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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

वक़्त के साथ नहीं, सत्य के साथ चलें…

Sep 6, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…


दोस्तों, व्यवसायिक जीवन में आगे बढ़ने की चाह होना मेरी नज़र में सौ प्रतिशत स्वाभाविक है क्योंकि जीवन में आगे बढ़ने का हक़ इस दुनिया में सभी को है। इसीलिए सामान्यतः लोग लक्ष्य आधारित जीवन जीते हैं। अगर आपका लक्ष्य सुख, शांति के साथ जीते हुए जीवन में आगे बढ़ना है तो आपको आंतरिक और बाहरी याने आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही लक्ष्यों को साथ लेते हुए आगे बढ़ना होगा। लेकिन मैंने अकसर देखा है कि सही जानकारी के अभाव में ज़्यादातर लोग सिर्फ़ भौतिक लक्ष्यों को अपनी प्राथमिकता बना लेते है और किसी भी क़ीमत पर उसे पाने के लिए प्रयास करते हैं। ऐसे लोग अक्सर अपना जीवन किसी भी मूल्य याने साम, दाम, दंड, भेद के साथ भौतिक लक्ष्यों को पाने में गँवा देते हैं।


इसके विपरीत कुछ लोग जानते हैं कि भौतिक लक्ष्यों का सही लुत्फ़ तब ही उठाया जा सकता है जब आप आंतरिक लक्ष्यों को पा चुके हों। इसीलिए वे अपने हर भौतिक लक्ष्य को सत्य और नैतिकता याने जीवन मूल्यों पर आधारित रास्तों पर चलते हुए पाने का प्रयास करते हैं। अगर आप गहराई से देखेंगे तो पायेंगे कि दोनों ही तरह के लोगों को लक्ष्य का होना गतिशील और ऊर्जावान बनाये रखता है। लेकिन पहली कैटेगिरी वाले लोग आपको जहाँ बेचैन नज़र आयेंगे, वहीं दूसरी कैटेगिरी वाले शांत।


जी हाँ साथियों, अगर आप और गहराई से देखेंगे तो पायेंगे कि पहली कैटेगरी में वे लोग आते हैं, जिनके लिये मानवता और इंसानियत ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है और दूसरी श्रेणी में वे लोग आते हैं जो निजी स्वार्थों के आधार पर अपना जीवन जीते हैं। कई बार आपको दूसरी श्रेणी के लोग जीवन में जल्द सफल होते नज़र आ सकते हैं लेकिन मेरा मानना है कि उनका अचीवमेंट तात्कालिक ही होता है। लेकिन अगर आपका लक्ष्य जीवन में सहजता, सजगता और शांति के साथ जीते हुए सफलता पाना है, तो सदैव सत्य के साथ चलो, वक़्त के साथ नहीं। अन्यथा, वक़्त के बदलते ही आपकी स्थिति भी बदल जायेगी।


जी हाँ साथियों, आज तक जितने भी लोगों ने निजी स्वार्थ की परवाह किए बिना सत्य के साथ चलने का साहस जुटाया है, वे ही लोग समय तक लक्ष्य के साथ चल पाये हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो सत्य की राह पर चलने वाले लोगों की मुट्ठी में ही वक़्त रहता है। आपको लग सकता है कि मेरा सुझाव बिलकुल भी प्रैक्टिकल नहीं है या मैं आपको कठिन राह चुनने के लिए प्रेरित कर रहा हूँ, तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको बता दूँ कि आप बिलकुल सही सोच रहे हैं। वाक़ई में साथियों, वक़्त के साथ चलना आसान है और सत्य के साथ चलते हुए मूल्य आधारित जीवन जीना कठिन। लेकिन अगर आप इतिहास उठा कर देखेंगे तो पायेंगे कि वक्त के साथ चलने वाले लोग, वक्त आने पर भुला दिए जाते हैं और सत्य के साथ चलने वाले लोग अपने कार्यों से अपने आप को अमर कर जाते हैं।


अगर आप वाक़ई अमर होने जितना बड़ा और महान लक्ष्य रख कर जीवन जीना चाहते हैं तो आपको सत्य के साथ चलने का साहस, अपने अंदर पैदा करना होगा क्योंकि साहस के बिना सत्य के साथ नहीं चला जा सकता है। इस आधार पर कहा जाये तो जो साहसी है, वही सत्य के पथ का राही है। वैसे भी साथियों जिस तरह बहते पानी में कबाड़, कचरा और लाश भी तैर जाती है, ठीक उसी तरह अपने विवेक का उपयोग किए बिना वक़्त के साथ बहना, भीड़ का हिस्सा बनना है और साथ ही जिस तरह भीड़ का कोई नाम, कोई पहचान नहीं होती, ठीक उसी तरह वक्त के साथ बहने वाले की भी कोई निशानी नहीं होती।


अगर साथियों इतिहास लिखने की इच्छा रखते हो तो वक़्त की धारा के विपरीत सत्य की राह पर चलना सीखो। याद रखना, जिसने सत्य का साथ छोड़े बिना धाराओं के विपरीत जाकर लक्ष्य को पाया है उसने ही परम सत्य को पाकर इतिहास में अपना नाम लिखाया है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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