Nirmal Bhatnagar
लालच छोड़ें, मज़े में रहें !!!
August 14, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइये दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत कई साल पहले सुनी एक प्यारी सी कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, रामपुर में एक भोलू नाम का नाई अपने परिवार के साथ बड़े मज़े में रहा करता था। अपने नाम के अनुरूप ही भोलू एकदम भोला और ईमानदार था। नाई की पत्नी सुशीला भी बड़ी कुशलता के साथ अपने पति की कमाई से ख़ुशी-ख़ुशी अपनी गृहस्थी चलाया करती थी। कुल मिलाकर कहा जाये तो उनकी ज़िंदगी बड़े मज़े में कट रही थी। भोला की कार्यकुशलता और स्वभाव को देख एक दिन वहाँ के राजा ने उसे अपने महल में बुलवाया और एक स्वर्ण मुद्रा प्रतिदिन में महल में आकर हजामत बनाने का कहा। नाई ने सहर्ष इस प्रस्ताव को स्वीकार लिया और उसी दिन से अपना कार्य शुरू कर दिया।
जैसे-जैसे दिन बीतते जा रहे थे वैसे-वैसे भोला का जीवन बेहतर बनता जा रहा था। अब वह एक बड़े घर में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बड़े मज़े से रहा करता था। देखते ही देखते कुछ ही वर्षों में भोला अपनी बढीं हुई आमदनी और बचत की आदत के कारण बहुत अमीर बन गया। एक दिन जब वह अपने कार्य पूर्ण कर घर वापस जा रहा था तब उसे रास्ते में एक यक्ष मिला। यक्ष ने बड़ी विनम्रता के साथ नाई से कहा, ‘भोला हमने तुम्हारी ईमानदारी के बड़े चर्चे सुन रखे हैं और इसीलिये मैं तुमसे बहुत खुश हूँ और तुम्हें सोने की मुद्राओं से भरे सात घड़े देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरी इस छोटी सी भेंट को स्वीकारोगे?’ यक्ष की बात सुन भोला पहले तो चौंका, फिर मन में उपजे लालच के कारण यक्ष को हाँ कह बैठा। भोला की हाँ सुनते ही यक्ष मुस्कुराया और बोला, ‘ठीक है सातों घड़े तुम्हारे घर पहुँच जाएँगे।’
ख़ुशी-ख़ुशी भोला तुरंत घर पहुँचा और वहाँ सात घड़े रखे देख हैरान रह गया। उसने एक ही साँस में पत्नी को सारी घटना कह सुनाई और एक-एक घड़ा खोलकर देखने लगा। अचानक ही सातवें घड़े को देख भोला चिंतित हो गया। असल में सातवाँ घड़ा आधा ख़ाली था। कुछ पलों बाद भोला ने ख़ुद को सँभालते हुए अपनी पत्नी से कहा, ‘कोई बात नहीं, हम अपनी बचत को इस ख़ाली घड़े में डाल दिया करेंगे। देखना जल्द ही यह घड़ा भी भर जायेगा और फिर इन सात घड़ों के सहारे हम अपना जीवन बड़े आराम से काट लेंगे।
अगले दिन से भोला और उसकी पत्नी ने अपनी बचत को उस सातवें घड़े में डालना शुरू कर दिया। कई महीनों तक ऐसा करते रहने के बाद भी सातवाँ घड़ा हमेशा पूर्व की ही तरह आधा ख़ाली नज़र आता था और उसे देख भोला की चिंता बढ़ती जाती थी। धीरे-धीरे भोला बड़ा कंजूस होता जा रहा था, क्योंकि वह सोने के सिक्कों से सातवें घड़े को जल्द-से-जल्द भरना चाहता था। इसी कारण अब कई बार नाई और उसकी पत्नी में कहा सुनी होने लगी और उनके घर की सारी शांति और ख़ुशी भी ग़ायब हो गई। हालाँकि इस बीच भोला की पत्नी ने उसे कई बार समझाने का प्रयास किया, पर भोला के सिर पर तो बस सातवें घड़े को भरने की धुन सवार थी। इसी वजह से अब पति-पत्नी में झगड़ा भी होने लगा था।
वहीं दूसरी और भोला के उखड़े स्वभाव को देख राजा को लगा कि शायद भोला की आवश्यकताएँ बढ़ गई है। विचार आते ही राजा ने भोला के मेहनताने को दोगुना कर दिया। लेकिन इसका भी उसके स्वभाव पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा वह अभी भी चिड़चिड़ाया करता था और दुखी रहता था। एक दिन राजा ने उसे अपने समीप बैठाया और पूछा, ‘कहीं तुम यक्ष के दिये सात घड़ों के चक्कर में तो नहीं फँस गये?’ प्रश्न सुनते ही नाई ने राजा को सारी बात सच-सच कह सुनाई। जिसे सुनते ही राजा ने नाई को बताया कि सातवाँ घड़ा साक्षात लोभ है। उसकी भूख कभी मिट नहीं सकती है इसलिये इसे नकारे बिना चैन और सुकून मिलना असंभव है।
बात तो राजा की एकदम सही थी दोस्तों। लालच या लोभ एक ऐसा भाव है जो आपकी ख़ुशियों को चुरा लेता है। यह आपको आपके पास जो है उसका लुत्फ़ नहीं उठाने देता और जो नहीं है उसमें उलझाये रखता है। दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य हर हाल में खुश रहना है तो आज से ही लालच या लोभ को छोड़कर जो हमारे पास है, उसमें खुश रहना सीखना होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com