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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

लीडर बोलकर नहीं, करके सिखाता है…

Oct 11, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

यक़ीन मानियेगा दोस्तों, इंसान उपदेशों के मुक़ाबले उनके सामने पेश किए गए उदाहरणों से अधिक सीखता है। इसीलिए एक ग्रेट लीडर कभी भी उपदेश नहीं देता है, वह तो अपनी जीवनशैली से ही अपनी टीम को सिखा देता है। अपनी बात को मैं आपको एक क़िस्से से समझाने का प्रयास करता हूँ। बात कई वर्ष पुरानी है, एक अत्यावश्यक मीटिंग के लिए एक कंपनी के उच्चाधिकारियों का समूह मुंबई से नासिक जा रहा था।


यह यात्रा समूह के अधिकारियों के लिए इसलिए भी ख़ास थी क्योंकि समूह के वरिष्ठतम अधिकारी भी आज उनके साथ यात्रा कर रहे थे। गर्मी के मौसम में डामर की सपाट गर्म सड़क पर, धूल उड़ाती कारों का यह क़ाफ़िला अचानक ही एक तेज आवाज़ के साथ रुक गया। असल में उक्त कारों के क़ाफ़िले में से एक कार का टायर पंक्चर हो गया था। ड्राइवर ने गाड़ी को रोड से नीचे उतार कर साइड से लगाया और अधिकारी से माफ़ी माँगते हुए थोड़ी देर इंतज़ार करने का निवेदन किया, जिससे वह गाड़ी का टायर बदल सके।


गाड़ी रुकते ही ट्रेंड ड्राइवर ने टायर बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। वहीं इस तेज गर्म लू भरे मौसम में अचानक से मिले इस समय का उपयोग कुछ अधिकारियों ने सिगरेट पीने में, तो कुछ ने अंगड़ाई लेते हुए सुस्ताने में, तो कुछ ने एक दूसरे को चुटकुले सुनाने में किया। वहीं वरिष्ठतम अधिकारी कार से उतर कर पीछे की ओर चले गये। कुछ देर बाद अधिकारियों के समूह में से एक को याद आया कि वरिष्ठतम अधिकारी आसपास कहीं नज़र नहीं आ रहे हैं तो उन्होंने सबसे पहले उन्हें कार में देखा और जब वे वहाँ नहीं दिखे तो उन्होंने वरिष्ठतम अधिकारी को आसपास खोजना शुरू किया। वे सोच रहे थे कि शायद वे जलपान के लिए आसपास किसी रेस्टोरेंट में चले गये होंगे या फिर धूप से बचने के लिए कोई सुविधाजनक स्थान पर होंगे।


अधिकारियों और प्रबंधकों की यह जिज्ञासा जल्द ही आश्चर्य में बदल गई। असल में उन्होंने अपने वरिष्ठतम अधिकारी याने प्रेसिडेंट को शर्ट की आस्तीन ऊपर और टाई को कंधे पर डाले, ज़मीन पर घुटनों के बल बैठकर ड्राइवर की मदद करते हुए पाया। वे बड़ी कुशलता के साथ जैक को ऊपर चढ़ा रहे थे और उसके पश्चात नट कसने में ड्राइवर की मदद कर रहे थे और हाँ, यह करते वक़्त उनके चेहरे पर ग़ुस्सा नहीं, दृढ़ संकल्प झलक रहा था।


दोस्तों यहाँ सबसे महत्वपूर्ण यह जानना है कि यह किसी कंपनी के चेयरमैन के द्वारा किया गया दिखावा नहीं था। बल्कि एक नेता द्वारा सहज रूप से अपनी टीम के साथ मिलकर काम करने जैसा था। उस दिन टायर बदलते हुए वरिष्ठतम अधिकारी, जिन्हें हम रतन टाटा के नाम से जानते हैं, की छवि, उपस्थित लोगों के मन में खुद ही अंकित हो गई, यह एक मौन पाठ था, जो किसी भी प्रबंधन सेमिनार से कहीं अधिक शक्तिशाली था। यह बिना दिखावे के विनम्रता; आदेश के स्थान पर कार्य करते हुए नेतृत्व करना और छोटे से छोटा कार्य भी सम्माननीय होता है, का एक जीवंत उदाहरण था।


दोस्तों, आज शक्तिशाली नेतृत्व क्षमता के धनी श्री रतन टाटा शारीरिक रूप में हमारे बीच में नहीं हैं। लेकिन आप उन्हें हर पल अपने बीच में पाएँगे। सुबह एसी बंद करते वक़्त वोल्टास में, टाइम देखते वक्त टाइटन में, कार्यालय जाते समय वेस्टसाइड, ज़ारा या फिर जुड़ियो के कपड़ों में या फिर टाटा कार में अथवा दिन में चाय या कॉफ़ी पीते वक्त टेटली या स्टारबक्स में पायेंगे और अगर आप घूमने या व्यवसायिक यात्रा पर जा रहे हैं तो आप उनके मूल्य या उनकी शैली को विस्तारा या एयर इंडिया में पाएँगे। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए क्रोमा, टीवी के लिए टाटा स्काई, होटल के रूप में ताज, आईटी में टीसीएस, किराने के सामान के लिए बिग बास्केट में पायेंगे। कुल मिलाकर कहा जाये तो उन्होंने हमारे जीवन के हर पहलू को अपनी नेतृत्व कुशलता और मानवीय मूल्यों से छुआ है। मेरी नज़र में वे बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशंस के सिर्फ़ जनक ही नहीं थे, बल्कि अपने आप में ही एक इंस्टीट्यूशन थे। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि रतन टाटा ने किसी ना किसी रूप में हम सबके जीवन; सबकी आत्मा को छुआ है।


ऐसे अद्भुत और असाधारण इंसान और पेशे से वास्तुकार और महान आत्मा को मैं ग्लोबल हेराल्ड परिवार की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और साथ ही साथियों आप सभी से सिर्फ़ एक और बात साझा करना चाहता हूँ, लीडरशिप या सच्चा और शक्तिशाली नेतृत्व बड़े-बड़े पद, नामों या शीर्षकों के बारे में नहीं होता है। वह तो व्यवहार और कार्य करने के तरीक़ों से संदर्भित होता है। वह तो अपना जीवन कुछ इस तरह जीता है, जिसे देख उसके साथी अपने आप ही जीवन में नित नई ऊँचाइयों को छूते जाते हैं। अर्थात् वह सिर्फ़ अपने लोगों को प्रेरित नहीं करता बल्कि उन्हें सशक्त बनाकर अपने साथ जीवन में आगे बढ़ाता है, उनके माध्यम से और लोगों को जोड़कर सबकी सेवा करता है। आइये दोस्तों, हम सब भी, छोटे ही सही, लेकिन रतन टाटा की तरह लीडर बनने का प्रयास करते हैं…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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