Aug 23, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, आज एक ऐसे विषय पर आपसे चर्चा करने जा रहा हूँ, जिसकी शुरुआत करने के लिए मुझे शब्द ही नहीं मिल रहे हैं। इसलिए सीधे एक ऐसी कहानी से शुरुआत करता हूँ जो अपने आप में ही सारी बातों को बड़ी स्पष्टता के साथ समझा देती है लेकिन आगे बढ़ने से पहले यह बताना आवश्यक है कि मुझे इस कहानी के लेखक कौन हैं, यह पता नहीं है। लेकिन मेरा मानना है कि इसके लेखक भी इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाना चाहते होंगे जिससे हम इसमें छुपे शानदार संदेश से अपने जीवन को बेहतर बना सकें। तो चलिए शुरू करते हैं…
बात कई साल पुरानी है, एक बहुत ही धनी व्यापारी की मुलाक़ात एक यात्रा के दौरान एक बहुत ही सुंदर और समझदार लेकिन बहुत ही ग़रीब किसान की बेटी से होती है। बीतते समय के साथ उस व्यापारी को उस लड़की से प्रेम हो जाता है। एक दिन वह व्यापारी हिम्मत जुटाकर इस बात को उस लड़की और उसके परिवार वालों को बता देता है। लड़की और उसके परिवार वाले शुरू में असमानता के कारण इस रिश्ते को ठुकरा देते हैं। लेकिन जब व्यापारी उन्हें इस विषय में समझाता है तो वे मान जाते हैं और अपनी बेटी का विवाह उससे कर देते हैं।
विवाह के बाद, शुरुआती कुछ सालों तक तो उनका जीवन प्रेम और खुशी से भरपूर था। लेकिन एक दिन उस लड़की को पता चलता है कि वह एक भयानक चर्मरोग से पीड़ित है, जो आने वाले समय में उसकी सारी सुंदरता छीन लेगा। उसने यह बात अपने पति से छुपाने का निर्णय लिया क्योंकि उसे मन ही मन डर लग रहा था कि कहीं उसका पति उसे सुंदरता ढलने के कारण ठुकरा ना दे। इसी चिंता में कुछ और वक्त गुजरा और उस लड़की की सुंदरता भी बीतते समय के साथ थोड़ी घट गई। एक दिन वह व्यापारी व्यापार के काम से दूर एक शहर में गया जहाँ कार एक्सीडेंट के कारण उसने अपनी आँखों की रोशनी खो दी। इस दुर्घटना के बाद भी उनका जीवन पूर्व की ही तरह सुख-शांति से चलता रहा। लेकिन बीतते समय के साथ उस लड़की की बीमारी बढ़ती गई और वह पहले के मुक़ाबले कमजोर और बदसूरत होती गई। लेकिन अब उसे इस बात की कोई चिंता नहीं थी और इसी कारण अंधे पति के साथ उनका दांपत्य जीवन अच्छे से चलता रहा। वह व्यापारी भी पूर्व की ही तरह अपनी पत्नी उसी तरह प्यार करता रहा।
कुछ सालों बाद बीमारी के कारण उस लड़की की मृत्यु हो गई और इसी वजह से वह व्यापारी बहुत दुखी रहने लगा। एक दिन उसने पत्नी के वियोग में वह शहर छोड़ने का फ़ैसला लिया। जब यह बात उसके पड़ोसी को पता चली तो वह उसे सांत्वना देने के लिए आया और बोला, ‘मैं समझ सकता हूँ कि अब आपको अपनी पत्नी के बिना अकेले रहने में बहुत दिक्कत हो रही होगी। असल में वह आपका बहुत ख्याल रखती थी। अब आप अंधकार में अपना जीवन कैसे व्यतीत करेंगे?’ पड़ोसी की बात सुनते ही उस व्यापारी ने गहरी साँस ली और धीमे से बोला, ‘मैं कभी अंधा था ही नहीं। मैं तो यह नाटक सिर्फ़ इसलिए करता रहा जिससे उसे बीमारी और बदसूरती के कारण यह महसूस ना हो कि मैं उससे प्यार नहीं करता।’ इसके बाद वे एक पल के लिये रुके, फिर धीमे स्वर में बोले, ‘मैंने इतने सालों तक बिना कुछ कहे यह नाटक सिर्फ़ अपनी पत्नी की ख़ुशी के लिये किया।’
दोस्तों, अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मुझे इस लेख की शुरुआत करने के लिए शब्द क्यों नहीं मिल रहे थे। असल में दोस्तों प्रेम ऐसा ही विषय है। जो शब्दों से कम भावों से ज़्यादा समझ आता है। ख़ैर… इसे यहीं छोड़ते हैं और उपरोक्त कहानी में छिपी सीख पर संक्षेप में चर्चा कर लेते हैं। असल में दोस्तों यह कहानी हमें रिश्तों में सच्चे प्रेम और समर्पण की महत्ता सिखाती है, जिसमें व्यक्ति अपने प्रियजन की खुशी के लिए किसी भी हद तक जा सकता है और दोस्तों यही एकमात्र तरीक़ा है जो आपके पारिवारिक रिश्तों की गर्माहट को बरकरार रखता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Yorumlar