लगातार विचार कर रहा हूँ। क्या आप इस विषय में स्थापित युक्तियों के साथ-साथ कुछ नया सोच रहे हैं?
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com